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कोलकाता : यूबीआइ में 173 करोड़ की धोखाधड़ी का मामला दर्ज

नयी दिल्ली/ कोलकाता : प्रवर्तन निदेशालय ने पश्चिम बंगाल में साल 2016 में यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया में 173 करोड़ रुपये से अधिक की कथित धोखाधड़ी के सिलसिले में धन शोधन का एक मामला दर्ज किया है. इडी के कोलकाता स्थित जोनल कार्यालय ने पश्चिम बंगाल सीआइडी की जुलाई 2016 की प्राथमिकी का संज्ञान लेते […]

नयी दिल्ली/ कोलकाता : प्रवर्तन निदेशालय ने पश्चिम बंगाल में साल 2016 में यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया में 173 करोड़ रुपये से अधिक की कथित धोखाधड़ी के सिलसिले में धन शोधन का एक मामला दर्ज किया है. इडी के कोलकाता स्थित जोनल कार्यालय ने पश्चिम बंगाल सीआइडी की जुलाई 2016 की प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए धन शोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक मामला दर्ज किया है.
अधिकारियों ने बताया कि यह मामला राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (एनएसआइसी) की कच्ची सामग्री सहायता योजना के लिए फर्जी बैंक गारंटी प्रदान करने को लेकर यूबीआइ में कथित धोखाधड़ी से संबंधित है. एनएसआइसी केंद्रीय सूक्ष्म, लघु व मझोले उद्यम मंत्रालय के तहत काम करती है.
पश्चिम बंगाल सीआइडी ने एनएसआइसी के मुख्य सतर्कता अधिकारी द्वारा 23 लोगों के खिलाफ भेजी गयी शिकायत पर कार्रवाई करते हुए आपराधिक मामला दर्ज किया है. इन 23 लोगों में संगठन के पूर्व कर्मचारी एसके हलदार, निजी व्यक्ति देवव्रत हलदार और बैंक के कुछ कर्मचारी शामिल हैं. पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि यूबीआइ के अधिकारियों ने पार्टियों और एस के हलदार और देवव्रत हलदार जैसे सलाहकारों के साथ साठगांठ करके बैंक को 173 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया. सीआइडी ने पिछले साल जून में इस मामले में सरकारी बैंक के तीन वरिष्ठ अधिकारियों को गिरफ्तार किया था.
इडी अब इस बात की जांच करेगी कि क्या इस मामले में हासिल किये गये कथित धन का शोधन किया गया और आरोपियों ने इस धन का अवैध संपत्ति बनाने में इस्तेमाल किया. इडी अपनी जांच के तहत पीएमएलए के तहत आरोपी की संपत्ति भी कुर्क कर सकती है.
एजेंसी में सूत्रों के अनुसार धोखाधड़ी 200 करोड़ रुपये तक की हो सकती है. पुलिस की प्राथमिकी के अनुसार कच्ची सामग्री सहायता योजना के तहत एनएसआइसी पश्चिम बंगाल में एमएसएमइ को कच्ची सामग्री खरीदने के लिए अल्पावधि का वित्तपोषण करती है. इसके तहत राष्ट्रीयकृत या स्वीकृत बैंकों की 100 फीसदी बैंक गारंटी की जमानत पर कच्ची सामग्री आपूर्तिकर्ताओं को सीधा भुगतान करती है.
प्राथमिकी में कहा गया है कि ज्यादातर (फर्जी) बैंक गारंटी तीन साल की अवधि में इस्तेमाल के लिए जारी किये गये थे, लेकिन कथित तौर पर बैंक गारंटी जारी होने के दो से चार महीने की अवधि के भीतर ही तत्काल उसका इस्तेमाल कर लिया गया. कुछ मामलों में एनएसआइसी ने कपटपूर्ण लेन-देन का पता लगाया और इसलिए 2016 में पुलिस में शिकायत दर्ज करायी.

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