कोलकाता : निजाम पैलेस के अंबेडकर हॉल में मुकुल राय ने बसंतोत्सव के माध्यम से तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी को इशारों ही इशारों में अपनी मंशा साफ कर दी. त्रिपुरा चुनाव के नतीजों के एलान के पहले मुकुल राय का यह कार्यक्रम राजनीतिक नजरिये से काफी मायने रखता है. कार्यक्रम का नाम रखा गया था ‘आज फागुन की आग में जला दो’. इसका स्लोगन था ‘कमजोर और सूखे पत्तों को जलाकर-दोनों हाथों से राख उड़ाकर, नये रंग का पेड़ लगाकर-रंग खेलो ढ़ोल बजाकर’.
उनके कार्यक्रम का नाम और स्लोगन जिनको इंगित करके बनाया गया था, उसको लोगों को समझाने के लिए मुकुंद चक्रवर्ती का लिखा नाटक ‘आमरा एवम्’ का मंचन भी किया गया. नाटक का विषय था जिद्दी. लोगों को यह समझने में कोई गुरेज नहीं हुआ कि मुकुल राय अपने इस कार्यक्रम के माध्यम से किसको क्या संदेश देना चाहते हैं. क्यों उन्होंने त्रिपुरा चुनाव के ठीक पहले इस कार्यक्रम का आयोजन किया. कार्यक्रम में प्रदेश भाजपा के दिग्गजों का जमावड़ा था. एक तरफ जहां विरोधी खेमे के माने जाने वाले शमिक लाहिड़ी आये तो दूसरी तरफ भाजपा के तीनों महासचिव राजू बनर्जी, शायंतन बसु, प्रताप बनर्जी भी मौजूद रहे.
कार्यक्रम में भाजपा कार्यकर्ताओं की मौजूदगी नाम मात्र की दिखी, लेकिन मुकुल राय के समर्थकों की तादाद काफी रही. हॉल पूरा भरा हुआ था. कार्यक्रम में केवल कला और संस्कृति के माध्यम से ही लोग मुकुल राय की भावना का इजहार करते रहे.