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सलकिया में शीतला माता की ऐतिहासिक स्नानयात्रा आज

होगा लाखों भक्तों का समागम मंगलवार को दोपहर 12 बजे से उत्तर हावड़ा में वाहनों का आवगमन पूरी तरह बंद कर दिया जायेगा पुलिस प्रशासन पूरी तरह से तैयार कानून का उल्लंघन करनेवालों से सख्ती से निपटेगा प्रशासन हावड़ा : सलकिया अंचल के एतिहासिक श्री श्री शीतला माता स्नान यात्रा का उत्साह चरम पर है. […]

होगा लाखों भक्तों का समागम

मंगलवार को दोपहर 12 बजे से उत्तर हावड़ा में वाहनों का आवगमन पूरी तरह बंद कर दिया जायेगा

पुलिस प्रशासन पूरी तरह से तैयार

कानून का उल्लंघन करनेवालों से सख्ती से निपटेगा प्रशासन

हावड़ा : सलकिया अंचल के एतिहासिक श्री श्री शीतला माता स्नान यात्रा का उत्साह चरम पर है. मंगलवार 30 जनवरी को आयोजित होनेवाले इस महापर्व में शामिल होने के लिए उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओड़िशा सहित विभिन्न प्रदेशों व इस राज्य के विभिन्न हिस्सों के श्रद्धालु यहां पहुंच गये हैं. लोगों नेे नये वस्त्र व पूजन सामग्री की खरीदारी कर ली है. इस महापर्व को निर्विघ्न सम्पन्न कराने के लिए हावड़ा पुलिस प्रशासन ने सभी आवश्यक प्रबंध किये हैं. इसके मुख्य केंद्र सलकिया के अरविंद रोड स्थित बड़ी शीतला माता मंदिर से लेकर बांधाघाट तक सड़क पर बांस के बेरीकेड लगाये गये हैं. इसके अलावा काफी संख्या में हावड़ा सिटी पुलिस व सिविल पुलिस तैनात रहेगी. इस बीच इस बार भी सड़कों की स्थिति बेहतर है और बड़ी मां के मंदिर की जल निकासी व्यवस्था को भी हाल ही में नये सिरे ठीक कर दिया गंया है और इस कार्य में एमएमआइसी गौतम चौधरी की महती भूमिका रही है.

आस्था के इस पावन धाम के प्रति अगाध श्रद्धा रखनेवाले श्री चौधरी ने मंदिर के बाहर स्थायी स्तम्भ व रोशनी का भी व्यापक प्रबंध करके काफी प्रशंसा अर्जित की है.

दूसरी ओर, लगभग 479 साल पुराने इस ऐतिहासिक महापर्व के संबंध में सुरेश कुमार भुवालका ने बताया कि हमेशा की भांति इस वर्ष भी प्रायः पूरे उत्तर हावड़ा में सुबह से ही यातायात नियंत्रित रहेगी, जबकि दोपहर बाद से रात तक यातायात पूरी तरह बंद रहने की संभावना है. पर्व की शुरुआत तड़के से दंडी प्रणाम के साथ होगी जिसमें व्रती श्रद्धालु बांधाघाट गंगातट पर स्नान करने के पश्चात वहीं से बड़ी मां के मंदिर तक दंडवत करते हुए जायेंगे. दोपहर बाद भव्य विराट शोभायात्रा निकलेगी, जो रात तक चलेगी. माइक बजानेवालों को निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन करने को कहा गया है. यातायात बंद रहने की वजह से अधिकतर स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया गया है, जबकि कुछ स्कूलों में समय से पूर्व छुट्टी की घोषणा की गयी है.

मंदिर सूत्रों के मुताबिक, पूर्णिमा आगमन के पश्चात् ही बड़ी शीतला माता बांधाघाट गंगातट पर स्नान करेंगी. इससे पूर्व, हमेशा की भांति बड़ी शीतला माता पालकी पर सवार होकर दोपहर बाद मंदिर से निकलेंगी और विभिन्न मार्गों का परिभ्रमण करते हुए बांधाघाट स्थित श्री पंचानन मंदिर में अपने भाई व क्षेत्र मित्र लेन स्थित अपनी छोटी बहन से मुलाकात करने के पश्चात स्नान कर अपने मंदिर वापस लौटेंगी. तत्पश्चात मां का विधिवत श्रृंगार होगा और दूसरे दिन फिर व्रती श्रद्धालुओं के लिए मां के मंदिर के पट खोले जायेंगे और सौलह आना पूजा का क्रम शुरू होगा. इस महापर्व पर उमड़ने वाले श्रद्धालुओं के सैलाब की सेवार्थ सैकड़ों संस्थाओं द्वारा जगह-जगह निःशुल्क चाय-काॅफी, शरबत-शिकंजी, पानी-बताशा आदि वितरण हेतु शिविरों का आयोजन किया जा रहा है.

बड़ी मां के मंदिर सूत्रों के मुताबिक सन् 1539 से इस उत्सव के मनाये जाने के प्रमाण हैं. अगर इसे ही सही माना जाये तो भी यह उत्सव 477 साल पुराना है, जिसका स्वरुप समय के साथ-साथ तेजी से बदला है और आज तो यह इतने विराट रूप में अनुष्ठित हो रहा है कि इसे शब्दों में बयां करना असंभव है. यह उत्सव क्यों मनाया जाता है? इसका उत्तर तो अतीत के गर्भ में छिपा है लेकिन लोगों का मानना है कि माघी पूर्णिमा के बाद होनेवाले ऋतु परिवर्तन में मां शीतला लोगों को चेचक जैसे रोगों से बचाये रखें इसकी सामूहिक कामना के लिये यह पर्व मनाया जाता है. वैसे वर्तमान में इस दिन को मनोकामना पूर्ति के दृष्टिकोण से भी देखा जाता है, जहां अनेक श्रद्धालु मनोकामना पूर्ति हेतु इस दिन उपवास रखते हैं वहीं बहुत से श्रद्धालु मनोकामना पूर्ण होने पर भी उपवास करते हैं. ऐसे श्रद्धालु भी हजारों हैं जो वर्षों से इस दिन उपवास रखते आ रहे हैं. हालांकि श्री शीतला माताएं सर्वत्र पूजित हैं लेकिन जितनी आस्था इस अंचल में देखने को मिलती है शायद कहीं नहीं और इसी वजह से उत्तर हावड़ा में शीतला माताओं के प्रमुख सात मंदिरों की संख्या अब लगभग 100 हो गयी है.

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