2006 में आग के बाद फीनिक्स पक्षी की तरह गुलजार हो गया था बाजार
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राख में आस टटोलते रहे दुकानदार
2006 में आग के बाद फीनिक्स पक्षी की तरह गुलजार हो गया था बाजार जल कर राख हो गये सामानों में से बचे हुए को चुनते दिखे दुकानदार कोलकाता : दमदम के गोराबाजार इलाके में स्थित बाजार वर्ष 2006 में भी बुरी तरह से जल गया था, लेकिन फीनिक्स पक्षी की तरह फिर से गुलजार […]
जल कर राख हो गये सामानों में से बचे हुए को चुनते दिखे दुकानदार
कोलकाता : दमदम के गोराबाजार इलाके में स्थित बाजार वर्ष 2006 में भी बुरी तरह से जल गया था, लेकिन फीनिक्स पक्षी की तरह फिर से गुलजार हो गया था. सोमवार को सरस्वती पूजा को लेकर रविवार को यह बाजार गुलजार था, लेकिन रात में लगी आग ने पूरे बाजार को भस्मीभूत कर दिया. दुकानदार राख में अपनी किस्मत तलाशते नजर आये. यूरोपीय किवदंती के अनुसार फीनिक्स एक बेहद रंगीन पक्षी है जिसकी दुम सुनहरी या बैंगनी होती है.
जीवन के अंत में यह खुद के इर्द-गिर्द लकड़ियों व टहनियों का घोंसला बनाकर उसमें स्वयं जल जाता है. घोंसला और पक्षी दोनों जल कर राख हो जाते हैं और इसी राख से एक नया फीनिक्स या उसका अंडा पुनर्जन्म लेता है और नये जीवन की शुरुआत करता है. गोराबाजार स्थित इस बाजार में किराना, पूजन सामग्री, चवाल, अंडा, मछली व मांस की दुकानों के साथ अन्य खाने-पीने की सामग्री की दुकानें थीं. कोलकाता के अन्य सब्जी बाजार की तरह ही इस बाजार की हालत थी. यह इलाका हिंदीभाषी बहुल इलाका है. यहां के बहुत से दुकानदार हिंदीभाषी हैं और यहां हिंदीभाषियों की जरूरतों की पूरी सामग्री मिलती है.
मध्यम वर्ग के लिए यह उपयुक्त बाजार माना जाता रहा है. अग्निकांड में भस्म हो चुके दर्शकर्मा दुकान के मालिक प्रेम कुमार साहा का कहना है कि उनके परिवार का पिछले 50 वर्षों से इस बाजार में दुकान है. इस अग्निकांड में उनकी दुकान का सारा माला स्वाहा हो गया है. लगभग दो लाख रुपये का नुकसान हुआ है. उन्होंने बताया कि इसके पहले 2006 में भी बाजार में आग लगी थी. तत्कालीन मंत्री रेखा गोस्वामी ने क्षतिपूर्ति का अाश्वासन दिया था, लेकिन केवल शेड बनाने के सिवा कुछ नहीं हुआ. वह उम्मीद रखते हैं कि अब तृणमूल कांग्रेस की सरकार है और नगरपालिका पर भी तृणमूल का कब्जा है तो इस बार निश्चित रूप से दुकानदारों को मदद मिलेगी और फिर से पहले ही तरह दुकानें खुलेंगी. बाजार में 12 से 13 चावल की दुकानें थीं. लगभग सभी दुकानें जल गयी हैं.
समीर दास, सौमित्र देवनाथ, आशीष देवनाथ, प्रेम साहा, किशोर साहा, काला बनिक, मदन बनिक, राजू साह, जवीन दे, मोना दे, बाबू घोष, लालटू मंडल, दिलीप साह तथा सुजय चक्रवर्ती की चावल दुकानें राख हो गयीं. आग बुझने के बाद कई दुकानदार जले चावल में से बचे चावल चुनते दिखे. ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वे राख में अपनी किस्मत तलाशने की कोशिश कर रहे हैं. दुकानदार गोविंद दास भी जले अंडों के बीच बचे अंडों को निकलाते दिखे. हालांकि उनका कहना था कि अब कुछ नहीं बचा. आग ने सबकुछ लील लिया.
मंत्री व्रात्य बसु व ज्योतिप्रिय मल्लिक ने लिया आग से नुकसान का जायजा
दमदम विधायक व राज्य के सूचना व प्रौद्योगिकी मामलों के मंत्री व्रात्य बसु व खाद्य मामलों के मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक ने बाजार का निरीक्षण किया एवं पीड़ित दुकानदारों को आश्वासन दिया. श्री बसु ने बताया कि यह बुहत ही दुखद है कि आग से इतना बड़ा नुकसान हुआ है. हमलोग इस पर विचार करेंगे कि कैसे दुकानदारों का पुनर्वास किया जाये और उनका काराबोर फिर से शुरू हो. खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक भी शाम में गोराबाजार पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया. उन्होंने कहा कि यह बहुत ही दुखद है लेकिन तृणमूल सरकार और दमदम नगरपालिका पूरी तरह से दुकानदारों के साथ है. हम दुकानदारों की मदद के लिए हर संभव कदम उठायेंगे और यह कोशिश करेंगे कि जल्द से जल्द बाजार शुरू हो.
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