बालूरघाट : समय पर चालक की नींद नहीं खुलने से बालूरघाट स्टेशन से निर्धारित समय से ढाई घंटे देरी से तेभागा एक्सप्रेस ट्रेन खुली. इसके चलते जाड़े के इस मौसम में यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. बता दें कि तेभागा एक्सप्रेस बालूरघाट स्टेशन से सप्ताह में छह दिन चलती है. सुबह 5.35 बजे इस ट्रेन का सही समय है. दोपहर ढाई से तीन बजे तक चितपुर स्टेशन पर पहुंचती है. दिन में ही इस ट्रेन के कोलकाता पहुंचने से इस ट्रेन में काफी संख्या में यात्रियों की भीड़ होती है. साथ ही मालदा या आसपास के ऑफिसों में काम करनेवाले दैनिक यात्री भी इस ट्रेन से चलते हैं.
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ढाई घंटे लेट से खुली तेभागा एक्सप्रेस, यात्रियों का हंगामा
बालूरघाट : समय पर चालक की नींद नहीं खुलने से बालूरघाट स्टेशन से निर्धारित समय से ढाई घंटे देरी से तेभागा एक्सप्रेस ट्रेन खुली. इसके चलते जाड़े के इस मौसम में यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. बता दें कि तेभागा एक्सप्रेस बालूरघाट स्टेशन से सप्ताह में छह दिन चलती है. सुबह 5.35 […]
मंगलवार को भी इस ट्रेन में सवार होने के लिए यात्री तड़के से स्टेशन पर इंतजार कर रहे थे. निर्धारित समय पर काउंटर खुलने पर यात्रियों ने टिकट कटाया. लेकिन समय बीतने के बाद भी ट्रेन नहीं खुली. नाराज यात्रियों ने काउंटर पर पहुंचकर इस संबंध में जानना चाहा. अंत में साढ़े छह बजे करीब लाउडस्पीकर से घोषित किया कि विशेष कारण से यह ट्रेन सुबह साढ़े सात बजे खुलेगी. इसके बाद यात्रियों में रोष देखा गया. यात्रियों ने निर्धारित समय पर कार्यालय में ड्यूटी पर नहीं पहुंच पाने की बात बताकर काउंटर से रुपये वापस मांगे. आरोप है कि रुपये वापस नहीं किये गये. इस बात को लेकर यात्रियों का स्टेशन मैनेजर के साथ विवाद शुरू हो गया.
यात्री राजर्षि साहा व शर्मिष्ठा साहा ने कहा कि ट्रेन देर से खुलेगी यह बात काफी देर बाद लाउडस्पीकर से घोषित की गयी. यह घटना एक-दो दिन की नहीं है. इसके पहले भी स्टेशन मास्टर नशे की हालत में मिले हैं. अक्सर ही कोई न कोई कारण दिखाकर ट्रेन को देरी से छोड़ा जाता है. मंगलवार को चालक की नींद नहीं खुली इसी वजह से ही ढाई घंटे बाद यह ट्रेन खुली. इससे उन्हें परेशान होना पड़ा. यहां तक कि काउंटर से टिकट के पैसे भी वापस नहीं किये गये.
इधर, स्टेशन मैनेजर चंदन कुमार भाट ने बताया कि आदिवासियों के रेल अवरोध के कारण रात 11 बजे पहुंचनेवाली यह ट्रेन तड़के तीन बजे पहुंची. नियम के मुताबिक चालक को छह घंटे तक की नींद लेनी पड़ती है. इस वजह से चालक सो रहा था. हालांकि चालक से बातचीत कर जितना जल्द संभव हो सका, इस ट्रेन के खुलने की व्यवस्था की गयी.
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