कोलकाता : बांग्लादेश के सूचना मंत्री हसनुल हक इनू ने कहा कि उनके देश से रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजने की शुरुआत बहुत जल्द होगी. म्यांमार की सेना की ओर से की गई कार्रवाई के बाद मजबूरन बांग्लादेश चले गए हजारों रोहिंग्या मुसलमानों को वापस अपने देश में लाने पर म्यांमार पिछले साल नवंबर में सहमत हुआ था. इनू ने यहां पत्रकारों को बताया कि म्यांमार और बांग्लादेश सरकारों के बीच समझौता हुआ है. हमें उम्मीद है कि जल्द ही उन्हें वापस भेजने की शुरुआत होगी.
यूं तो कोई समयसीमा नहीं है, लेकिन हाल में जो सीमा पार कर बांग्लादेश आए हैं, उनकी जांच की गई है और म्यांमार उन्हें वापस लेने पर सहमत हो गया है. उन्होंने रोहिंग्या संकट से निपटने के तौर-तरीके के लिए बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की तारीफ की. इनू ने कहा कि कोई भी शरणार्थी संकट अर्थव्यवस्था पर दबाव डालने वाला होता है, लेकिन बांग्लादेश सरकार इस परीक्षा में पास हुई है. अगस्त 2017 के बाद छह लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार के हिंसा प्रभावित रखाइन प्रांत से बांग्लादेश में दाखिल हो चुके हैं.
असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को अद्यतन किए जाने के बारे में पूछने पर इनू ने कहा कि बांग्लादेश के सीमावर्ती जिलों में पिछले 40 साल में हिंसा की ऐसी कोई घटना नहीं हुई है जिससे भारत में पलायन हुआ हो. इनू ने कहा, पिछले 40 साल में हिंसा की कोई ऐसी बडी घटना नहीं हुई है जिससे बांग्लादेश के सीमावर्ती जिलों से असम या त्रिपुरा में पलायन हुआ हो. उन इलाकों में पारिवारिक रिश्ते भी नहीं हैं. उच्चतम न्यायालय की निगरानी में 1951 के एनआरसी को अद्यतन करने का काम चल रहा है. इसका मकसद अवैध आव्रजन रोकने के लिए राज्य के मूल निवासियों की पहचान करना है.