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डॉक्टरों ने मनाया काला दिवस

विरोध. नेशनल मेडिकल कमिशन के खिलाफ खोला मोरचा विभिन्न स्थानों पर निकाली गयी विरोध रैली रायगंज जिला अस्पताल में धरने पर बैठे चिकित्सक 12 घंटे के लिए निजी प्रैक्टिस भी किया बंद जलपाईगुड़ी/कालियागंज : केंद्र सरकार की नेशनल मेडिकल कमिशन के नये बिल के खिलाफ पूरे राज्य के साथ ही सिलीगुड़ी, जलपाईगुड़ी, रायगंज और कूचबिहार […]

विरोध. नेशनल मेडिकल कमिशन के खिलाफ खोला मोरचा

विभिन्न स्थानों पर निकाली गयी विरोध रैली
रायगंज जिला अस्पताल में धरने पर बैठे चिकित्सक
12 घंटे के लिए निजी प्रैक्टिस भी किया बंद
जलपाईगुड़ी/कालियागंज : केंद्र सरकार की नेशनल मेडिकल कमिशन के नये बिल के खिलाफ पूरे राज्य के साथ ही सिलीगुड़ी, जलपाईगुड़ी, रायगंज और कूचबिहार सहित पूरे उत्तर बंगाल के सरकारी चिकित्सकों ने मंगलवार काला दिवस मनाया. हांलाकि इस दौरान सरकारी चिकित्सकों ने अस्पतालों के इनडोर तथा आउटडोर में रोगियों की चिकित्सा की लेकिन 12 घंटे के लिए प्राइवेट प्रेक्टिस बंद रखा. सिलीगुड़ी के उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में भी काला बैच पहनकर और हाथों में प्ले कार्ड लेकर चिकित्सकों ने विरोध रैली निकाली.
मंगलवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के उत्तर दिनाजपुर जिला अध्यक्ष डॉ. विपुल कुमार घोष ने कहा कि आगे से सरकार के हाथों में देश के मेडिकल कॉलेजों में भर्ती का कोटा सिर्फ 40 फीसदी रहेगा. वहीं 60 फीसदी कोटा गैरसरकारी संस्थानों को देने का निर्णय लिया गया है जिससे मेडिकल कॉलेजों में सिर्फ पैसे वाले परिवारों के बच्चों ही पढ़ पायेंगे.
आगामी दिनों में मेडिकल की पढ़ाई कॉर्पोरेट घरानों द्वारा संचालित की जायेगी. सिर्फ इतना ही नहीं अस्पतालों में एमबीबीएस के बदले आयुर्वेदिक व होमियोपैथिक चिकित्सकों को प्रशिक्षण देकर चिकित्सक के तौर पर नियुक्त किया जायेगा. डॉ. घोष का कहना है कि इससे आम लोग आधुनिक व मूल चिकित्सा सेवा से वंचित हो जायेंगे.
मंगलवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के उत्तर बंगाल के कन्वेनर डॉ. सुशांत राय ने पत्रकारों को बताया कि केंद्र सरकार द्वारा गठित नेशनल मेडिकल कमिशन का विरोध किया जा रहा है. इस कमिशन के 25 सदस्यों में से 24 सदस्य राजनैतिक जगत के हैं. इस कमेटी में किसी भी डॉक्टर को नहीं रखा गया है. सिर्फ इतना ही नहीं 29 राज्यों को बाहर रखकर सिर्फ 5 राज्य के प्रतिनिधि को कमिशन में रखा गया है. उन्होंने पत्रकारों को बताया कि पूरे देश में 10 लाख डॉक्टर हैं.
सभी डॉक्टर इसका विरोध कर रहे हैं. पत्रकार सम्मेलन में जलपाईगुड़ी सदर अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर गयाराम नस्कर भी उपस्थित थे. इसबीच,केंद्र सरकार की कथित रुप से अव्यावहारिक स्वास्थ्य नीति के खिलाफ कूचबिहार जिले के साथ दिनहाटा महकमा के चिकित्सकों ने स्वाभाविक चिकित्सा सेवा कायम रखते हुए प्रतिवाद रैली निकाली.
मंगलवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की दिनहाटा शाखा के बैनर तले रैली निकालकर चिकित्सकों ने केंद्र सरकार की नीति का विरोध किया. उल्लेखनीय है कि पूरे देश में आईएमए की ओर से काला दिवस के प्रतिवाद में यह रैली निकाली गयी. वहीं, दिनहाटा महकमा अस्पताल में आम दिनों की तरह ही ओपीडी में चिकित्सा सेवा सामान्य रही.
हालांकि अपने प्राइवेट चेम्बर बंद रखकर डॉक्टरों ने प्रतिवाद रैली में कदम से कदम मिलाये. वहीं, जिला स्वास्थ्य विभाग के सूत्र के अनुसार कूचबिहार के एमजेएन अस्पताल समेत जिले के तमाम सरकारी अस्पतालों में गंभीर मरीजों को ध्यान में रखते हुए चिकित्सा सेवा बहाल रही. वहीं, आईएमए की दिनहाटा शाखा के सभापति डॉ. विद्युत कमल साहा ने कहा कि केंद्र सरकार ने एलोपैथी, होमियापैथी और आयुर्वेद को मिलाकर एक खिचड़ी चिकित्सा पद्धति विकसित करना चाहती है जो अव्यावहारिक है.
दुकानें बंद रहने से मरीजों को परेशानी
इस स्वास्थ्य बिल के विरोध में रायगंज अस्पताल एवं यहां के निजी नर्सिंगहोमों में जरूरी सेवा बहाल रखते हुए काला दिवस मनाया गया. हालांकि चिकित्सकों ने प्राइवेट प्रैक्टिस बंद रखी थी. सुबह से ही यहां अनेक दवा की दुकानें भी बंद थीं. नर्सिंग होम में व प्राइवेट चेंबरों में रोगियों की लंबी कतारें देखी गयीं. दूर-दराज के इलाकों से इलाज के लिए आये मरीजों को निराश लौटना पड़ा. रायगंज जिला अस्पताल परिसर में काला बैज लगाकर चिकित्सकों एवं संगठन के सदस्यों ने धरना भी दिया.
इधर,जलपाईगुड़ी से हमारे संवाददाता के अनुसार केंद्र सरकार के नये बिल के खिलाफ मंगलवार को पूरे राज्य के साथ ही जलपाईगुड़ी के सरकारी डॉक्टरों ने भी आंदोलन का रुख किया. डॉक्टरों ने अपने सीने पर काला बैज लगाकर काला दिवस मनाया. सरकारी अस्पतालों के आउटडोर एवं इनडोर परिसेवा समान्य रही लेकिन 12 घंटों के लिए उन्होंने अपना प्राइवेट प्रैक्टिस बंद रखा.

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