Advertisement
बंगाली व मारवाड़ी समुदाय के बीच है समरसता
कोलकाता : अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन द्वारा कला मंदिर सभागार में आयोजित 83वें स्थापना दिवस के उद्घाटनकर्ता पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने संबोधन में मारवाड़ी समाज द्वारा दिये जा रहे जनकल्याण के कार्यों की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि मारवाड़ से निकल कर मारवाड़ियों का पहला प्रवास बंगाल में ही हुअा था. बंगाली एवं […]
कोलकाता : अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन द्वारा कला मंदिर सभागार में आयोजित 83वें स्थापना दिवस के उद्घाटनकर्ता पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने संबोधन में मारवाड़ी समाज द्वारा दिये जा रहे जनकल्याण के कार्यों की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि मारवाड़ से निकल कर मारवाड़ियों का पहला प्रवास बंगाल में ही हुअा था. बंगाली एवं मारवाड़ी समुदाय के बीच मधुर संबंधों एवं समरसता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि 1952 के चुनाव में स्वर्गीय बसंतराय मुरारका बंगाल के उस क्षेत्र से चुनाव जीते, जहां एक प्रतिशत भी मारवाड़ी नहीं थे.
यह समसरता का बहुत बड़ा उदाहरण है. कुरीतियों के उन्मूलन में मारवाड़ी सम्मेलन द्वारा किये जानेवाले प्रयासों की उन्होंने प्रशंसा की.
राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि देश में एेसा कोई स्थान नहीं है, जहां मारवाड़ी समाज के लोग न रहते हों. उन्होंने कहा कि आज यह समाज व्यापार के साथ-साथ कला, संस्कृति, साहित्य, तकनीक, शिक्षा एवं अन्य क्षेत्रों में अपना विशिष्ट स्थान बनाकर देश की प्रगति में योगदान कर रहा है.
इस समाज के सेठ जमनालाल बजाज एवं घनश्याम दास बिड़ला की स्वतंत्रता अांदोलन में अार्थिक भूमिका रही है. प्रमुख वक्ता सीताराम शर्मा ने पश्चिम बंगाल में मारवाड़ी समाज अौर सम्मेलन की पृष्ठभूमि पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने सम्मेलन के मुख्य उद्देश्यों-राष्ट्रीय एकता, समाज सुधार अौर समरसता की बात कहते हुए बंगाल में मारवाड़ियों के इतिहास का विस्तृत विवरण दिया.
राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रह्लादराय अगरवाला ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि मारवाड़ी समाज में पिछले कई दशकों में भारी बदलाव अाया है. शिक्षा, साहित्य, संस्कृति के साथ-साथ व्यापार-उद्योग में सुखद परिवर्तन घटा है, लेकिन सामाजिक एवं नैतिक मूल्यों में गिरावट चिंता का विषय है.
इस मौके पर सीताराम रुंगटा राजस्थानी भाषा साहित्य सम्मान बीकानेर निवासी डॉ नीरज दइया को प्रदान किया गया. पूर्व अध्यक्ष डॉ हरिप्रसाद कानोड़िया ने उन्हें श्रीफल, शाल, मानपत्र तथा राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी के हाथों तथा केदारनाथ भागीरथी देवी कानोड़िया राजस्थानी भाषा बाल साहित्य सम्मान के तहत राजस्थान के सोजत शहर निवासी अब्दुल समद राही को पूर्व अध्यक्ष रामअवतार पोद्दार ने श्रीफल, शाल, मानपत्र तथा निर्वतमान राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के हाथों मानपत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया.
इस मौके पर प्रकाशित सम्मेलन के मुखपत्र समाज विकास का विमोचन श्री मुखर्जी के हाथों राष्ट्रीय संगठन मंत्री संजय हरलालका ने तथा सम्मेलन के वर्तमान सत्र की सदस्यता डायरेक्टरी का विमोचन राज्यपाल के हाथों अोम प्रकाश अग्रवाल ने करवाया.
इसके पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रह्लादराय अगरवाला ने राज्यपाल, फाईनेंस कमेटी के चेयरमैन अात्माराम सोन्थलिया ने श्री मुखर्जी, पश्चिम बंग सम्मेलन के अध्यक्ष नंदकिशोर अग्रवाल ने सांसद विवेक गुप्त तथा उत्कल प्रदेश के अध्यक्ष अशोक जालान ने सीताराम शर्मा तथा अन्य मंचस्थों का राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री दिनेश जैन एवं दामोदर प्रसाद विदावतका, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष कैलाशपति तोदी ने बुके, मेमेंटो प्रदान कर तथा साफा पहनाकर स्वागत किया.
धन्यवाद ज्ञापन स्वागत कमेटी के चेयरमैन संतोष सराफ तथा कार्यक्रम के प्रथम सत्र का संचालन राष्ट्रीय महामंत्री शिव कुमार लोहिया ने किया. सुनीता लोहिया एवं टीम द्वारा प्रस्तुत राष्ट्रगान से कार्यक्रम का शुभारंभ एवं समापन हुअा.
दूसरे सत्र में नयी दिल्ली से पधारे अविष्का लोकमंच के कलाकारों द्वारा पेश किये गये रंगारंग राजस्थानी कार्यक्रम के तहत श्री राम स्तुति, धरती धोरां री, चरी नृत्य, मंजीर नृत्य, घूमर, डम-डम बाजे ढोल, कालबेलिया नृत्य के साथ सुरेश चंद्र व्यास द्वारा पेश किये भवई नृत्य की लोगों ने दिल खोलकर तारीफ की.
इस सत्र का संचालन राष्ट्रीय संगठन मंत्री संजय हरलालका ने किया. कार्यक्रम के दौरान कलामंदिर का सभागार खचाखच भरा हुअा था. पश्चिम बंगाल के अलावा, ओड़िशा, झारखंड, बिहार से भी सदस्य पधारे.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement