कोलकाता: हृदय और फेफड़ा प्रत्यारोपण मामले में भारत विश्व के अन्य देशों की तुलना में काफी पीछे है. वहीं महानगर में इस तरह के प्रत्यारोपण के लिए किसी निजी व सरकारी अस्पताल के पास लाइसेंस तक नहीं. हाल ही में इसके लिए केवल बीएम बिरला को लाइसेंस मिला है. वहीं चिकित्सकों की मानें तो पश्चिम बंगाल सहित महानगर में भी कई मरीज ऐसे हैं जिन्हें हृदय और फेफड़े के प्रत्यारोपण की आवश्यकता है, लेकिन अस्पताल व संसाधन के अभाव में ऐसे मरीजों को मौत को गले लगाना पड़ रहा है.
इसे ध्यान में रखते हुए एक नयी पहल की गयी है. ग्लेनिग्लस ग्लोबल हॉस्पिटल, जीडी हॉस्पिटल व डायबिटीज इंस्टीट्यूट की ओर से यह पहल की गयी है. बेंगलुरु के ग्लेनिग्लस ग्लोबल हॉस्पिटल को इस तरह के प्रत्यारोपण का विशेष अनुभव है इसलिए इस पहल को आरंभ किया गया है. इसके तहत महानगर के जीडी हॉस्पिटल में विशेष क्लीनिक चालू किया जायेगा जहां ग्लेनिग्लस ग्लोबल हॉस्पिटल की चिकित्सकों की टीम इलाज करेगी.
इस दौरान यह टीम ऐसे मरीजों की पहचान करेगी जो प्रत्यारोपण के लिए स्वस्थ हों. यह जानकारी ग्लेनिग्लस ग्लोबल हॉस्पिटल के वरिष्ठ प्रत्यारोपण सर्जन डॉ थेसी पिले ने दी. उन्होंने बताया कि इस प्रकार की सर्जरी के लिए यहां के सर्जन व फिजिशियन को हम ट्रेनिंग देने की भी योजना बनायी जा रही है. इस मौके पर जीडी हॉस्पिटल के सीइओ मुशरफा हुसैन भी उपस्थित थीं. उन्होंने बताया कि अस्पताल में जल्द ही यह सेवा शुरू की जायेगी. जांच के बाद मरीजों को प्रत्यारोपण के लिए बेंगलुरु स्थित ग्लोबल हॉस्पिटल भेज दिया जायेगा.