12.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मुकुल का कद बढ़े तो समर्थक आयेंगे साथ, भाजपा में कोई पद नहीं मिलने से अपने लोग निराश

सिलीगुड़ी. तृणमूल कांग्रेस को छोड़कर जब मुकुल राय भाजपा में शामिल हुए थे तो ऐसा लग रहा था कि पार्टी उनको सर माथे पर बिठा लेगी.भाजपा नेताओं ने जोरदार तरीके से पार्टी में उनका स्वागत किया था. उसके बाद तृणमूल कांग्रेस के अंदर मुकुल राय के भारी संख्या में समर्थकों के भी भाजपा में शामिल […]

सिलीगुड़ी. तृणमूल कांग्रेस को छोड़कर जब मुकुल राय भाजपा में शामिल हुए थे तो ऐसा लग रहा था कि पार्टी उनको सर माथे पर बिठा लेगी.भाजपा नेताओं ने जोरदार तरीके से पार्टी में उनका स्वागत किया था. उसके बाद तृणमूल कांग्रेस के अंदर मुकुल राय के भारी संख्या में समर्थकों के भी भाजपा में शामिल होने की चर्चा हो रही थी. तब से लेकर अबतक कई महीने का समय बीत चुका है. तृणमूल कांग्रेस छोड़कर मुकुल राय का साथ देने के लिए भाजपा में कोई नहीं आ रहा है.
भाजपा ने भी मुकुल राय को सरकारी स्तर पर सुरक्षा बढ़ा देने के अलावा कुछ भी नहीं किया है.उन्हें मंत्री आदि बनाने की बात तो दूर पार्टी तक में कोई पद नहीं दी गयी है. वह साधारण कार्यकर्ता के रूप में भाजपा के लिए कार्य कर रहे हैं. स्वभाविक तौर पर उनके समर्थक काफी निराश हैं. यही कारण है कि दक्षिण बंगाल में कोई बड़ा नाम मुकुल राय के साथ नहीं गया. अब बारी उत्तर बंगाल की है.
तृणमूल के अंदर भी है हलचल: भाजपा में शामिल होने के बाद मुकुल राय पहली बार सिलीगुड़ी के दौरे पर आ रहे हैं. ऐसा माना जाता है कि सिलीगुड़ी ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के अंदर उनके काफी समर्थक और हितैषी हैं.मुकल राय के सिलीगुड़ी आने से तृणमूल के अंदर भी खलबली मची हुयी है.कभी मुकुल राय के करीबी रहे तृणमूल कांग्रेस के नताओं पर आला कमान की नजर है.जिला तृणमूल अध्यक्ष तथा राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव स्वयं पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए हैं.
लेकिन अबतक जो स्थित दिख रही है उससे लगता नहीं है कि कोई तृणमूल के अंदर से मुकुल राय के साथ जायेगा.इस बात का अंदाजा गौतम देव तथा जिले के शीर्ष तृणमूल नेताओं को भी है. पिछले दो दिनों से उनके माथे पर चिंता की लकीरें कम हो गयी है. गौतम देव स्वयं मुकुल राय के दौरे को कोई भाव नहीं देना चाहते. उन्होंने कहा कि सभी को राजनीति करने का हक है. सिलीगुड़ी में कौन नेता आया और कौन गया,इससे तृणमूल को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है.कुछ इसी प्रकार की बातें तृणमूल के एक अन्य नेता संजय पाठक ने भी कही है. श्री पाठक का कहना है कि भाजपा में मुकुल राय की ही कोई पूछ नहीं है तो भला वह दूसरे का क्या कल्याण करेंगे.
सारधा और नारदा कांड को दोषी मान रहे समर्थक: ऐस तृणमूल के अंदर उनके समर्थकों के साथ ही भाजपा के लोगों को भी लगता है कि सारधा और नारदा आदि मामले में मुकुल राय का नाम आने से उनको काफी नुकसान हुआ है. इन दोनों मामलों की जांच सीबीआई कर रही है और श्री राय इसको लेकर सीबीआई के सामने हाजिरी भी दे चुके हैं.भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि इन दो मामलों के कारण ही मुकुल राय को पार्टी कोई पद नहीं दे रही है.इसके अलावा यदि उनको राज्य में कोई पद दिया जाता है तो पार्टी के अंदर ही घमासान मचने की संभावना है. उस नेता ने आगे कहा कि जबतक मुकुल राय सारधा तथा नारदा आदि मामले से बरी नहीं हो जाते तबतक उनको पार्टी अथवा सरकार के अंदर कोई बड़ा पद मिलने की संभावना कम है.भाजपा नेता ने आगे कहा कि पार्टी तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा है. यदि इस समय मुकुल राय को कोई बड़ी जिम्मेदार मिलती है तो जनता में गलत संदेश जायेगा.इसबीच,मुकुल राय को प्रदेश अध्यक्ष का पद भी नहीं मिलने वाला है. प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने बता दिया है कि राज्य में वही भाजपा के बॉस हैं. उसके बाद जो भी नेता है वह दूसरे नंबर पर है. हांलाकि उन्होंने यह बोलते हुए मुकुल राय का नाम नहीं लिया. हांलाकि मुकुल राय के बारे में पूछने पर पर उन्होंने कहा कि मुकुल राय काफी बड़े नेता हैं.उनको पार्टी उचित सम्मान देगी. प्रदेश स्तर पर नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर उनको पद मिलेगा.वह अभी पार्टी के एक अनुशासित सिपाही की तरह भाजपा के विकास के लिए कार्य करेंगे.
एनजेपी में सिर्फ भाजपा के लोगों की भीड़
इसबीच,मुकुल राय जब गुरूवार को ट्रेन से एनजेपी स्टेशन पहुंचे तो माना जा रहा था कि तृणमूल के कुछ नेता उनके स्वागत के लिए स्टेशन पहुंच सकते हैं. परंतु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.हां भाजपा के लोग भारी संख्या में मुकुल राय के स्वागत के लिए आये. उनका भाजपा नेताओं और समर्थकों ने जोरदार स्वागत किया. ऐसे भाजपा की ओर से भले ही शानदार स्वागत हुआ लेकिन तृणमूल कांग्रेस के अंदर मुकुल राय के अंध समर्थकों को भी भाजपा में उनकी अहमियत को लेकर हताशा है. उनके करीबी कुछ नेताओं से जब बात की गयी तो उन्होंने कहा कि भाजपा में मुकुल राय की ही कोई पूछ नहीं है. वह भला किसी दूसरे का क्या कल्याण करेंगे. उनके साथ भाजपा में जाने का मतलब है राजनैतिक करियर खत्म करना. एक तृणमूल नेता ने कहा कि मुकुल राय तृणमूल में थे तो पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी के साथ उनकी दूरी के बाद भी उनकी काफी पूछ थी. ममता ने तमाम मतभेदों को भुलाकर उनको दोबारा सांसद बनाया. अब तो उनकी सांसदी भी भाजपा के चक्कर में चली गयी. उनको पार्टी में कोई अदना सा पद तक नहीं दिया गया. सांसद और मंत्री बनाने की बात तो काफी दूर की है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें