सिलीगुड़ी. संयुक्त वन प्रबंधन समितियों (जेएफएमसी) को राज्य सरकार की ओर से प्राप्त फंड में घोटाला करने का आरोप कोऑपरेटिव बैंक पर लगा है. मंगलवार को यह मामला सामने आया है. उसके बाद से ही खलबली मच गयी है. यह घटना देशबंधु समवाय कृषि विकास समिति लिमिटेड बैंक की है. आरोप है कि प्रस्ताव पास करने के 6 महीने बाद भी यह बैंक जेएफएमसी को करीब 38 लाख रुपये नहीं दे पा रही है.
वैकुंठपुर वन विभाग के आमबाड़ी रेंज ने मंगलवार को बैंक प्रबंधन को जल्द से जल्द रुपये देने के लिए एक पत्र दिया है. साथ ही निर्धारित समय में रुपये नहीं मिलने पर बैंक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की भी बात कही गयी है. जबकि बैंक प्रबंधन ने अगले एक महीने में पूरी राशि समितियों को देने का लिखित आश्वासन दिया है.
उल्लेखनीय है कि प्राकृतिक आपदाओं के दौरान वन संपदा को काफी नुकसान होता है. जंगल के काफी पेड़ गिर जाते हैं. इन वन संपत्तियों को वन विभाग सरकारी नियमानुसार नीलामी के माध्यम से बेचता है. इससे प्राप्त धन का 15 प्रतिशत वन विभाग जेएफएमसी में वितरित करती है. इन रुपयों से जेएफएमसी वन बस्ती इलाकों का विकास कार्य करती है. सड़क, बिजली, पानी आदि आवश्यकतओं की पूर्ति के अतिरिक्त शिक्षा के लिए भी इस पैसे को खर्च किया जाता है. हाथी व अन्य जंगली जानवरों के हमले व अन्य प्राकृतिक आपदाओं में वन बस्ती इलाकों के निवासियों का घरबार क्षतिग्रस्त होने पर भी जेएफएमसी की ओर से आर्थिक सहायता दी जाती है. कुंठपुर रेंज के अंतर्गत तालमा व अन्य कई जेएफएमसी समितियों के 38 लाख रुपये देशबंधु समवाय कृषि विकास समिति लि. (कॉपरेटिव बैंक) में जमा पड़ा है. यह रुपये वर्ष 2016 से बैंक में पड़ा हुआ है. बार-बार मांग किये जाने के बाद भी बैंक यह राशि देने में आनाकानी कर रहा है. आरोप है कि इन रुपयों के बारे में बैंक प्रबंधन सही जवाब तक नहीं दे पा रहा है.
मंगलवार की सुबह बेलाकोवा के रेंजर व आमबाड़ी रेंज के प्रभारी संजय दत्त व जेएफएमसी के सदस्य जलपाईगुड़ी जिला के कुंदरदिघी स्थित देशबंधु समवाय कृषि विकास समिति लि. बैंक पहुंचे. रेंजर ने रुपये निकासी के लिए बैंक को पत्र भी दिया. लेकिन बैंक ने रुपये देने में आनाकानी की. रेंजर द्वारा पूछने पर बैंक प्रबंधक ने बताया कि इन रुपयों को फिक्स कर दिया गया है. उस रुपये को निकालने के लिए कुछ दिन का वक्त देना होगा. इस घटना से बैंक पर घोटाले का आरोप लगने लगा है.
ऑक्सन के बाद 15 प्रतिशत समितियों के खाते में पहुंचता है. नियमानुसार समितियां अपने सदस्यों को लेकर एक बैठक कर प्रस्ताव पास करेगी. इसके बाद बैंक से रुपये की निकासी की जा सकती है. रेंजर के मुताबिक रुपये निकासी के लिए बैंक को प्रस्ताव की कॉपी दिये हुए छह महीने से अधिक का समय बीत चुका है. आमबाड़ी रेंज के सरकारी पैड पर भी रुपये निकासी के लिए दो महीना पहले बैंक को पत्र दिया गया है. लेकिन फिर भी बैंक पैसे नहीं दे पा रहा है. रेंजर के मुताबिक बैंक किसी भी कीमत पर इन रुपयों को फिक्स नहीं कर सकता है. ऐसा करने के लिए बैंक प्रबंधन को जेएफएमसी की अनुमति लेनी होगी. जबकि ऐसा नहीं हुआ है. अब सवाल यह उठता है कि यदि जेएफएमसी ने रुपये फिक्स करने पर सहमति नहीं जतायी तो फिर बैंक प्रबंधन ने किस आधार पर इन रुपयों को फिक्स किया. फिक्स का ब्याज आखिर किसे मिलेगा.
क्या कहना है बैंक अधिकारी का
इस संबंध में देशबंधु समवाय कृषि विकास समिति लि. बैंक की मैनेजर कल्पना राय ने बताया कि कोऑपरेटिव बैंक के लिए 38 लाख रुपये एक बड़ी रकम है. इतनी बड़ी रकम को बैंक बचत खाते में नहीं रख सकती है. इसलिए इन रुपयों को राजगंज स्थित हेड ऑफिस में फिक्स कर रखा गया है. इन रुपयों को निकालने के लिए पैन कार्ड की आवश्यकता है, लेकिन बैंक के नाम का पैन कार्ड नहीं है. इस सिलसिले में हेड ऑफिस से भी संपर्क किया गया है. अगले एक महीने में जेएफएमसी को रुपये दे दिये जायेंगे.