क्योंकि बार-बार दर में बदलाव करने से जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) प्रभावित हो रहा है, जो कि नयी कर-व्यवस्था का मेरूदंड है. श्री मित्रा ने कहा कि नेटवर्क संभालने में लगे लोगों को भी पसीने छूट रहे हैं. ऐसा सिर्फ इसलिए हो रहा है, क्याेंकि केंद्र सरकार ने बिना तैयारी के ही जीएसटी को लागू किया था.
पहले ही अगर दरों को लेकर विस्तृत समीक्षा की जाती, तो यह समस्या पैदा नहीं होती. इससे केंद्र व राज्य सरकार दोनों को ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. रोजमर्रा के जीवन में प्रयोग किये जानेवाले उत्पादों पर जीएसटी दर कम करने के फैसले का उन्होंने स्वागत किया, लेकिन साथ ही उन्होंने इसके लिए विशेष नीति बनाये जाने की सिफारिश की. अपनी इच्छा से किसी भी उत्पाद पर कर दर कम करना उचित नहीं है. इसके साथ ही डॉ मित्रा ने आरोप लगाते हुए कहा कि जीएसटी से राजस्व में वृद्धि होने की जो आशा की गयी थी, वह लक्ष्य प्राप्त नहीं हुआ है. अगस्त-सितंबर महीने में केंद्र के कोषागार में लगभग 65 हजार करोड़ रुपये कम आये हैं, जबकि राज्यों को लक्ष्य से लगभग 30 हजार करोड़ रुपया कम मिला है. उन्होंने कहा कि जीएसटीएन की समस्या की वजह से ऐसा हुआ है.