इसी क्रम में पूरे देश के शिक्षकों को फिर से एक विशेष ट्रेनिंग कार्यक्रम से जोड़ा जा रहा है, ताकि वे स्कूल में बेहतर शिक्षा दे सकें. कक्षा पांचवीं व आठवीं में पास-फेल प्रथा फिर से 2019 से लागू हो सकती है. इस पर चर्चा तो चल रही है, लेकिन यह फैसला राज्य सरकार पर निर्भर है.
लागू करने से पहले हर राज्य को अपनी स्थिति इस मामले में स्पष्ट करनी होगी. अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार शिक्षा प्रणाली को दुरुस्त करने के लिए नये मॉडल तैयार कर रही है. इसमें नयी नीतियों के साथ दूर-दराज के स्कूलों में भी शिक्षकों को टैबलाइड देकर अपने काम व उपस्थिति का ब्याेरा ऑनलाइन देने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसमें जम्मू व कश्मीर के स्कूल भी अब अच्छा काम कर रहे हैं. वहां शिक्षा प्रणाली में नये मॉडल से काम किया जा रहा है. महाराष्ट्र में संदीप गूंड ने एक डिजिटल स्कूल की शुरुआत की. लगभग 60,000 स्कूलों ने इस मॉडल का अनुसरण किया. मिड डे मील के लिए एनजीओ अक्षय पात्रा की चल रहीं सेवाएं भी स्कूलों में बेहतर हैं.
यह संस्था एक साल में लगभग 1.5 मिलियन से तीन मिलियन बच्चों को मिड डे मील प्रदान करता है. उन्होंने कहा कि टीचर ट्रेनिंग प्रोग्राम का अपना एक महत्व है. शिक्षा में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिकाएं हैं. प्री-सर्विस ट्रेनिंग, चयन प्रक्रिया, सर्विस के बाद ट्रेनिंग व लगातार उन्हें प्रशिक्षण देने की प्रणाली देश में शुरू की गयी है. साथ ही बी एड डिग्री प्रदान करनेवाले सभी 16,000 कॉलेजों को एफिडेविट देने के लिए कहा गया है.
इनमें से 12,000 ने ही अभी तक जमा करवाया है. 4,000 ने अभी तक नहीं करवाया है. सभी विश्वविद्यालयों के अलावा 11 लाख शिक्षक बिना प्रशिक्षण के हैं, बाद में उनकी ट्रेनिंग कोर्स में शामिल किया गया. स्कूली शिक्षा में पीपीपी मॉडल की चर्चा करते हुए कहा कि शाला सारथी वेबसाइट पर सभी एनजीओ व सीएसआर फंडिंग एजेंसी आगे आकर फंडिंग कर सकती हैं व स्कूल की गतिविधियों पर नजर रख सकती हैं. सत्र की अध्यक्षता एमसीसीआइ के पूर्व अध्यक्ष हेमंत बांगुर ने की. रामकिशन मिशन विद्यालय, नरेंद्रपुर के प्रिंसिपल स्वामी वेदापुरुषानंद महाराज, इंडस वैली वल्ड स्कूल के निदेशक जोसेफ मैथ्यू ने भी अपने विचार व्यक्त किये. एमसीसीआइ की एजुकेशन स्टैंडिंग कमेटी के चैयरमेन समीर सराफ ने धन्यवाद ज्ञापन दिया.