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हिंदी माध्यम के छात्रों को ममता बनर्जी सरकार का तोहफा, 11वीं व 12वीं के प्रश्नपत्र हिंदी में भी
कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने राज्य के हिंदी भाषियों ने तोहफा दिया है. माध्यमिक के बाद अब 11वीं और 12वीं कक्षा में प्रश्न पत्र अंग्रेजी और बांग्ला के साथ-साथ हिंदी में भी रहेंगे, ताकि हिंदी माध्यम के छात्रों को असुविधा का सामना नहीं करना पड़े. इससे ग्यारहवीं व बारहवीं के हिंदी माध्यम के […]
कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने राज्य के हिंदी भाषियों ने तोहफा दिया है. माध्यमिक के बाद अब 11वीं और 12वीं कक्षा में प्रश्न पत्र अंग्रेजी और बांग्ला के साथ-साथ हिंदी में भी रहेंगे, ताकि हिंदी माध्यम के छात्रों को असुविधा का सामना नहीं करना पड़े. इससे ग्यारहवीं व बारहवीं के हिंदी माध्यम के करीब 85 हजार छात्रों को फायदा मिलेगा. हिंदी में प्रश्न पत्र होने से उन्हें प्रश्नों को समझने में काफी सहूलियत होगी. अब तक ये प्रश्न पत्र अंग्रेजी और बांग्ला में मिलते थे.
राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने प्रभात खबर को बताया कि ग्यारहवीं व बारहवीं की अगली परीक्षा के दौरान हिंदी में भी प्रश्न पत्र पूछे जायेंगे. इस बाबत आदेश दे दिये गये हैं तथा अगली परीक्षा में यह लागू होगी.
लंबे समय से चल रहा अभियान: माध्यमिक व उच्च माध्यमिक के हिंदी माध्यम के छात्रों को हिंदी में प्रश्न पत्र उपलब्ध कराने की मांग वर्षों से चल रही है.
प्रभात खबर ने इस अभियान में सक्रिय भूमिका निभायी थी. हिंदी भाषियों की मांग को मानते हुए 2011 में सत्ता में आयी ममता बनर्जी की सरकार ने माध्यमिक में हिंदी में प्रश्न पत्र देने की घोषणा की. अब 11वीं और 12वीं में भी हिंदी में प्रश्न पत्र उपलब्ध कराने की घोषणा की है. पूर्व सांसद आरसी सिंह तथा आसनसोल के तत्कालीन नगर निगम चेयरमैन (इस समय मेयर) जितेन्द्र तिवारी के नेतृत्व में सक्रिय हिंदी माध्यम शिक्षा विकास मंच का गठन किया गया था. एकीकृत बर्दवान जिले के तत्कालीन जिलाशासक (इस समय केएमडीए के सीइओ) डॉ सौमित्र मोहन ने भी सरकार से इसकी जोरदार सकारात्मक अनुशंसा भी की थी. मंच का तर्क था कि राज्य सरकार ने आसनसोल में हिंदी माध्यम कॉलेज की स्थापना कर स्नातक स्तर तक की शिक्षा हिंदी माध्यम में देने की व्यवस्था की है. स्नातक की परीक्षा में हिंदी में प्रश्नपत्र मिल रहे हैं. माध्यमिक में हिंदी में प्रश्नपत्र मिल रहे हैं, तो फिर 12वीं की परीक्षा में हिंदी में प्रश्न पत्र मिलना हिंदी माध्यम के परीक्षार्थियों का नैतिक अधिकार है. इस मुद्दे पर मंच ने राज्यव्यापी अभियान चलाया तथा विभिन्न माध्यमों से राज्य सरकार के पास इसकी अनिवार्यता को रखा. कई सेमिनार विभिन्न शहरों यथा आसनसोल, सिलीगुड़ी, नैहटी तथा कोलकाता आदि शहरों में आयोजित किये गये. राज्य के श्रम सह विधि व न्यायमंत्री मलय घटक तथा एडीडीए चेयरमैन तापस बनर्जी ने भी इसका जोरदार समर्थन किया. उन्होंने भी शिक्षा मंत्री श्री चटर्जी को कई पत्र लिखे.
क्या है पूरा मामला
राज्य सरकार के स्तर से हिंदी माध्यम के स्कूलों का संचालन किया जाता है. ये स्कूल उच्च माध्यमिक स्तर तक के होते हैं. माध्यमिक परीक्षा में इन हिंदी माध्यम के स्कूलों के परीक्षार्थियों को हिंदी में प्रश्नपत्र मिलते हैं तथा हिंदी में ही उन्हें उत्तर पुस्तिका लिखनी पड़ती है. इसके कारण परीक्षार्थियों को प्रश्न समझने में कोई परेशानी नहीं होती. लेकिन उच्च माध्यमिक (11वीं एवं12वीं कक्षा) की वार्षिक परीक्षा में इन परीक्षार्थियों को प्रश्नपत्र हिंदी में नहीं मिलते हैं. उन्हें प्रश्न पत्र या तो अंग्रेजी में मिलते हैं या फिर बांग्ला में. हालांकि उन्हें हिंदी में उत्तर पुस्तिका लिखने का अधिकार है. अंग्रेजी या बांग्ला में प्रश्न होने के कारण अधिसंख्य परीक्षार्थी प्रश्न को सही तरीके से समझ नहीं पाते हैं. उत्तर का ज्ञान होने के बाद भी वे उसका उत्तर नहीं लिख पाते हैं. परीक्षा के दौरान अधिसंख्य परीक्षक बांग्लाभाषी होते हैं, इस कारण वे भी उनकी कोई मदद नहीं कर पाते हैं. इसका प्रभाव उनके रिजल्ट पर पड़ता है तथा वे बेहतर परिणाम हासिल नहीं कर पाते हैं.
संयुक्त सचिव ने बोर्ड अध्यक्ष को भेजा निर्देश
शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव ने पश्चिम बंगाल उच्च माध्यमिक शिक्षा परिषद के चेयरमैन महुआ दास को 29 जून, 2017 को इस बाबत पत्र लिखा है. पत्र संख्या 528-एसइ/एस/10एम-65/2017 में पश्चिम बंगाल के 11वीं व 12वीं के हिंदी माध्यम के छात्रों को हिंदी में प्रश्न पत्र उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है. इसमें हिंदी माध्यम के छात्रों को हिंदी में प्रश्न पत्र देने का आदेश दिया गया है.
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