कोलकाता. सात समुंदर पार कराइके, एक नवा देश का सपना दिखाइके, ले गयो सूरीनाम बताइके… गीत ने कार्यक्रम में उपस्थित भारत सरकार के विदेशी मामलों के राज्य मंंत्री एमजे अकबर को भी भावुक कर दिया. वह कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के सूरीनाम घाट पर डच प्लेक के अनावरण के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि शामिल थे. यह कार्यक्रम नीदरलैंड व रिपब्लिक ऑफ सूरीनाम के दूतावास ने माई-बाप मेमोरियल ट्रस्ट, सूरीनाम व कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के साथ मिलकर आयोजित किया था.
उन्होंने कहा कि अपनी जमीन छोड़ कर जाने वाले इन भारतीयों ने आज भी वहां पर अपनी संस्कृति की महक कायम रखी है. हालांकि उन्होंने भारत छोड़ कर दूसरे देश जाने वाले श्रमिकों के इस प्रवास को इतिहास का सबसे बड़ा धोखा बताया. यह एक कड़वी सच्चाई थी, जिसे शब्दों के फरेब में डालकर कुछ और बनाने का काम किया गया था. आज स्थिति बदल गयी है. आज किसी को अपना वतन छोड़ कर जाने की जरूरत नहीं है. यहीं रहकर हम अपने देश के मिट्टी को सोने में बदल सकते हैं. भारत में सूरीनाम की राजदूत आशना कन्हाई ने भोजपुरी व मैथिली के साथ बांग्ला में भी अभिवादन किया. उन्होंने भारत सरकार को प्रवासी भारतीयों को पहचान देने की पहल का तहेदिल से स्वागत किया.
26 फरवरी1873 में लैला रुक जहाज हुआ था रवाना : वर्ष 1873 में यहीं से लैला रुक नामक जहाज 400 गिरमिटिया मजदूरों को लेकर लगभग तीन महीने बाद पांच जून को सूरीनाम के तट पर पहुंचा था. आज भी सूरीनाम में 5 जून को इंडियन एराइवल डे के रूप में मनाया जाता है. वर्ष 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस स्थान पर माई-बाप ट्रस्ट की एक प्रतिमा का भी किया था अनावरण. यह सूरीनाम के लोगों को अपने पुरखों को दिया गया सम्मान है.
हेरिटेज का दर्जा दिलाने का प्रयास जारी : पोर्ट ट्रस्ट के चेयरमैन विनीत कुमार ने कहा कि इस स्थान को हेरिटेज का दर्जा दिलाने व उसके अनुुरूप विकसित करने का प्रयास जारी है. वर्तमान में आम पर्यटक विशेष सुरक्षा कारणों से यहां नहीं आ सकते हैं.