दुर्गापुर : शुक्रवार तड़के दामोदर नदी पर निर्मित दुर्गापुर बैराज के एक नंबर लॉक गेट के अचानक टूट जाने से अफरातफरी मच गयी. गेट का मरम्मत कार्य युद्धस्तर पर शुरू किया गया है. जल निकासी की धारा तेज होने के कारण मरम्मत में दिक्कतें आ रही हैं. वरीय प्रशासनिक व संबंधित विभागों के वरीय अधिकारी वहां कैंप कर रहे हैं. अत्यधिक जल निकासी से बैराज से जुड़े निचले इलाकों और बांकुडा व बर्दवान के सीमावर्ती इलाके में जलप्लावन की स्थिति बन गयी है.
साथ ही ऊपरी जल स्तर में लगातार हो रही गिरावट के कारण विभिन्न कारखानों और वाटर ट्रीटमेंट प्लाटों की परेशानियां बढ़ सकती है. गुरुवार की रात भी गेट को नियम के खिलाफ खोले जाने की बात स्थानीय निवासियों ने कही है. एक नंबर गेट का एक फीट हिस्सा खिसका हुआ है. गेट के अनियमित रूप से खोले जाने के कारण गेट का एलायमेंट खराब हो जाने के कारण घटना घटी है. बैराज में आपातकाल के लिए तीन गेट बने हैं, लेकिन रखरखाव के अभाव में सभी बेकार हो चुके हैं.
इधर, घटना के कई घंटे के बाद डीवीसी ने पंचेत व मैथन डैमों से पानी छोड़ना बंद कर दिया, जिससे धीरे-धीरे दुर्गापुर बैराज के समीप दामोदर का जल स्तर कमने लगा है. जल स्तर कम होने के कारण गेट मरम्मत में काफी मदद मिलने की संभावना है. लेकिन मुख्य सवाल यह है कि मैथन तथा पंचेत डैमों से पानी को कब तक बंद रखा जा सकेगा. बैराज के रखरखाव और मरम्मत की जिम्मेदारी राज्य सरकार के सिंचाई विभाग की है. डीवीसी का कार्य आपात स्थिति में राज्य सरकार के विभाग की मदद करना है,
जिसे देखते हुए मैथन का पानी बंद किया गया है. इस घटना को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. घटना के मद्देनजर दुर्गापुर पश्चिम विधानसभा के विधायक विश्वनाथ पाड़ियाल ने इस घटना के लिए केंद्र सरकार और डीवीसी प्रबंधन को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि बारिश के दिनों में भारी मात्रा में मैथन से पानी छोड़ने के कारण बैराज के गेट कमजोर हो चुके हैं. इसकी मरम्मत से लेकर बैराज की सफाई नहीं की गयी है, जिससे कि इसकी गहराई दिन-प्रतिदिन कम हो रही है.
इस कारण थोड़ी बारिश होते ही बाढ़ की स्थिति हो जाती है. उन्होंने सिंचाई विभाग पर लग रहे रखरखाव में उदासीनता के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि पानी के भीतर क्या हो रहा है, उसे ऊपर से समझाना मुश्किल है. राज्य सरकार की ओर से बैराज के रखरखाव के लिए पैसा आवंटन किया जाता है. इस मामले में राज्य सरकार पर दोष मढ़ना ठीक नहीं है. दुर्गापुर महकमा शासक शंख सातरा ने बताया कि स्थिति काबू में है. कोलकाता से आयी टेक्निकल टीम ने अपना कार्य शुरू कर दिया है.
पूरे घटनाक्रम पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व सिंचाई मंत्री राजीव बनर्जी नजर रखे हुए हैं.
कोलकाता मुख्यालय से टेक्निशियनों की टीम ने युद्धस्तर पर शुरू किया कार्य
डीवीसी के पंचेत, मैथन जलाशयों से जल निकासी पर लगायी पूर्ण रोक
दामोदर के जलस्तर गिरने से कारखानों, वाटर प्रोजेक्टों को लगेगा बड़ा ग्रहण
घटना के बाद से शुरू हो गया आरोप-प्रत्यारोप का दौर
दुर्गापुर बैराज के पानी पर ही कारखाने िनर्भर
दुर्गापुर बैराज के पानी पर ही शिल्पांचल में स्थित डीएसपी, डीपीएल सहित सभी छोटे-बड़े कारखाने निर्भर हैं. आसपास के शहरों में भी पेयजल की सप्लाई इससे जुड़ी है. आशंका है कि यदि समय रहते गेट की मरम्मत नहीं हो पायी, तो पूरे शिल्पांचल सहित आसपास के इलाकों में पानी का बड़ा संकट पैदा हो सकता है.
1955 में बना था, पर अब तक नहीं हुई मरम्मत
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि वर्ष 1955 में दामोदर नदी की भयावहता को कम करने और जल की समस्या को दूर करने के लिए दामोदर नदी पर दुर्गापुर और बांकुड़ा के बीच इस बैराज का निर्माण किया गया था. स्थानीय लोगों का कहना है कि निर्माण के बाद से लेकर अभी तक बैराज की मरम्मत नहीं की गयी है. कई बार इसकी मरम्मत की मांग उठ चुकी है. उनका आरोप है कि नियमानुसार दुर्गापुर की ओर के प्रथम तीन गेट और बांकुड़ा की ओर के तीन गेटों को बारिश के वक्त अधिक पानी होने की स्थिति में खोला जाता है. परंतु कुछ लोगों द्वारा मछली पकड़ने तथा अन्य कार्यों के लिए रात के समय वक्त-वेवक्त गेट को खोल दिया जाता है.