कोलकाता: भाजपा नेता मुकुल राय ने 10 नवंबर को रानी रासमणि एवेन्यू में आयोजित सभा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और सांसद अभिषेक बनर्जी पर विश्वबंग के लोगो और कंपनी के मालिकाना को लेकर आरोप लगाये गये.
राज्य के गृह सचिव अत्रि भट्टाचार्य ने तुरंत आरोप को गलत बताते हुए बयान दिया था कि मुकुल राय के आरोप पूरी तरह से गलत हैं. इसके बाद राज्य के एक और वरिष्ठ आइएएस अधिकारी राजीव सिन्हा ने मुकुल राय के बयान को गलत बताते हुए दावा किया कि कंपनी राज्य सरकार की है और इसका सारा शेयर राज्य सरकार का है.
आरोप-प्रत्यारोप के दौर के बीच, मुकुल राय ने दोनों अधिकारियों को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि इस तरह के राजनीतिक आरोप का जवाब देकर इन अधिकारियों ने अपने सर्विस रूल के तहत कोड आॅफ कंडक्ट का उल्लंघन किया है. लिहाजा इनके खिलाफ जो आवश्यक कार्रवाई होनी चाहिए, उसे किया जाये.
इसके बाद उन्होंने अत्रि भट्टाचार्य पर कटाक्ष करते हुये कहा कि हमेशा लोगों को गुमराह करना इनकी फितरत है. इसके पहले यह पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य को डूबा चुके हैं और अब वैसा ही कर रहे हैं.
अमित शाह के बुलावे पर गुजरात गये मुकुल राय
भाजपा में शामिल होने के बाद मुकुल राय ने ममता बनर्जी और भतीजे व सांसद अभिषेक बनर्जी पर जो गुगली फेंकी थी. उस पर राज्य सरकार लगातार सफाई दे रही है. मुकुल के पहले राउंड की सफलता को देखते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने आननफानन में उन्हें गुजरात चुनाव के प्रचार के लिए अहमदाबाद बुला लिया. अध्यक्ष के बुलावे पर बगैर देरी किये मुकुल तुरंत गुजरात पहुंच गये, जहां उनके साथ बंगाल की राजनीति पर चर्चा करने के बाद श्री शाह ने उन्हें गुजरात के बंगाली बहुल इलाकों में प्रचार की कमान दे दी है. एक तरह से वह मुकुल राय को बंगाली समुदाय में पकड़ को भी परखना चाहते हैं. इसके अलावा बंगाल के भाजपा नेताओं को संदेश भी देना चाहते हैं कि मुकुल को पार्टी केवल बंगाल में ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर उपयोग करेगी.
उल्लेखनीय है कि भाजपा के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय के साथ मुकुल राय नदिया में पार्टी के संगठन का जायजा लेने व सभा करने गये हुए थे. शनिवार को जब वह पार्टी के कार्यों में व्यस्त थे, तभी अचानक दिल्ली से मुकुल राय को बुलावा आया. श्री विजयवर्गीय की सलाह पर वह तुरंत रवाना हो गये. रविवार को अहमदाबाद हवाईअड्डे पर अमित शाह की मुकुल राय से मुलाकात होती है. कुछ देर दोनों नेता एकांत में बातचीत करते हैं. हालांकि दोनों नेताओं ने बातचीत का खुलासा नहीं किया है. कयास लगाये जा रहे हैं कि मुकुल राय के पहले दौर के परफाॅरमेंस से अमित साह खुश हैं. नतीजतन वह गुजरात चुनाव में बंगाली समुदाय प्रभावित इलाकों में प्रचार के लिए पूरी तरह मुकुल का उपयोग करेंगे, क्योंकि जिस अंदाज में वह मुकुल राय से बात कर रहे थे, उससे लग रहा था कि वह मुकुल को काफी तवज्जो दे रहे हैं.
इधर, मुकुल राय के करीबियों का कहना है कि श्री राय इस बात को भली-भांति जानते हैं कि बंगाल भाजपा के लोग उनके लिए रेड कारपेट नहीं बिछाकर रखे हुए हैं. अभी बंगाल भाजपा के लोग चुप हैं, तो केवल दिल्ली के नेताओं का रुख देखकर. मौका मिलते ही वे अपना असली रंग दिखायेंगे. लिहाजा मुकुल किसी गुटबाजी में पड़ने की बजाय केंद्रीय नेतृत्व के मार्गदर्शन में प्रदेश नेतृत्व के साथ तालमेल रखते हुए पार्टी का काम करने के मूड में हैं.
इधर, केंद्रीय भाजपा नेतृत्व प्रदेश भाजपा के दिग्गज वक्ताओं को दरकिनार करते हुए मुकुल राय को सामने लाया है. इसके पीछे रणनीति है कि जब मुकुल राय प्रचार में जायेंगे, तो ममता बनर्जी के कभी खास रहे मुकुल के प्रति मीडिया का ध्यान जायेगा और उन्हें प्रचार भी ज्यादा मिलेगा. यह लाभ प्रदेश भाजपा के नेताओं के जाने से नहीं मिलता. इसके अलावा मुकुल जब प्रदेश में आयेंगे, तो उन्हें भाजपा के कामकाज करने के तरीके और नेताओं से मिलने का जो मौका मिलेगा. उसका फायदा आनेवाले दिनों में बंगाल चुनाव को मिलेगा. एक तरह से मुकुल का यह दौरा भाजपा में उनकी ट्रेनिंग मानी जा रही है. अब उनके पास पुराना अनुभव तो होगा ही, साथ में भाजपा का ट्रेंड भी सीखने का मौका मिलेगा. इसका लाभ वह पश्चिम बंगाल के अगले चुनाव में उठा सकते हैं.