शालीमार रेल यार्ड के आबादा शिफ्ट होने पर चार हजार श्रमिक बेरोजगार हो गये. इन श्रमिकों का कहना है कि आबादा रेल यार्ड में काम करने वाले श्रमिक स्थानीय हैं. संकराइल के आबादा में यह रेल यार्ड स्थित है. पिछले कुछ महीनों से यहां काम शुरू हुआ है. रेल यार्ड की ओर जाने वाली सड़कें पूरी तरह टूटी हुई हैं. विशाल क्षेत्रफल में फैले इस यार्ड में जरूरत के अनुसार लाइट नहीं है.
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आबादा रेल यार्ड में ट्रांसपोर्टरों को हो रही दिक्कत
हावड़ा: रेलवे ने शालीमार रेल यार्ड के बजाय बीसीएन वैगन को आबादा रेल यार्ड में प्रवेश की अनुमति तो दे दी, लेकिन वहां आधारभूत संरचना का अभाव होने के चलते ट्रांसपोर्टर मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि बिना किसी तैयारी के शालीमार रेल यार्ड में बीसीएन वैगन के आने पर […]
हावड़ा: रेलवे ने शालीमार रेल यार्ड के बजाय बीसीएन वैगन को आबादा रेल यार्ड में प्रवेश की अनुमति तो दे दी, लेकिन वहां आधारभूत संरचना का अभाव होने के चलते ट्रांसपोर्टर मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि बिना किसी तैयारी के शालीमार रेल यार्ड में बीसीएन वैगन के आने पर रोक लगाकर उसे आबादा रेल यार्ड भेज दिया.आबादा रेल यार्ड में आधुनिक सुविधाएं तो दूर, बुनियादी सुविधाएं भी मयस्सर नहीं है. शालीमार रेल यार्ड की तरह सामान रखने के लिए गोदाम नहीं है. पेयजल की भी किल्लत है.
श्रमिकों का कहना है कि कई बार ऐसा होता है कि आधी लाइटें ही जलती हैं. शाम ढलने के बाद पूरा यार्ड परिसर सूनसान हो जाता है. यार्ड के अंदर मर्चेंट हाउस की भी हालत तंग है. बिजली की तारें खुली हुई हैं. कमरे के अंदर गंदगी बिखरी है. पेयजल के लिए एक टैंक रेलवे की ओर से लगाया गया है लेकिन वह पर्याप्त नहीं है. यहां तीन शिफ्टों में 13 रेलवे कर्मचारी यार्ड में कार्यरत हैं. कर्मचारियों ने बताया कि इस यार्ड में काम करना आसान नहीं है. मालूम रहे कि 350 करोड़ की लागत से शालीमार कोचिंग टर्मिनल बनने जा रहा है. यहां नया स्टेशन बिल्डिंग, नया प्लेटफार्म, फ्लाइ ओवर के साथ बहुत कुछ बनेगा. यही कारण है कि यहां बीसीएन वैगन के प्रवेश पर रोक लगा दी गयी.
मई 2017 में ट्रांसपोर्टरों को बीसीएन वैगन के प्रवेश पर रोक लगाने का आदेश दिया गया था. शालीमार हावड़ा डिस्ट्रिक्ट लॉरी एंड टेंपो एसोशिएशन के सदस्यों ने तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु से मुलाकात की थी. रेल मंत्री ने 30 सितंबर तक इस फैसले को टाल दिया था लेकिन उनके इस्तीफे के कुछ दिनों बाद ही रेलवे ने फिर से रोक लगा दी. आबादा रेल यार्ड में शिफ्ट करने के पहले कम से कम बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था होनी चाहिए थी. शालीमार रेल यार्ड की तरह आबादा में नाइट इनसेनटिव नहीं मिलता है
वीरेंद्र प्रसाद सिंह, महासचिव, (शालीमार हावड़ा डिस्ट्रिक्ट लॉरी एंड टेंपो एसोशिएशन)
आबादा रेल यार्ड में अस्थायी सड़क बनायी गयी है. यह सही है कि लाइट जरूरत के मुताबिक कम है. बहुत जल्द सारी समस्यायों को दुरुस्त कर दिया जायेगा. आबादा रेल यार्ड में आधारभूत संरचना ठीक करने के लिए हेडक्वार्टर में बैठक हुई है. यार्ड में पेयजल की व्यवस्था है. 500 लीटर का एक टैंक वहां रखा गया है. मर्चेंट रूम की भी वहां व्यवस्था है. रेल यार्ड में सभी सुविधाएं बहुत जल्द उपलब्ध करायी जायेगी.
कुलदीप तिवारी, सीनियर डीसीएम, खड़गपुर.
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