कोलकाता. सर गंगा राम हॉस्पिटल, दिल्ली के डॉ परमेश्वर अरोरा, एमडी, आयुर्वेद ने कहा कि डेंगू, चिकनगुनिया जैसी बीमारियों से बचने के लिए जरूरी है कि हम अपने शरीर में रोगों से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता विकसित करें. डॉ अरोरा ने कोलकाता प्रेस क्लब में ये बातें कहीं.
इसके बावजूद प्रत्येक मौसम में एक नयी बीमारी सामने अा जाती है. कोई मच्छर मारने के लिए कहता है, तो कोई चिकन, लेकिन हमें यह समझना होगा कि आज से 100 वर्ष पहले भारतीयों में जैसी प्रतिरोधक क्षमता थी. रोगों से लड़ने की क्षमता थी. अब वह धीरे-धीरे खत्म हो गयी है. हमें इसे विकसित करना होगा. आयुर्वेद रोगों से लड़ने के लिए शरीर में प्रतिरोधात्मक क्षमता विकसित करता है.
उन्होंने कहा कि आंवला में सबसे ज्यादा विटामिन सी है तथा यह नष्ट नहीं होता है. उसी तरह से हल्दी में बहुत ही अधिक रोग प्रतिरोधक क्षमता है. डॉ अरोरा ने कहा कि इसी तरह से रात को सोने के पहले हल्दी मिला हुआ गर्म दूध का इस्तेमाल करें, तो इससे शरीर में रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है. इसके साथ ही एक चम्मच च्यवनप्राश का सेवन स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत ही बेहतर है. उन्होंने कहा कि यह गलत अवधारणा है कि शरीर को एंटीऑक्सीडेंट करने के लिए पानी का अधिक सेवन जरूरी है. क्योंकि आयुर्वेद का मानना है कि सर्दी व गरमी को छोड़ कर सभी ऋतुओं में सामान्य रूप से ही पानी का सेवन करना चाहिए.