आम तौर पर व्यस्क लोग ही इस बीमारी के चंगुल में फंसते हैं. यह एक जानलेवा बीमारी है. इस बीमारी के इलाज के लिए बायपास सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है. लेकिन अब बगैर बाइपास सर्जरी के ही इसका सफल उपचार किया जा रहा है. यह बाते अपोलो चेन्नई हॉस्पिटल के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ जी सेनगोट्टूवेलु ने कही. वह महानगर के प्रेस क्लब में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे.
उन्होंने बताया कि अब कुछ ऐसे वाॅल्व तैयार किये गये है जिसे बगैर सर्जरी के एजियोप्लास्टि की तरह मरीज के हर्ट में डाल दिया जाता है. इस तकनिक को ट्रांसस्कैंड एओर्टिक वाॅल्व रिप्लेसमेंट ( टीएवीआई) कहा जाता है. हाल के दिनों में चेन्नई ओपोलो में विशेष तरह से इस प्रकार की सर्जरी की जा रही है. डॉक्टर ने कहा कि जहां बायपास सर्जरी के दौरान 10 फीसदी मामलों में मरीज की जान जाने की जोखिम बनी रहती है, जबकि उक्त तकनीक पर मात्र 1 फीसदी का जोखिम माना जाता है.