कोलकाता : बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि चिट फंड की अनियमितताओं व घोटाले की जांच में केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्यों के पास जो कानून है उसके जरिये इन घोटालों को नहीं रोका जा सकता.
ये कंपनियां कानून की खामियों का फायदा उठाती हैं. केंद्र को इस दिशा में पहल करनी चाहिए. कई बार कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है लेकिन वह अदालत जाकर स्थगनादेश हासिल कर लेते हैं. भारतीय रिजर्व बैंक, सेबी और एमसीए को मिल कर एक एकीकृत नियामक बनाना चाहिए.
कड़े कानून के जरिये इस पर रोकथाम की जा सकती है. श्री मोदी ने सारधा घोटाले में तृणमूल सांसदों के नाम आने से संबंधित सवाल पर कहा कि यदि कोई नेता इससे जुड़ा है तो उसके खिलाफ उसकी पार्टी को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. उन्हें काफी खुशी है कि बिहार का कोई नेता इससे जुड़ा हुआ नहीं है.
उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व में बिहार में जेवीजी घोटाला हुआ था, उसमें लालू प्रसाद का नाम सामने आया था. श्री मोदी ने कहा कि पिछले हफ्ते वह सेबी चेयरमैन यूके सिन्हा से मिले थे. पश्चिम बंगाल और बिहार में फैले चिटफंड कंपनियों के संबंध में उनसे बात की थी. मामले की जांच एसएफआइओ कर रही है, लेकिन उसके पास मानव संसाधन की कमी है. उसके 90 फीसदी पद रिक्त हैं. उनकी जांच के लिए प्रधानमंत्री व वित्त मंत्री को पहल करनी चाहिए.
श्री मोदी ने बिहार में रोज वैली के क्रियाकलापों पर उंगली उठायी. उनका कहना था कि ग्रामीणों को वह बंगाल के किसी दूर दराज होटल में ठहराने की बात करते हैं. उनका कहना था कि बिहार में काम करने वाली सभी चिटफंड कंपनियां बंगाल में कार्यरत हैं. बंगाल के अलावा पड़ोस के राज्यों में वह अपना दायरा बढ़ाती हैं.
उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भरोसा जताते हुए कहा कि वह एक ईमानदार और परिश्रमी महिला हैं. आशा है कि वह राज्य में चिटफंड की रोकथाम के लिए सभी जरूरी कदम उठायेंगी.