सिलीगुड़ी. दार्जिलिंग जिला सीपीआइएम ने जिला प्रशासन व राज्य सरकार पर ‘जानने के अधिकार’ का हनन करने का आरोप लगाया है. एनजीटी के निर्देशानुसार घाट बनाने के संबंध में प्रशासन से पूछनेवाले लोगों के खिलाफ किए गये मामले को बिना शर्त वापस लेने की मांग की गयी है. मंगलवार को जिला पार्टी कार्यालय अनिल विश्वास […]
सिलीगुड़ी. दार्जिलिंग जिला सीपीआइएम ने जिला प्रशासन व राज्य सरकार पर ‘जानने के अधिकार’ का हनन करने का आरोप लगाया है. एनजीटी के निर्देशानुसार घाट बनाने के संबंध में प्रशासन से पूछनेवाले लोगों के खिलाफ किए गये मामले को बिना शर्त वापस लेने की मांग की गयी है. मंगलवार को जिला पार्टी कार्यालय अनिल विश्वास भवन में पत्रकारों को संबोधित करते हुए सीपीआइएम के जिला सचिव जीवेश सरकार और दिलीप सिंह ने बताया कि एनजीटी का निर्देश मानने को सभी तैयार हैं. लेकिन निर्देश के अनुसार किस तरह से घाट बनाया जाए, यह सवाल तो स्वाभाविक रूप से उठेगा ही.
उल्लेखनीय है कि घाट कैसे बनाया जाए और एनजीटी के निर्देशानुसार छठ पूजा आयोजन कैसे किया जाये, इस बारे में प्रशासन से प्रश्न करनेवाले करीब 150 हिंदीभाषियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. सभी पर भारतीय दंड विधान की धारा 107 लगायी गयी है. सीपीआइएम नेताओं ने कहा कि प्रश्न करना नागरिकों का अधिकार है और उत्तर देना प्रशासन की जिम्मेदारी. लेकिन प्रशासन अपने दायित्वों से मुंह मोड़कर लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर रहा है. यह लोकतांत्रिक देश की परंपरा नहीं है.
उन्होंने कहा कि राज्य व केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ वाम मोर्चा आगामी एक नवंबर को सिलीगुड़ी के एयरव्यू मोड़ से बाघाजतीन पार्क तक एक पदयात्रा का आयोजन कर रहा है. इस पदयात्रा में पूरे उत्तर बंगाल से वामो समर्थक शामिल होंगे.