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मददगार हैं तृणमूल के नेता

कोलकाता: बड़ाबाजार के दो नेताओं पर रंगदारी लेने का आरोप लगानेवाले नव कुमार शील के आरोप को खुद उनके किरायेदार पंकज कुमार गर्ग ने निराधार बताया है. किरायेदार गर्ग ने कहा कि वह 38 नंबर मुक्ताराम बाबू स्ट्रीट में उन्होंने जो कमरा शील परिवार से लिया था, उसके कई हिस्सेदार हैं. नव कुमार शील का […]

कोलकाता: बड़ाबाजार के दो नेताओं पर रंगदारी लेने का आरोप लगानेवाले नव कुमार शील के आरोप को खुद उनके किरायेदार पंकज कुमार गर्ग ने निराधार बताया है. किरायेदार गर्ग ने कहा कि वह 38 नंबर मुक्ताराम बाबू स्ट्रीट में उन्होंने जो कमरा शील परिवार से लिया था, उसके कई हिस्सेदार हैं. नव कुमार शील का अन्य हिस्सेदारों से विवाद चल रहा है, जिसकी जानकारी उन्हें नहीं थी. इसलिए वह नव कुमार को भुगतान देकर मकान का एक हिस्सा किराये पर लिये थे. लेकिन जब वह मरम्मत करवाने लगे, तो अन्य हिस्सेदारों द्वारा उन्हें रोक दिया गया.
इस घटना की जिम्मेदारी जब उन्होंने नव कुमार शील को दिया, तो उन्होंने मामले को सुलझा लेने का वादा किया. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और मामले को उलझाये रखा, जिससे उनका नुकसान हो रहा था. इस पर वह मदद की गुहार लगाते हुए कई लोगों के पास दर-दर भटके. दूसरी तरफ, मकान की मरम्मत का काम रोकनेवाले अन्य हिस्सेदार भी स्थानीय थाने में गुहार लगाते हुए पत्र लिखे और धारा 144 भी लगवायी. पंकज कुमार गर्ग ने बताया कि इधर काम रुकता देख वह स्वपन बर्मन के पास अपनी फरियाद लेकर गये, तो उन्होंने तपन राय के पास भेज दिया.
तपन राय ने सभी पक्षों को लेकर गिरीश पार्क स्थित एक दफ्तर में बैठक की और सबकी मौजूदगी में तय हुआ कि अन्य हिस्सेदारों को भी पैसे दिया जायेंगे. इस पर सभी पक्ष राजी भी हो गये. चूंकि मकान वह 17 लाख रुपये सलामी देकर लिये थे. बावजूद इसके समझौते के मुताबिक उन्हें डेढ़ लाख रुपये अतरिक्त देने पड़े, जबकि बाकि के डेढ़ लाख रुपये नव कुमार शील को देना था. वह करार के मुताबिक दो अलग-अलग चेक के मार्फत भुगतान करने पर राजी हो गये. उन्होंने बकायदा दो चेक भी दिये, जिसके आधार पर सुप्रिय शील की तरफ से उनके मित्र ने चेक का भुगतान करवाया. जबकि दूसरा चेक रोक कर नव कुमार शील, स्वपन बर्मन और तपन राय पर रंगदारी देने का आरोप लगाते हुए जगह-जगह शिकायत कर उनकी मानहानि करने लगे. पंकज के बयान को स्थानीय लोग और मकान के अन्य हिस्सदार भी सही बता रहे हैं. इस बाबत जब प्रतिक्रिया लेने के लिए नव कुमार शील से उनके मोबाइल नंबर पर संपर्क किया गया, तो वह स्वीच आॅफ रहा. जबकि लैंडलाइन पर घंटी बजती रही, कोई फोन नहीं उठाया.
हालांकि स्वपन बर्मन से जब इस बाबत बात की गयी, तो उन्होंने कहा कि मैं राजनीति में हूं और मेरे पास काफी लोग अपनी समस्या लेकर आते हैं. पंकज कुमार गर्ग भी आया था. जिसे मैं तपन राय के पास भेजा और तपन सबकी सहमति से आवश्यक कदम उठाते हुए सभी पक्षों की रजामंदी से एक आम राय कायम करने में सफल रहे. चूंकि मामला पैसों की लेन-देन का था और रंगदारी मांगने की बात बिल्कुल निराधार है. साजिश के तहत उन पर आरोप लगाये जा रहे हैं, ताकि उनकी छवि खराब हो. खुद तपन राय ने बताया कि नव कुमार शील जिस तरह का आरोप लगा रहे हैं, वह उनकी फितरत है. चूंकि वह बाकि हिस्सेदारों का भी पैसा हजम करना चाहते थे, जो कि नाजायज था, जिसे लोगों की मदद से रोक दिया गया और उनको रकम देनी पड़ी. इससे बौखला कर वह इस तरह के अनाप-शनाप आरोप लगा रहे हैं.

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