सिलीगुड़ी. सिलीगुड़ी के महानंदा नदी में छठ पूजा आयोजन को लेकर विवाद चरम पर है. एनजेटी ने महानंदा को प्रदूषण से बचाने का निर्देश जारी किया है. एनजीटी के अनुसार किसी भी कीमत पर नदी की धारा को अवरूद्ध नहीं किया जाना चाहिए. जिसके आधार पर जिला प्रशासन ने छठ पूजा के दौरान बांस व काठ के अस्थायी ब्रिज बनाने के साथ ही नदी के बीच में घाट बनाने पर रोक लगा दी है.
महानंदा नदी में लाखों की तादाद में छठ व्रती पूजा करने आते हैं. जबकि इस विवाद से इस बार का छठ पर्व जम नहीं रहा है. विवाद में उलझने के बजाये अधिकांश छठ व्रती पड़ोसी राज्य बिहार व उत्तर प्रदेश स्थित अपने गांव जा रहे हैं. छठ पूजा विवाद से बस वालों की बल्ले-बल्ले है.
दुर्गापूजा के बाद जिलाधिकारी के एलान के बाद से सिलीगुड़ी में छठ पूजा आयोजन को लेकर विवाद गहराया हुआ है. बीच नदी में घाट न बनाने के निर्देश से काफी छठव्रती प्रभावित होंगे. जबकि प्रशासन ने इस समस्या को अबतक दूर नहीं किया है. पहले दुर्गापूजा के समाप्त होते ही महानंदा में घाट घेरने का काम शुरू हो जाता था. वहीं इस बार महानंदा नदी में अब तक किसी ने भी घाट घेरने की हिम्मत तक नहीं की है. छठ पूजा को नदी घाट के किनारे ही होना है. मौजूदा हालात को देखते हुए पड़ोसी राज्य बिहार, उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों से ताल्लुक रखने वाले छठव्रती अपने गांव की ओर चल पड़े हैं. उनका कहना है कि इस विवाद का अंजाम क्या होगा किसी को नहीं पता. छठ पूजा का दिन निकट है. गुरुवार की शाम अस्ताचल भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाना है. जबकि सोमवार तक विवाद सुलझा नहीं है. मंगलवार को नहाय खाय के साथ छठ पूजा पर्व की शुरूआत हो जायेगी. इसी वजह से वे लोग अपने गांव जा रहे हैं. इस बार वहीं पर छठ पूजा करेंगे. सिलीगुड़ी जंक्शन बस स्टैंड से बिहार के लिए रवाना होने वाली चंद्रिका मंडल, देवाशीष महतो, बबीता झा, चंद्रकला मिश्रा आदि ने बताया कि महानंदा में छठ पूजा करने वाले छठ व्रतियों की संख्या लाखो में हैं.
यदि नदी के बीच में घाट नहीं बनाने दिया गया तो नदी के दोनों किनारों पर सभी छठ व्रतियों को घाट मिलना असंभव है. सोमवार तक विवाद जारी है. जबकि मंगलवार से छठ पर्व शुरू है. नहाय-खाय के दिन भी अगर वे अपने गांव पहुंच जाते हैं तो आसानी से पूजा का आयोजन कर सकते हैं.
आस्था का यह महापर्व किसी भी कीमत पर स्थगित नहीं की जा सकती है. इस विवाद की वजह से जो लोग अपने गांव जा रहे हैं, उनका पूरा परिवार इस बार पूजा में शामिल नहीं हो सकेगा. इस बात का मलाल उन्हें है.
बिहार, उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न भागों में छठ पूजा का आयोजन बड़े ही धूमधाम से किया जाता है. काम के सिलसिले में देश के विभिन्न भागों में रहने वाले बिहार, उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों के लोग अपने घर लौटते हैं. लेकिन इस बार छठ पूजा के समय सिलीगुड़ी से बिहार व उत्तर प्रदेश स्थित अपने गांव जाने वालों की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी हुई है. पिछले वर्ष की अपेक्षा इस सीजन में सिलीगुड़ी से बिहार व उत्तर प्रदेश जाने वाले बस यात्रियों की संख्या में करीब 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है. यात्रियों की संख्या में अचानक भारी उछाल से निजी बस वालों की बल्ले-बल्ले है. सिलीगुड़ी से पड़ोसी राज्य बिहार व उत्तर प्रदेश को जाने वाली करीब 50 निजी बसे हैं. इस समय किसी भी बस में एक सीट मिलना मुश्किल है. लोग बस के केबिन, नीचे चटाई बिछाकर बैठने को राजी है.
चटाई पर भी बैठ कर यात्रा
सिलीगुड़ी निजी बस ऑनर व सीट बुकिंग कमीशन एजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के संयुक्त सचिव श्रवन मिश्रा ने बताया कि अगले दो दिन तक बिहार व उत्तर प्रदेश जाने वाली बसों में एक भी सीट उपलब्ध नहीं है. एक साथ सीट ना मिलने से एक ही परिवार के सदस्य टुकड़ों में रवाना हो रहे हैं. पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार छठ पूजा के दौरान बस यात्रियों की संख्या में 15 से 20 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. यात्री नीचे चटाई पर बैठकर भी यात्रा कर रहे हैं.