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रेल को बदनाम करने का कुचक्र

कोलकाता : 9 अक्तूबर 2017 को मालदा मंडल के बरहरवा स्टेशन पर रात लगभग साढ़े नौ बजे ड्यूटी पर तैनात रेलवे सुरक्षा बल के स्टाफ ने देखा कि एक औरत अकेली बैठी हुई है. उसे रक्त स्राव हो रहा था. पूछने पर कि वह किस ट्रेन से जायेगी, उसने बताया कि वह एक बेवा है […]

कोलकाता : 9 अक्तूबर 2017 को मालदा मंडल के बरहरवा स्टेशन पर रात लगभग साढ़े नौ बजे ड्यूटी पर तैनात रेलवे सुरक्षा बल के स्टाफ ने देखा कि एक औरत अकेली बैठी हुई है. उसे रक्त स्राव हो रहा था. पूछने पर कि वह किस ट्रेन से जायेगी, उसने बताया कि वह एक बेवा है और गोड्डा जिले के ललमटिया में रहती है. वह यहां की रहनेवाली नहीं है.

वह जमालपुर-रामपुरहाट पैसेंजर ट्रेन में पीरपैंती स्टेशन से बैठी थी और उसे करमटोला स्टेशन उतरना था, लेकिन पांच लोगों ने उसे उतरने नहीं दिया तथा उसे जबरन साहेबगंज स्टेशन तक ले आये और वहां उन्होंने उसे लगभग एक घंटे तक बिठाये रखा फिर प्लेटफार्म नंबर दो से साहेबगंज-रामपुरहाट पैसेंजर जो वहां से 19.26 पर खुली, उसमें बिठा लिया और उसके साथ दुष्कर्म करने के बाद अगले स्टेशन संकरीगली पर उतर गये. वह महिला बरहरवा स्टेशन पर ही उतर गयी. इस बारे में तुरंत राजकीय रेल पुलिस को सूचित किया गया.

महिला को तुरंत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बरहरवा ले जाया गया और भरती कराया गया. इसके बाद वहां मीडियाकर्मी आ भी गये. तुरंत सुरक्षा नियंत्रण कक्ष को सूचित किया गया. घटना की गंभीरता को देखते हुए पूर्व रेलवे के सुरक्षा मुख्यालय को भी सूचित किया गया. आनन-फानन में इस गंभीर घटना की सूचना महानिदेशक, रेलवे सुरक्षा बल को दी गयी. राजकीय रेल पुलिस से अनुरोध कर महिला का चिकित्सकीय परीक्षण शीघ्र कराने को कहा गया. साहेबगंज- रामपुरहाट पैसेंजर गाड़ी की सुरक्षा में तैनात रेलवे सुरक्षा बल के मार्ग अनुरक्षण दल के सहायक उपनिरीक्षक समेत पांच स्टाफ को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया.

जब महिला की तबीयत चिकित्सालय में थोड़ी ठीक हुई और उसे अगले दिन 11 अक्तूबर को चिकित्सकीय परीक्षण के लिए भेजने की बात उसे बतायी गयी तो उसने अपना चिकित्सकीय परीक्षण कराने से मना कर दिया. ट्रेन में कथित दुष्कर्म की घटना को सभी अखबारों में सुर्खियों से छापा गया. रेल व विशेषकर रेलवे सुरक्षा बल की अक्षमता और अकर्मण्यता को भी कोसा गया. महिलाएं रेल यात्रा के दौरान सुरक्षित नहीं हैं, ऐसी भी टिप्पणियां की गयीं.
11 अक्तूबर को महिला ने इलेट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया को बताया कि वह एक बेवा महिला है और उसके साथ किसी ने भी दुष्कर्म नहीं किया. रेल यात्रा के दौरान वह मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव अर्द्धबेहोशी की स्थिति में थी. बाद में महिला का यही बयान रेलवे न्यायाधिकारी साहेबगंज के द्वारा अपराध दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के अंतर्गत कलमबंद किया गया.
बाद में जांच की गयी तो महिला के दुष्कर्म वाले बयान में विरोधभाष भी पाया गया. महिला ने बताया था कि वह जमालपुर -रामपुरहाट पैसेंजर ट्रेन में पीरपैंती से चढ़ी थी, लेकिन उसे पांच लोगों ने करमटोला स्टेशन पर उतरने नहीं दिया और जबरदस्ती साहेबगंज ले आये. जांच करने पर ज्ञात हुआ कि वह ट्रेन भीड़ से इतनी खचाखच भरी होती है कि भीड़ के बीच किसी महिला को इस तरह अगवा करने की कोई संभावना ही नहीं बनती, क्योंकि अगर महिला मदद के लिए चिल्लाती तो ट्रेन के यात्री उन असामाजिक तत्वों की अच्छी खासी कुटाई कर देते. भीड़ की हथेलियां वैसे भी इस तरह के कामों के लिए खुजलाती ही रहती हैं. उसका यह भी कहना था कि साहेबगंज स्टेशन पर उसे उन पांच लोगों ने जबरदस्ती 50 मिनट तक बैठाये रखा.

कोई भी महिला अगर सार्वजनिक स्थल व चहल पहलवाले स्टेशन या स्थल पर खड़ी हो तो वह लोगों के समक्ष मदद के लिए तुरंत चिल्लाकर गुहार लगायेगी और बदमाशों के चंगुल से छूटने की यथासंभव कोशिश करेगी लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं किया. बाद में ज्ञात हुआ कि महिला ने उस ट्रेन से यात्रा ही नहीं की थी और मनगढंत कहानी बनायी थी. दूसरा तथ्य प्रकाश में आया कि दूसरी जिस ट्रेन में महिला उन युवकों के साथ सवार हुई थी और उसने बताया कि साहिबगंज और सकरीगली स्टेशनों के बीच चलती ट्रेन में पांच लोगों ने उसके साथ दुष्कर्म किया और सकरीगली स्टेशन पर उतर गये. परिचालन चार्ट से ज्ञात हुआ कि ट्रेन साहिगबंज से सायंकालीन 07.26 पर प्रस्थान की थी और सकरीगली 07.37 पर रुक कर पार कर गयी थी. अब मात्र 11 मिनटों में एक महिला के साथ पांच व्यक्तियों द्वारा दुष्कर्म किया जाना ऐसी घटना है जिस पर सहज विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन उस समय महिला अपने बयान पर अडिग थी लिहाजा राजकीय रेल पुलिस में मामला दर्ज किया गया. अस्पताल में डाक्टरों की अनौपचारिक राय थी कि लगातार अधिक मात्रा में रक्तस्राव दो ही कारणों से संभव है या तो गर्भपात हुआ हो या गर्भाशय कैंसर हो. अगर महिला के साथ वास्तव में दुष्कर्म हुआ ही था तो उसने चिकित्सकीय परीक्षण कराने से क्यों इनकार कर दिया, कारण यही था कि उसे ज्ञात था कि चिकित्सकीय परीक्षण में दूध का दूध, पानी का पानी हो जायेगा. इस तरह लोक-लाज से बचने के लिए जबरदस्ती एक मनगंढ़त घटना बनाकर बदनामी का ठीकरा रेलवे के माथे पर फोड़ दिया गया.

कई बार अपराधी घटना को किसी दूसरी जगह अंजाम देकर शव को रेल पटरी पर डाल देते हैं ताकि लोगों को लगे कि रेल से कटकर अमुक व्यक्ति या महिला की मृृत्यु हुई है, लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि मृृतक के शरीर पर चोट के निशान भी रहते हैं जो रेल पहिये के कटने से नहीं बनते हैं. फिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चल जाता है कि मृृतक को विष दिया गया या नशीला पदार्थ खिलाया गया है या फिर चाकू मारा गया और कितने घंटे पहलेे हत्या की गयी. दोषी देर सबेर पकड़े ही जाते हैं लेकिन मीडिया घटना को उछाल देता है कि फलाने शख्स की रेल से कट कर मृृत्यु हो गयी.
इस तरह पश्चिम मध्य रेल में 12 अक्तूबर 2017 को रिपोर्ट प्राप्त हुई कि सतना- केमा रेल खंड के मध्य यात्री गाड़ी संख्या 51754 चिरमिरी-रीवा से टकराकर लगभग 40 गायों की मौत हो गयी और कुछ गायें घायल अवस्था में हैं. घटना स्थल पर स्थानीय पशु चिकित्सक भी पहुंचे. रेलवे की बदनामी हुई और चालक को कोसा गया कि उसने ब्रेक नहीं लगाया. फोटोग्राफ देखने से ज्ञात हुआ कि वहां कोई बाढ़ के भी हालात नहीं है कि पानी से बचने के लिए इतनी अधिक संख्या में गायें आकर रेलवे ट्रैक पर जमा हो गयीं. संदेह यही होता है कि उन गायों को एक साथ कहीं ले जाने के लिए रेल ट्रैक पार कराया जा रहा होगा और उसी दौरान यह यात्री गाड़ी आ गयी और यह हृदय विदारक दुर्घटना हो गयी. हम अपील करते हैं कि अनावश्यक रूप से रेलवे पर दोषारोपण न करें. पहले हकीकत को जाने, उसके बाद ही कुछ टीका टिप्पणी करें.
(लेखक पूर्व रेलवे के आरपीएफ के डीआइजी व अपर मुख्य सुरक्षा आयुक्त हैं.)

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