मयनागुड़ी. वर्तमान समय की तेज रफ्तार जिंदगी ने हमारी बहुत सी पारंपरिक प्रथाएं लुप्त होती जा रही हैं. इन्हीं में शामिल है एक रंगोली बनाने की प्रथा. लक्ष्मी पूजा हो या दीपावली घर-घर में रंगोली या अल्पना बनाने की परंपरा रही है, लेकिन आजकल के व्यस्तता भरे जीवन में महिलाओं के पास भी समय की […]
मयनागुड़ी. वर्तमान समय की तेज रफ्तार जिंदगी ने हमारी बहुत सी पारंपरिक प्रथाएं लुप्त होती जा रही हैं. इन्हीं में शामिल है एक रंगोली बनाने की प्रथा. लक्ष्मी पूजा हो या दीपावली घर-घर में रंगोली या अल्पना बनाने की परंपरा रही है, लेकिन आजकल के व्यस्तता भरे जीवन में महिलाओं के पास भी समय की कमी हो गयी है. उनके पास घंटों तक रंगोली सजाने या अल्पना बनाने के लिए वक्त नहीं है. बाजार में रेडिमेड रंगोली उपलब्ध हैं. रंगोली के स्टीकर को फर्श पर साट दिया जाता है.
वहीं बंगाल के ग्रामीण इलाकों में आज भी हाथ से रंगोली या अल्पना बनाने की प्रथा जलपाईगुड़ी
डुआर्स के नागराकाटा स्थित हिला चाय बागान के श्रमिकों ने उन पर कथित रूप से अत्याचार को लेकर गुरुवार की सुबह विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने बागान मैनेजर का घेराव करने के अलावा तोड़फोड़ भी की. इस घटना के बाद से चाय बागान में तनाव है. जानकारी मिलने पर पुलिस बल ने स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया. तृणमूल कांग्रेस समर्थित तराई डुवार्स प्लांटेशन यूनियन के बागान यूनिट सचिव दुर्गा महली ने आरोप लगाया कि जब से चाय बागान का प्रबंधन राज्य सरकार के हाथ से गैर सरकारी प्रतिष्ठान ने लिया है, तब से ही श्रमिकों पर अत्याचार बढ़ गया है. नियम के विरुद्ध महिला श्रमिकों से रात में भी काम कराया जा रहा है.
हालांकि बागान प्रबंधन ने इन आरोपों को खारिज किया है. यह बागान श्री तोरसा प्लांटेशन प्राइवेट लिमिटेड के अधीन है. चाय बागान के मैनेजर ब्रजेश राय ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि चाय बागान इलाके में कुछ परिवारों द्वारा अवैध रूप से शराब का कारोबार करने का विरोध करने पर इस तरह की प्रतिक्रिया हो रही है. प्रबंधन ने बुधवार को बागान इलाके में शराब की बिक्री का विरोध किया था. उसके बाद से ही समाजविरोधियों ने श्रमिकों को बागान प्रबंधन के खिलाफ विरोध में उतरने के लिए उकसाया है.
वहीं प्रोग्रेसिव पीपुल्स पार्टी के नेता विक्टर एक्का ने बताया कि महिला श्रमिकों से रात में काम लेने पर आपत्ति करते हुए प्रबंधन से शिकायत की गयी थी. गुरुवार को सुबह से ही श्रमिकों ने काम बंद कर फैक्टरी गेट के सामने विरोध जताया. इसके अलावा श्रमिकों ने चाय बागान के कार्यालय में तोड़फोड़ भी की. उन्होंने बताया कि 2015 में राज्य सरकार ने चाय बागान का प्रबंधन टी ट्रेडिंग कारपोरेशन के हाथ से गैरसरकारी प्रतिष्ठान को सौंप दिया. चाय बागान में फिलहाल 650 श्रमिक हैं. बागान श्रमिकों का आरोप है कि चाय बागान में स्वास्थ्य सेवा बदहाल है. टूटे-फूटे वाहन से स्कूली बच्चों को जोखिम के साथ स्कूल पहुंचाया जा रहा है. इन्हीं सब मसलों को लेकर बागान प्रबंधक का घेराव किया गया.कायम है. स्थानीय महिलाएं सुमित्रा सरकार, अनिमा सरकार, कल्याणी दास, अल्का दास, शीला सरकार ने बताया कि जमाना चाहे जितना भी बदल जाये, उन्होंने बचपन से अपनी दादी मां और नानी से अल्पना बनाने की तकनीक सीखी है. उसका एक अलग ही महत्व है. आज भी हमलोग लक्खी पूजा के उपलक्ष में हाथों से ही रंगोली या अल्पना सजाते हैं. गांव की लक्खी पूजा की यही खूबसूरती है.