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भाजपा सांप्रदायिक नहीं : मुकुल

कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस से नाता तोड़ने के बाद सांसद मुकुल राय ने पूजा बाद पहली बार बयान देकर भाजपा के साथ जाने की संभावना को बल दिया . मुकुल राय ने साफ शब्दों में कहा कि भारतीय जनता पार्टी को कोई सांप्रदायिक पार्टी कैसे कह सकता है. उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस अपने जन्म से […]

कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस से नाता तोड़ने के बाद सांसद मुकुल राय ने पूजा बाद पहली बार बयान देकर भाजपा के साथ जाने की संभावना को बल दिया . मुकुल राय ने साफ शब्दों में कहा कि भारतीय जनता पार्टी को कोई सांप्रदायिक पार्टी कैसे कह सकता है. उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस अपने जन्म से ही भाजपा की मदद लेते आ रही है. खुद उनके साथ मिलकर जनसभा करने से लेकर चुनाव लड़ने की प्रक्रिया तक भाजपा के साथ रही.
और तो और भाजपा के साथ मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी तक करनेवाली तृणमूल कांग्रेस आज कैसे भाजपा को सांप्रदायिक कह सकती है. उनका मानना है कि भाजपा सांप्रदायिक पार्टी नहीं है.
मुकुल के इस बयान से एक बात तो साफ हो गयी कि वह पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी की आशंका को सही साबित करते हुए पार्टी से नाता तोड़ने जा रहे हैं. लेकिन उन्होंने यह साफ नहीं किया कि वह भाजपा के साथ जा रहे हैं या अपनी अलग पार्टी बना रहे हैं.
तृणमूल में मुकुल के करीबियों पर रखी जा रही है नजर
कोलकाता. तृणमूल कांग्रेस में मुकुल राय की खत्म हो चुकी पारी के बाद तृणमूल कांग्रेस के अंदर एक अविश्वास का माहौल बन गया है. पार्टी के अंदरखाने की खबर रखनेवालों के मुताबिक तृणमूल सुप्रीमो पार्टी के अंदर अपने चार-पांच अति करीबी नेताओं के अलावा किसी और पर भरोसा नहीं कर पा रही हैं. हालांकि वह इस बात को सार्वजनिक नहीं कर रही हैं. लेकिन ममता बनर्जी को जो लोग करीब से जानते हैं, वे उनकी बाॅडी लैंगवेज से इसका आभास पा रहे हैं. खबर है कि नेताओं की गतिविधियों के लिए खुफिया विभाग पर ही उनका भरोसा बचा है. मुकुल के करीबी रहे नेताओं पर कड़ी नजर रखी जा रही है. आलम यह है कि हर नेता इस मामले में कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं. कोई किसी पर भरोसा नहीं कर पा रहा है. राज्य स्तर के एक प्रभावशाली नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि पार्टी की तरफ से जिन्हें यह जिम्मेदारी दी गयी है कि वे बतायें कि कौन-कौन से नेता मुकुल राय के साथ संर्पक रख रहे हैं. उन पर भी भरोसा नहीं हो पा रहा है, क्योंकि वे अंदर ही अंदर मुकुल राय के साथ संर्पक में हैं और पार्टी के वफादार लोगों के खिलाफ रिपोर्ट कर रहे हैं. इससे पार्टी को दोहरे नुकसान की आशंका है. पहला वे तो खुद उनके साथ जायेंगे और दूसरे यह कि जो वफादार हैं, उन्हें भी शक के घेरे में ला देंगे. लिहाजा इसके लिए खुफिया विभाग की रिपोर्ट ही निष्पक्ष हो सकती है.
पार्टी सूत्रों के अनुसार सिर्फ जिलाें के नेता, कार्यकर्ता व विधायक ही नहीं, बल्कि उन पर भी नजर रखी जा रही है, जो नारदा, सारधा कांड में शामिल हैं. सूत्रों के अनुसार कोलकाता, हावड़ा और उत्तर व दक्षिण 24 परगना के कम से कम 20 नेता संदेह के घेरे में हैं. जंगल महल के तीन जिले पश्चिम मेदिनीपुर, बांकुड़ा व पुरुलिया के तृणमूल कांग्रेस के नेताओं पर भी शक की सुई है. पार्टी ने इस हालात से निपटने के लिए मुकुल के करीबी नेताओं का कद अनौपचारिक रूप से पार्टी के अंदर धीरे-धीरे बढ़ाना शुरू कर दिया है, ताकि वे मुकुल के साथ न जायें. इसके पीछे एकमात्र मकसद है कि पार्टी के नेता तृणमूल से अलग न हों.

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