इस बीच बांग्लादेश के विदेश राज्य मंत्री मोहम्मद शहरयार आलम ने भी भारतीय नीति का समर्थन करते हुए कहा है कि रोहिंग्या संकट मानवीय मुद्दे के साथ सुरक्षा का मामला भी है और अराकान रोहिंग्या सालवेशन आर्मी (आरसा) के विदेशी आतंकी संगठनों के साथ गठजोड़ से इनकार नहीं किया जा सकता है.
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रोहिंग्या संकट मानवीय मुद्दा, पर सुरक्षा का मामला भी : आलम
कोलकाता. रोहिंग्या संकट इन दिनों दुनिया भर में सुर्खियों में छाया हुआ है. भारत में भी इस मुद्दे पर उठापटक मची हुई है. भारत सरकार ने देश में रह रहे रोहिग्या श्रणार्थियों को देश से निकालने की घोषणा कर दी है. सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि रोहिंग्या […]
कोलकाता. रोहिंग्या संकट इन दिनों दुनिया भर में सुर्खियों में छाया हुआ है. भारत में भी इस मुद्दे पर उठापटक मची हुई है. भारत सरकार ने देश में रह रहे रोहिग्या श्रणार्थियों को देश से निकालने की घोषणा कर दी है. सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि रोहिंग्या शरणार्थी सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा हैं.
सोमवार को महानगर में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बांग्लादेश के विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि इस मामले पर हमारा रुख पूरी तरह साफ है. बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना ने म्यामांर के रखाइन प्रांत में सुरक्षा बलों पर हमले की निंदा कर चुकी हैं. श्री आलम ने कहा कि हम म्यामांर सुरक्षा बलों पर हमलों की निंदा करते हैं और आगे भी करते रहेंगे. श्री आलम ने बताया कि फिलहाल उनके देश में लगभग नौ लाख रोहिंग्या श्रणार्थी रह रहे हैं. वहीं संयुक्त राष्ट्र के आकलन के अनुसार हाल के दिनों में म्यामांर के रखाइन प्रांत से 379000 से अधिक रोहिंग्या भागकर बांग्लादेश पहुंचे हैं.
रोहिंग्या मुद्दे के सुरक्षा पहलू के बारे में आलम ने कहा कि हमें उनके आतंकवादी संगठनों से किसी तरह के गठजोड़ के बारे में जानकारी नहीं है क्योंकि यह विदेशी सरजमीं पर हो रहा है. परंतु अगर इस आतंकी संगठन के तार नहीं जुड़े हैं तो फिर वह दूसरे आतंकी समूहों से प्रभावित हो सकते है. हम उनके तार विदेशी आतंकी समूहों से जुड़े होने की बात को खारिज नहीं करते हैं. इसलिए हम लोगों ने उनका रजिस्ट्रेशन करवाना आरंभ किया है. साथ ही कानून व्यवस्था की निगरानी करने वाली एजेंसियों को हिदायत की गयी है कि वह इस बात पर नजर रखें कि रोहिंग्या शरणार्थी राहत शिविरों से निकल कर दूसरे इलाकों का रुख न करें.
श्री आलम ने दावा किया कि रोहिंग्या लोगों के पलायन से बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर असर नहीं होगा. उन्होंने कहा कि हमें नहीं लगता कि इसका कोई असर होगा. हमारी प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा है कि अगर देश अपने लोगों की देखभाल कर सकता है तो फिर 10 लाख रोहिंग्या की देखभाल भी कर सकता है. उन्होंने यह मानवीय आधार पर कहा है, परंतु हम नहीं चाहते कि लोगों का बांग्लादेश की तरफ पलायन हो. हम समस्या का समाधान चाहते हैं.
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