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प्रभात खबर से बोले मॉर्निंग वॉकर्स, हिंदी को और बढ़ावा देने की जरूरत

कोलकाता. भले ही राष्ट्रभाषा हिंदी हो लेकिन इसके औपचारिक इस्तेमाल में कमी ही दिखाई देती है. हिंदी के इस्तेमाल के संबंध में प्रभात खबर ने लोगों से बातचीत की. सभी का कहना था कि हिंदी को और बढ़ावा देने की जरूरत है. दीपक अग्रवाल : हिंदी हमारी मातृभाषा है और हिंदी से ही हमारी पहचान […]

कोलकाता. भले ही राष्ट्रभाषा हिंदी हो लेकिन इसके औपचारिक इस्तेमाल में कमी ही दिखाई देती है. हिंदी के इस्तेमाल के संबंध में प्रभात खबर ने लोगों से बातचीत की. सभी का कहना था कि हिंदी को और बढ़ावा देने की जरूरत है.
दीपक अग्रवाल : हिंदी हमारी मातृभाषा है और हिंदी से ही हमारी पहचान जुड़ी हुई है. हिंदी को हर स्थान पर प्राथमिकता देनी चाहिए.
विष्णु केजरीवाल : हिंदी साहित्य को और बढ़ावा देने की आवश्यकता है. हिंदी साहित्य से हमें प्रेरणा मिलती है. बच्चों को अच्छे संस्कार मिलते हैं. हाल के दिनों में हिंदी साहित्य की दशा सुधरती दिखाई दे रही है. हिंदी के माध्यम से ही हमें अपनी बातों को रखनी चाहिए.
किशन गोपाल बलदवा : हिंदी को बढ़ावा देने के लिए केवल हिंदी दिवस का इंतजार नहीं करना चाहिए. हिंदी का इस्तेमाल केवल इसी दिन तक सीमित नहीं रहना चाहिए. इसका हमेशा ही इस्तेमाल अपने दैनिक जीवन में करना चाहिए. प्रिंट मीडिया को विशेषतौर पर इसे बढ़ावा देना चाहिए.
राजेंद्र कुमार अग्रवाल : हिंदी भाषा को प्रोत्साहित करने के लिए लगातार चर्चा करनी चाहिए. स्कूल व कॉलेजों में हिंदी शिक्षकों को इस संबंध में बच्चो को जानकारी देनी चाहिए, ताकि वह भी हिंदी के इस्तेमाल के प्रति जागरूक हो सकें.
नरदेश्वर सिंह : ऐसा प्राय: देखा जाता है कि केवल हिंदी दिवस के दिन ही हम हिंदी को याद करते हैं. बाकी दिनों में इसे भूल जाते हैं. आजकल के बच्चे हिंदी में कम और दूसरी भाषाओं में अधिक रुचि रखने लगे हैं. इस संबंध में अभिभावकों के साथ-साथ सरकार को भी कदम उठाना चाहिए.
कैलाश अग्रवाल : मेरी खुद की पढ़ाई हिंदी में हुई और मैंने अपने बच्चों को भी हिंदी की बारीकियों को सिखाने की कोशिश की है. हिंदी को बढ़ावा देने के लिए स्कूली स्तर से ही कार्य किये जाने चाहिए. विश्व में हर देश अपनी भाषा को बढ़ावा देते हैं लेकिन मानों हम इससे दू्र भाग रहे हैं.
अशोक कुमार : हिंदी हमारी मातृभाषा है. केवल हिंदी दिवस के दिन नहीं बल्कि वर्ष भर हिंदी के बढ़ावे के लिए प्रयास करने चाहिए. अंग्रेजी भाषा का उपयोग यथासंभव कम ही करना चाहिए. कामकाज में जहां जरूरी हो वहीं इसका इस्तेमाल करना चाहिए.
राकेश कुमार पारिक : हिंदी का महत्व हमारे जीवन में काफी अधिक है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इसका उपयोग, खासकर युवा पीढ़ी में काफी कम होता जा रहा है. सोशल मीडिया में अधिक से अधिक हिंदी का उपयोग हो इस दिशा में लोगों को प्रयास करना चाहिए. हिंदी को प्रचार व प्रसार की जरूरत है.
अविनाश कुमार गुप्ता : हिंदी को मैं खुद हमेशा बढ़ावा देता हूं. पिछले कुछ वर्षों से हिंदी के संबंध में सेमिनार भी आयोजित कर रहा हूं. लोगो को हिंदी के उपयोग के लिए मैंने हमेशा ही प्रोत्साहित किया है. हिंदी अखबारों को अंग्रेजी अखबारों की तरह छूट स्कीम का अधिक से अधिक इस्तेमाल करना चाहिए ताकि लोग हिंदी अखबार ज्यादा खरीदें.

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