सरकार ने ऐसे चिकित्सकों को कुछ बीमारियों के लिए एलोपैथी दवा लिखने की अनुमति दी है. यह सरकारी फैसला आयुष की डिग्री लेकर चोरी-छिपे एलोपैथी (मॉर्डन मेडिसीन) की प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों के लिए वरदान साबित होगा. यही वजह है कि अधिकतर होम्योपैथी, आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सक सरकार के इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं. गौरतलब है कि राज्य सरकार ने सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसीन एक्ट-1970 के तहत यह निर्देशिका जारी की है. पश्चिम बंगाल के अलावा उत्तर प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान में पहले से ही आयुष (आयुर्वेद, होमियोपैथ व यूनानी) चिकित्सकों को ऐसी छूट मिली हुई है. लेकिन बंगाल में ऐसा नहीं था.
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गुड न्यूज : राज्य सरकार ने आयुर्वेद व यूनानी चिकित्सकों को दी एलोपैथ पद्धति से इलाज की अनुमति, अब चोरी-चोरी, चुपके-चुपके प्रैक्टिस की जरूरत नहीं
कोलकाता : आयुर्वेद व यूनानी चिकित्सकों को अब चोरी-चोरी, चुपके-चुपके एलोपैथ पद्धति से इलाज करने की जरूरत नहीं है. हाल में राज्य सरकार ने निर्देशिका जारी कर इन्हें एलोपैथ की प्रैक्टिस करने की मान्यता प्रदान कर दी है. सरकार ने ऐसे चिकित्सकों को कुछ बीमारियों के लिए एलोपैथी दवा लिखने की अनुमति दी है. यह […]
कोलकाता : आयुर्वेद व यूनानी चिकित्सकों को अब चोरी-चोरी, चुपके-चुपके एलोपैथ पद्धति से इलाज करने की जरूरत नहीं है. हाल में राज्य सरकार ने निर्देशिका जारी कर इन्हें एलोपैथ की प्रैक्टिस करने की मान्यता प्रदान कर दी है.
डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिये यह फैसला लिया
देशभर में एलोपैथी चिकित्सक की संख्या कम है. पश्चिम बंगाल में भी डॉक्टरों का भारी अभाव है. इसकी भरपाई के लिए केंद्र सरकार की ओर से विशेष पहल की गयी थी. कहा गया था कि राज्य सरकारों को उनके प्रदेश में होमियोपैथी, आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सकों को कुछ बीमारियों में मॉर्डन मेडिसीन (एलोपैथी) की प्रैक्टिस करने की अनुमति देने का अधिकार है. इसके तहत ही राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से निर्देशिका जारी की गयी है.
क्या है निर्देशिका में
सरकार ने एलोपैथी दवा लिखने के लिए एक गाइडलाइन तैयार की है. इसका पालन कर यूनानी एवं आयुर्वेद के चिकित्सक एलोपैथी पद्धति से इलाज कर सकते हैं. हालांकि, इन्हें कैंसर की दवा देने की अनुमति नहीं दी गयी है. साथ ही ये इंट्रा वेनश इंजेक्शन भी नहीं दे सकेंगे. पोस्टमार्टम के क्षेत्र में भी इनकी सेवा स्वीकार नहीं होगी. राज्य सरकार की ओर से जारी निर्देशिका में बाद में बदलाव भी किया जा सकता है.
सरकार का फैसला सराहनीय है. होमियोपैथ के चिकित्सकों को भी यह अधिकार मिलना चाहिए. लेकिन सेंट्रल काउंसिल ऑफ होमियोपैथी (सीसीएच) के विरोध के कारण राज्य के चिकित्सकों को यह अधिकार नहीं मिला सका है. सरकार को इस पर दोबारा विचार करना चाहिए. कुछ मामलों में होमियोपैथी डॉक्टरों को भी एलोपैथी दवा लिखने का अधिकार मिलना चाहिए. कई बार जैसे-सर्पदंश, डिहाइड्रेशन के वक्त मरीज को तुरंत चिकित्सा की जरूरत पड़ती है. ऐसी स्थिति में एलोपैथी दवा से ही मरीजों को बचाया जा सकता है.
डॉ अखिलेश खान ,पूर्व प्रिंसिपल (डीएनदे होमियोपैथी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल)
सरकार के इस फैसले का हमें समर्थन करना चाहिए हैं. अब हम ऐसे मरीजों का इलाज कर सकेंगे, जिन्हें तुरंत चिकित्सा की जरूरत होती है. जैसे डिहाइड्रेशन, डायरिया, सर्पदंश, तेज बुखार समेत अन्य बीमारियों में. लेकिन यूनानी की पढ़ाई करनेवाले छात्र कभी इस चिकित्सा पद्धति को नहीं भूल सकते.
प्रो. डॉ मोहमद अयुब, प्रिंसिपल (कलकत्ता यूनानी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल)
जो चोरी-छिपे एलोपैथ की प्रैक्टिस करते थे, उनके लिए यह अधिकार किसी वरदान से कम नहीं. देखना यह होगा कि इस निर्देश को लागू करने लिए सरकार की ओर से छात्रों एवं चिकित्सकों के लिए विशेष ट्रेनिंग की व्यवस्था की जाती है या नहीं. इस संबंध में अब तक हमें किसी प्रकार की जानकारी नहीं दी गयी है.
डॉ एम गुप्ता, इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट आयुर्वेद एजुकेशन एंड रिसर्ज एैट एसवीएसपी कोलकाता
इस योजना को लागू करने से पहले स्टूडेंट्स व चिकित्सकों के लिए बेसिक कोर्स कराये जाने की व्यवस्था हो. इससे डॉक्टरों का अभाव दूर होगा. लोग लाभान्वित होंगे.
देवाशीष शील, स्वास्थ्य भवन के पूर्व कर्मचारी
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