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शिक्षक धनंजय राय ने दान की एक बीघा जमीन

मालदा : शिक्षक दिवस के दिन ही एक स्कूल नदी में समा गया. साथ ही 88 घर नदी में कटाव की भेंट चढ़ गये. घरबार गंवा चुके लोग शनिवार को जिला प्राथमिक विद्यालय संसद चेयरमैन के सामने पहुंचे और अपनी बात रखते हुए फफक पड़े. ये लोग घर से पहले स्कूल की व्यवस्था की फरियाद […]

मालदा : शिक्षक दिवस के दिन ही एक स्कूल नदी में समा गया. साथ ही 88 घर नदी में कटाव की भेंट चढ़ गये. घरबार गंवा चुके लोग शनिवार को जिला प्राथमिक विद्यालय संसद चेयरमैन के सामने पहुंचे और अपनी बात रखते हुए फफक पड़े. ये लोग घर से पहले स्कूल की व्यवस्था की फरियाद कर रहे हैं. विद्यालय की जमीन व भवन गंगा में समा गये हैं.

नया भवन बनने को लेकर प्राथमिक संसद चेयरमैन के पास कोई जबाव नहीं था. ऐसी स्थिति में पार-अनूपनगर स्कूल के पारा शिक्षक धनंजय राय आगे आये. खुद टीन की छत के नीचे रहने के बावजूद उन्होंने अपनी पैतृक जमीन से एक बीघा स्कूल के लिए देने का एलान कर दिया. इसी जमीन पर अब दोबारा बनेगा पार-अनूपनगर का प्राथमिक विद्यालय.


एक प्राथमिक विद्यालय को लेकर अभिभावकों, छात्र-छात्राओं और शिक्षक-शिक्षिकाओं की भावनाओं को देखकर प्राथमिक विद्यालय शिक्षक संसद के चेयरमैन आशीष कुंडू स्तंभित हो गये. पार-अनूपनगर प्राथमिक विद्यालय के छात्र-छात्राओं की संख्या 116 है. शिक्षक-शिक्षिकाओं की संख्या 10 है. गांव में कुल 700 वोटर हैं.

पांच सितंबर को इस विद्यालय को गंगा ने लील लिया. आनन-फानन में इस विद्यालय के सभी छात्र-छात्रा एवं शिक्षक-शिक्षिकाओं को पार-लालपुर प्राथमिक विद्यालय में क्लास करने और क्लास लेने का निर्देश जिला प्राथमिक विद्यालय संसद के चेयरमैन ने दिया. लेकिन तीन दिनों तक इस नये विद्यालय में क्लास करने 116 में से केवल पांच छात्र-छात्राएं पहुंचे. नये विद्यालय जाने में अरुचि को देखते हुए पार-अनूपनगर स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाएं इन्हें खुले आसमान के नीचे ही पढ़ा रहे थे.

शनिवार को सुबह होते ही शोभापुर-पारदेनापुर ग्राम पंचायत के पार अनूपनगर गांव में पहुंचे जिला प्राथमिक विद्यालय संसद के चेयरमैन आशीष कुंडू. उन्होंने छात्र-छात्राओं, शिक्षक-शिक्षिकाओं व अभिभावकों से अलग-अलग बातचीत की. एक अभिभावक सुनयना चौधरी ने बताया कि मेरे दो बच्चे हैं वे पार-अनूपनगर प्राथमिक विद्यालय में पढ़ते थे. यह स्कूल गंगा में समा गया है. हम खुद आम बागान में रह रहे हैं. बच्चों को एक किमी दूर पारलालपुर प्राथमिक विद्यालय में जाने को कहा गया है. हम बच्चों को वहां नहीं भेजना चाहते हैं. एक तो दूर है दूसरा रास्ते में दुर्घटना की आशंका भी है. हाल ही में सड़क हादसे में एक छात्रा की मौत भी हुई है.
समाधान निकालने के लिए जब जिला प्राथमिक शिक्षा संसद के चेयरमैन आशीष कुंडू से बातचीत हो रही थी उसी समय धनंजय राय ने सहयोग का हाथ बढ़ा दिया. वह 2005 से पार अनूपनगर प्राथमिक विद्यालय में बतौर पारा शिक्षक काम कर रहे है. वह खुद कटाव के शिकार होकर आम बागान में रह रहे हैं. उन्हेांने कहा कि अपनी पैतृक जमीन से वह एक बीघा जमीन इस विद्यालय को देंगे. उन्होंने कहा कि जो विद्यालय नदी में समा चुका है उसके लिए उनके पिता ने नौ कट्ठा जमीन दी थी. बचपन में हमे गंगा को पार कर धुलियान में पढ़ने के लिए जाना पड़ता था. इस मानवीय समाधान से मुग्ध हो गये आशीष कुंडू. उन्होंन धनंजय को गले से लगा लिया. साथ ही कहा कि शिक्षा के लिए ही उन्होंने यह महत्वपूर्ण दान किया. उन्होंने बताया कि अपना सबकुछ खो चुके इन अभिभावकों के लिए ऐसी स्थिति में विद्यालय का इतना महत्व है, इससे मुझे गर्व महसूस हो रहा है. धनंजय जैसे शिक्षक आज भी हमें रास्ता दिखा रहे हैं.

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