मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए सरकारी वकील ने कहा कि 11 जुलाई को राज्य सरकार ने यहां केरोसिन तेल बंटन को लेकर एक नीति बनायी है, जिसके अनुसार, कूचबिहार, अलीपुरदुआर, जंगलमहल, पश्चिम मेदिनीपुर, बांकुड़ा, पुरूलिया, वीरभूम, पूर्व व पश्चिम बर्दवान में जिन लोगों का राशन कार्ड है, वहां के प्रत्येक कार्ड धारक को प्रति माह एक लीटर केरोसिन तेल दिया जायेगा.
इन इन जिलों को छोड़ कर अन्य जिलों जिन लोगों का डिजिटल राशन है, उनको प्रत्येक महीने 600 मिली लीटर व जिन लोगों का डिजिटल राशन कार्ड नहीं है, उनको 150 मिली लीटर केरोसिन तेल दिया जायेगा. राज्य सरकार के इस निर्देश को चुनौती देते हुए कुछ राशन डीलरों ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसकी सुनवाई करते हुए एकल पीठ की बेंच ने राज्य सरकार के इस अधिसूचना पर रोक लगा दी थी. मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा था कि राज्य सरकार अब तक सभी लोगों का डिजिटल राशन कार्ड नहीं बना पाई है, ऐसे में जिन लोगों के पास डिजिटल कार्ड नहीं है, उनको 150 मिली केरोसिन तेल देना, उनकी उपेक्षा करना है. वहीं, मामले की सुनवाई के दौरान सरकार के महाधिवक्ता किशोर दत्त ने कहा कि एकल पीठ ने राज्य सरकार से हलफनामा मांगे बिना ही एकतरफा फैसला सुना दिया था, आज मामले की सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट के डिवीजन बेंच ने पिछले आदेश को खारिज कर दिया.