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बड़ाबाजार में करीब 80 इमारतें जर्जर

कोलकाता. पूरे महानगर में करीब तीन हजार जर्जर इमारत हैं. 100 की दशा बेहद खराब है. इनमें 4 व 5 नंबर बोरो में 75 से 80 जर्जर इमारत शामिल हैं, जो किसी भी दिन ढह सकती है. बड़ाबाजार का अधिकांश हिस्सा 4 व 5 नंबर बोरो के अंर्तगत आता है. ऐसे में मंगलवार की घटना […]

कोलकाता. पूरे महानगर में करीब तीन हजार जर्जर इमारत हैं. 100 की दशा बेहद खराब है. इनमें 4 व 5 नंबर बोरो में 75 से 80 जर्जर इमारत शामिल हैं, जो किसी भी दिन ढह सकती है. बड़ाबाजार का अधिकांश हिस्सा 4 व 5 नंबर बोरो के अंर्तगत आता है. ऐसे में मंगलवार की घटना के बाद कोलकाता नगर निगम की नींद उड़ी हुई है.

उक्त बोरो के अंतर्गत आनेवाले सभी जर्जर इमारतें तुरंत खाली कराये जाने के लिए निगम की ओर से जल्द ही नोटिस जारी किया जायेगा. यह जानकारी कोलकाता नगर निगम के डीजी बिल्डिंग (टू) देवाशीष चक्रवर्ती ने दी. उन्होंने बताया कि जून से अब तक महानगर में 4 से 5 इमारत गिर चुके हैं.

मंगलवार की घटना में तीन लोगों की मौत भी हुई है. गौरतलब है कि कोलकाता नगर निगम ने इन जर्जर मकानों को खाली कर नये मकान बनाने के लिए नया कानून भी बनाया है, जिसके तहत किरायेदारों तथा मकान मालिक दोनों के हितों को सुरक्षित रखा गया है. लेकिन कहीं मकान मालिक तो कहीं किरायेदारों की सख्ती के कारण मकान खाली नहीं हो रहे हैं.

एेसी स्थिति में लोग अपनी जान जोखिम में डाल कर एेसे मकानों में रहने को मजबूर हो रहे हैं. कहीं-कहीं किरायेदार मकान मालिक पर प्रमोटरों के कहे अनुसार कार्य करने का आरोप लगाते हैं, जिसमें किरायेदारों के हितों को दरकिनार कर दिया जाता है. 13 सितंबर 2016 को पाथुरिया घाट स्ट्रीट में भी मकान का एक जर्जर हिस्सा ढहने से एक ही परिवार के दो महिलाअों ने दम तोड़ दिया था. जर्जर इमारतों को तोड़ने में कोलकाता नगर निगम को कई जटिलताओं का सामना करना पड़ता है. इस स्थिति में निगम द्वारा जर्जर इमारत के सामने नोटिस बोर्ड लगाने के अलावा और कोई रास्ता शेष नहीं था. इस जटिलता को साफ करने के लिए कोलकाता नगर निगम के एक्ट में संशोधन कर उसे ऐसे इमारतों को तोड़ने के लिए अधिकार तो मिल गया है. लेकिन अब मकान मालिक व किरायेदार के विवाद के बावजूद अब तक नये कानून को वास्तविक रुप नहीं दिया जा सका है. नये कानून के तहत ऐसे इमारतों को खाली करवाने के लिए निगम की ओर से दोबारा नोटिस जारी किया जा रहा है.
नोटिस बोर्ड को जर्जर इमारत के सामने चस्पा दिया जा रहा है. ज्ञात हो कि गत मार्च महाने में शहरी विकास विभाग की ओर से केएमसी (संशोधन) बिल 2017 को पारित कराया गया था, जिसमें निगम को जर्जर इमारतों को नोटिस देकर खाली कराने के लिए शक्ति संपन्न बनाया गया था. इससे पहले निगम एक्ट की धारा 412(1) के तहत नोटिस ही दे सकता था. संशोधन के बाद 412-ए के तहत जर्जर इमारत को नोटिस देकर जर्जर इमारत को खाली कराया जा सकता है. मकान मालिक व किरायेदार से चर्चा के बाद इमारत को नये सिरे से मरम्मत अथवा निर्माण किया जा सकता है. संशोधन के बाद मकान मालिक को अतिरिक्त फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) भी दिए जाने का प्रावधान रखा गया है.
जर्जर इमारत‍ों को तोड़ने के लिए नया संशोधित कानून तो तैयार किया गया है. लेकिन लोगों तक सटिक जानकारी नहीं पहुंच रही है. हर बार जब इस तरह की घटना घटती है, तो निगम सक्रिय होता है. लोगों को कोई पुख्ता जानकारी या मदद नहीं की जाती है. संशोधित अधिनियम के अनुसार जर्जर इमारत की मरम्मत के लिए पहले मकान मालिक और फिर किरायेदार अवसर दिया जायेगा. दोनो के तैयार नहीं होने पर बिचौलिया यानी किसी एनजियो को इमारत के मरम्मत का जिम्मा सौंपा जायेगा. तीसरा पक्ष एनजियो ही क्यों? तीसरे पक्ष की भूमिका निगम भी निभा सकता है. लेकिन क्यों एनजियो को ही यह कार्य सौंपा जा रहा है.
विजय ओझा, पार्षद 23 नंबर वार्ड, कोलकाता नगर निगम
केवल संशोधित बिल को पारित करा लेने से नहीं होता. इसे लागू भी करना होगा. लागू करने के लिए देख रेख व जांच की जरूरत है.
मीना देवी पुरोहित, पार्षद 22 नंबर वार्ड, कोलकाता नगर निगम

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