कोलकाता: भारत में टैक्स विवाद दुनिया में सबसे अधिक है. दि इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आइसीएआइ) के सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री के सलाहकार डॉ पार्थसारथी सोम ने कहा कि 120 करोड़ से अधिक आबादी वाले इस देश में मात्र तीन प्रतिशत लोग ही टैक्स देते हैं. उनमें भी 0.3 प्रतिशत लोग ही बड़े टैक्सदाता हैं.
विडंबना यह है कि देश में टैक्स अदा करनेवालों की संख्या भले ही आटे में नमक के बराबर है, पर टैक्स विवाद के मामले में भारत दुनिया में सबसे आगे हैं. इस मौके पर श्री शोम ने बताया कि पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) धारकों को अगले वित्त वर्ष में कर चुकाना पड़ सकता है. ये पी-नोट्स विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ ) द्वारा जारी किये जाते हैं. केंद्रीय वित्त मंत्री के सलाहकार ने बताया कि अगले वित्त वर्ष में पी-नोट्स धारकों पर कर लगाने को लेकर वित्त विभाग में विचार विमर्श हुआ है.
श्री शोम ने कहा कि अभी तक आयकर विभाग एफआइआइ द्वारा जारी पी-नोट्स पर कर नहीं लगाता था, लेकिन वित्त विभाग में विचार विमर्श के बाद अगले बजट में इस पर कर लगाने का प्रावधान हो सकता है. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पी-नोट्स धारकों पर उन देशों द्वारा कर लगाया जाता है, जहां एफआइआइ द्वारा उनके निवेश को लगाया जाता है. श्री शोम ने कहा कि प्रत्यक्ष कर संहिता के नये मसौदे में निवेश, जमा एवं निकासी के तीनों मौकों पर बचत पर ईईई (छूट, छूट, छूट) देने की पूर्व की व्यवस्था को बरकरार रखा गया है, क्योंकि 2009 के मूल डीटीसी में प्रस्तावित ईईटी (छूट, छूट, कर) का काफी विरोध किया गया था. उन्होंने सालाना 10 करोड़ रुपये या इससे अधिक की आय के लिए व्यक्तियों व हिंदू अविभाजित परिवार के लिए 35 प्रतिशत के सीमांत कर स्लैब का भी समर्थन किया है.