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आंखों में ज्योति नहीं लेकिन जमाया कारोबार

कोलकाता: व्यक्ति अगर मन में ठान ले तो कुछ भी मुश्किल नहीं है. बस उसका इरादा नेक होना चाहिए. कामयाबी हासिल करने के लिए उसके अंदर एक जुनून होना चाहिए. ऐसा मानना है, व्यापारी संजय परसरामका का. इस व्यापारी को आंख से दिखता नहीं है, लेकिन वह अपने सारे काम बड़ी कुशलता से कर लेते […]

कोलकाता: व्यक्ति अगर मन में ठान ले तो कुछ भी मुश्किल नहीं है. बस उसका इरादा नेक होना चाहिए. कामयाबी हासिल करने के लिए उसके अंदर एक जुनून होना चाहिए. ऐसा मानना है, व्यापारी संजय परसरामका का. इस व्यापारी को आंख से दिखता नहीं है, लेकिन वह अपने सारे काम बड़ी कुशलता से कर लेते हैं.

गिरीश पार्क, राम मंदिर के पास जूतों की दुकान चलानेवाले संजय आंखों में रोशनी नहीं होने के बावजूद कामयाबी के साथ अपना बिजनेस चलाने के लिए स्थानीय व्यवसायियों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं. लोग उनके व्यक्तित्व की काफी चर्चा करते हैं. उनकी दुकान में ग्राहक जब आते हैं तो वे उनकी मांग पर शोकेज में रखे जूते निकाल कर दिखा देते हैं. थाइलैंड से मंगाये गये जूतों की इनकी दुकान में काफी मांग है. उन्होंने बताया कि उनके मोबाइल में मोबाइल स्पीक फीचर जुड़ा हुआ है, साथ ही जाउस सॉफ्टवेयर से उनका मोबाइल कनेक्टेड है. किसी का कॉल आने से ही उनका मोबाइल व्यक्ति की घोषणा कर देता है. मैसेज भी वह आसानी से पढ़ कर सुना देता है.

चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं संजय : संजय चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं. इन्स्टीट्यूट अॉफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया से उन्होंने तीन साल का आर्टिकलशिप किया है. साथ ही उन्होंने कॉस्ट अकाउंटेंट का भी कोर्स किया है. वह बताते हैं कि पिछले 23 साल से उनकी आंख की रोशनी चली गयी है. उन्हें रेटिनाइटिस पिगमेंट टोसा की बीमारी हो गयी है. इसके कारण उनकी आंख की नसें सूख गयी हैं, जिससे ब्लड का फ्लो नहीं हो पाता है. हालांकि कई बड़े डॉक्टरों को दिखाने के साथ चेन्नई के शंकर नेत्रालय, हैदराबाद के एल वी प्रसाद हॉस्पिटल में भी उन्होंने इलाज करवाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. अपने दम पर लाखों रुपये का कारोबार करनेवाले संजय अन्य नेत्रहीनों की तरह दया या भीख की जिंदगी नहीं जीना चाहते हैं. न ही उन्होंने अपना दिव्यांग सर्टिफिकेट बनाया है. वह अपने दम पर गत 24 साल से बिजनेस कर रहे हैं.

15 देश व 28 शक्तिपीठ घूम आये हैं : संजय की पत्नी मीनू का कहना है कि उन्हें शुरू-शुरू में अपने पति की इस अक्षमता से दुख होता था, लेकिन अब वह काफी गर्व महसूस करती हैं. ऐसा कोई काम नहीं है, जो उनका पति नहीं कर सकता है. इलेक्ट्रिक के काम के अलावा कम्प्यूटर का काम, घर का काम, बच्चों को पढ़ाने का काम सब आसानी से कर लेते हैं. इतना ही नहीं विदेश की यात्रा करने के लिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग से लेकर वीजा बनवाने का काम भी वे बखूबी कर लेते हैं. वे अच्छे खासे पढ़े-लिखे हैं. पर्यटन के शाैकीन संजय अब तक 15 देशों की यात्रा की है. ईश्वर के प्रति आस्था रखने वाले संजय ने 28 शक्तिपीठ के दर्शन किये हैं. वे आर्ट ऑफ लिविंग के भी सदस्य हैं व कई अन्य संस्थाओं के सदस्य हैं.

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