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ब्रेन डेथ घोषित करने में बंगाल फिसड्डी
विडंबना. 25 दिसंबर 2016 से अब तक एक भी ब्रेन डेथ की घोषणा नहीं कोलकाता : ब्रेन डेथ घोषित करने के मामले में भारत के अन्य राज्यों की तुलना में पश्चिम बंगाल फिसड्डी साबित हो रहा है. 25 दिसंबर 2016 के बाद अब तक राज्य में एक भी ब्रेन डेथ की घोषणा नहीं की गयी […]
विडंबना. 25 दिसंबर 2016 से अब तक एक भी ब्रेन डेथ की घोषणा नहीं
कोलकाता : ब्रेन डेथ घोषित करने के मामले में भारत के अन्य राज्यों की तुलना में पश्चिम बंगाल फिसड्डी साबित हो रहा है. 25 दिसंबर 2016 के बाद अब तक राज्य में एक भी ब्रेन डेथ की घोषणा नहीं की गयी है. ये बातें स्वास्थ्य विभाग के सहायक स्वास्थ्य सेवा निदेशक (एडमिन) डॉ अदिति किशोर सरकार ने कही. वह गुरुवार को कोलकाता प्रेस क्लब में हेल्थ वेलफेयर सोसाइटी की ओर से आयोजित एक प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे. सोसाइटी की ओर से देहदान व अंग प्रत्यारोपण के विषय में जागरूकता के लिए एक पोर्टल लांच किया गया है.
श्री सरकार ने बताया कि सरकारी स्तर पर 72 इंटेंसिब केयर यूनिट (आइसीयू), 42 क्रिटिकल केयर यूनिट (सीसीयू) और 30 हाई डिपेंडेंसी यूनिट (एचडीयू) चालू किये गये हैं. निजी अस्पतालों में इन विभागों की संख्या और अधिक है. नियमानुसार सीसीयू, आइसीयू अथवा एचडीयू में दो माह के अंतराल पर कम से कम एक ब्रेन डेथ की घोषणा की जानी चाहिए. लेकिन बंगाल में ऐसा नहीं हो रहा है. गत वर्ष 2016 में ब्रेन डेथ के मात्र पांच मामले देखे गये थे.
समय पर घोषणा से अंग प्रत्यारोपण संभव
सही समय पर ब्रेन डेथ की घोषणा करने पर मरीज के विभिन्न अंगों को दूसरे मरीज के शरीर में ट्रांसप्लांट किया जा सकता है. डॉ सरकार ने कहा कि इस संबंध में स्वास्थ्य भवन की ओर से निर्देशिका जारी की गयी है. लेकिन इस पर अमल नहीं किया जा रहा है. अब अनिवार्य रूप से ब्रेन डेथ की घोषणा करने के लिए विभाग की ओर फिर एक निर्देशिका जारी की गयी है.
स्वास्थ्य विभाग के सहायक स्वास्थ्य सेवा निदेशक (एडमिन) डॉ अदिति किशोर सरकारने बताया कि मुनाफा कमाने की होड़ में कुछ निजी अस्पताल ब्रेन डेथ के बाद भी मरीज को जीवन रक्षक प्रणाली (वेंटिलेशन) के सहारे जीवित रखते हैं. ताकि इलाज खर्च बढ़ाया जा सके. वहीं सरकारी अस्पताल में जागरूकता के अभाव में ब्रेन डेथ की घोषणा नहीं हो पाती है.
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