इन मंत्रियों ने जिला प्रशासन, जिला पुलिस प्रशासन समेत आदिवासी संगठन के नेताओं के साथ बैठक कर मामले में उचित कार्रवाई करने को कहा है. साथ ही पीड़ितों को भरपूर सहायता देने का आश्वासन दिया. उल्लेखनीय है कि गत 9 जुलाई को रायगंज पब्लिक बस स्टैंड में चार आदिवासी महिलाओं के साथ दुष्कर्म का मामला प्रकाश में आया. इनमें एक शिक्षिका व दो नाबालिग शामिल हैं. इस संगीन जुर्म में पुलिस के उदासीन रवैये से खफा होकर आदिवासियों ने 14 जुलाई को रायगंज बस स्टैंड व बाजार में कोहराम मचाया. सैकड़ों दुकानों, वाहनों आदि को जलाया एवं नुकसान पहुंचाया.
उस दिन पुलिस प्रशासन की भूमिका महज तमाशबीन की रही. इसके विरोध में व्यवसायिक संगठनों ने आंदोलन शुरू किया. स्थिति की नजाकत को देखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री ने हस्तक्षेप करते हुए सर्वप्रथम उत्तर दिनाजपुर जिले के लिए अगल से डीआइजी नियुक्त किया. इसके बाद पुलिस अधीक्षक अमित कुमार भरत राठौड़ को हटाकर उनकी जगह श्याम सिंह को भेजा. इसके बाद शनिवार को तीन मंत्रियों को इस क्षेत्र में भेजा. इन तीन मंत्रियों ने जिलाधिकारी आयशा रानी, पुलिस अधीक्षक श्याम सिंह, नगरपालिका अध्यक्ष संदीप विश्वास समेत आदिवासी नेताओं के साथ बैठक की. आदिवासी नेताओं ने दोषियों को कड़ी सजा देने, अपराधियों को बढ़ावा देनेवालों को गिरफ्तार करने, पीड़ित नाबालिगों की उच्च शिक्षा की व्यवस्था करने एवं बाद में उनकी नौकरी की गारंटी देने, पीड़ित महिला की नौकरी सुनिश्चित करने एवं पीड़ित शिक्षिका को सुरक्षित जगह में नियुक्ति करने की मांग रखी. मंत्री जेम्स कुजूर ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी मांगों को संवेदना के साथ सुना गया एवं इसे पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास किए जाने का आश्वासन दिया गया. साथ ही मंत्रियों ने मुख्यमंत्री से बात कर उनसे मिलने के प्रबंध करने का आश्वासन दिया.
आदिवासी नेता जेठा मुर्मू, सैमुअल मार्डी, नेपोलियन हेम्ब्रम ने कहा कि 14 जुलाई की घटना में आदिवासियों का कोई हाथ नहीं है. यहां के राजनीतिक संरक्षण प्राप्त कुछ असमाजिक तत्वों ने भीड़ में घुसकर हिंसक वारदातों को अंजाम दिया. इन नेताओं का कहना है कि पुलिस प्रशासन के सक्रिय होने पर इस तरह की घटना नहीं होती.