राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर दोषारोपण करते हुए संगठन के अध्यक्ष गुलशन बड़ाइक ने बताया कि राज्य सरकार ने आदिवासियों के लिए टास्क फोर्स गठित की है, लेकिन पहाड़ के आदिवासी उसमें शामिल नहीं हैं. पहाड़ के आदिवासी समुदाय भी अलग राज्य गोरखालैंड के पक्षधर हैं. उल्लेखनीय है कि तराई-डुआर्स के आदिवासियों ने भी पहाड़ के विभिन्न जाति विकास बोर्ड की तरह आदिवासी कल्याण बोर्ड की मांग की थी.
राज्य की मुख्यमंत्री ने तराई-डुआर्स आदिवासियों के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया और आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष बिरसा तिर्की को इसका चेयरमैन बना दिया. आदिवासी विकास संगठन के मुताबिक पहाड़ के आदिवासी समुदाय को टास्क फोर्स में शामिल नहीं किया गया. जनसंख्या के दृष्टिकोण से आदिवासी पहाड़ का दूसरा बड़ा समुदाय है. पहाड़ का आदिवासी समुदाय भी अलग राज्य गोरखालैंड का पक्षधर है.
पहले भी अलग राज्य के आंदोलन में पहाड़ के आदिवासियों ने साथ दिया था. शनिवार को सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में पत्रकारों को संबोधित करते हुए गुलशन बड़ाइक ने बताया कि गोरखाओं की मांग लोकतांत्रिक है. अगले दो-चार दिनों में संगठन अपने आंदोलन की रणनीति की घोषणा करेगा. हम अपने स्तर पर आंदोलन करेंगे.गौरतलब है कि गुलशन ने करीब एक वर्ष पहले तृणमूल का दामन थामा था. लेकिन अलग राज्य आंदोलन की हवा के रुख को देखकर वे गोरखालैंड के पक्षधर हो बैठे हैं. दूसरी तरफ आदिवासी विकास परिषद व आदिवासी नेता बरसा तिर्की गोरखालैंड का विरोध कर रहे हैं. इस संबंध में श्री बड़ाइक ने कहा कि वे तृणमूल छोड़ चुके हैं.