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मदन को नहीं मिली मंच पर जगह, बरकती भी नहीं दिखे

कोलकाता. कभी तृणमूल कांग्रेस की सभाओं के लिए सबसे भरोसेमंद नेता हुआ करते थे मदन मित्रा. दीदी के इस चहेता नेता के जिम्मे होता था मंच बनवाना या राजनीतिक कर्मकांड को सफल करने की जिम्मेवारी, लेकिन कहते हैं कि आदमी का वक्त हर समय एक जैसा नहीं होता. कुछ ऐसा ही मदन मित्रा के साथ […]

कोलकाता. कभी तृणमूल कांग्रेस की सभाओं के लिए सबसे भरोसेमंद नेता हुआ करते थे मदन मित्रा. दीदी के इस चहेता नेता के जिम्मे होता था मंच बनवाना या राजनीतिक कर्मकांड को सफल करने की जिम्मेवारी, लेकिन कहते हैं कि आदमी का वक्त हर समय एक जैसा नहीं होता. कुछ ऐसा ही मदन मित्रा के साथ हुआ. सारधा घोटाले में तकरीबन साल भर राजनीति की मुख्यधारा से अलग रहने के बाद अब मदन मित्रा न तो मंत्री हैं और न ही विधायक और तो और पार्टी के किसी महत्वपूर्ण पद पर भी नहीं हैं.

लिहाजा कल तक खास रहे मदन मित्रा अब आम हो गये हैं. इसका आभास उनको पल-पल हो रहा है. शहीद दिवस की सभा में उनका यह दर्द उभर कर सामने आया, लेकिन जुबान खामोश रही. कल रात को भी सभा स्थल पर मदन मित्रा पहुंचे थे. उस वक्त उनको घेर कर सेल्फी लेनेवाले तृणमूल कार्यकर्ताओं की भीड़ उनकी लोकप्रियता को बयान कर रही थी. सुबह से ही मदन मित्रा मंच स्थल के पास रहे, लेकिन उनको मंच पर जगह नहीं मिली.

बीते साल जब कबीर सुमन ने भाषण के दौरान कहा था कि मदन की गैरमौजूदगी काफी खल रही है. इस बार भी सब कुछ पहले जैसा ही था. मंच पर कबीर सुमन, नचिकेता और इंद्रनील के अलावा तकरीबन सभी नेता मौजूद थे, लेकिन किसी ने मदन का जिक्र तक नहीं किया. लोगों में चर्चा है कि मदन को मंच पर चढ़ने नहीं दिया गया. हालांकि इस बाबत पूछने पर मदन कोई जबाब नहीं दिये, केवल मुस्करा कर रह गये. अपने समर्थकों के साथ मंच के इर्द-गिर्द मदन घूमते रहे और इस बीच उनकी तबीयत थोड़ी बिगड़ी तो मंच के सामने नीचे बैठे, लेकिन किसी ने उनको तवज्जो नहीं दी.
कभी बरकती को मिलती थी खास तवज्जो
टीपू सुल्तान मसजिद के कभी शाही इमाम रहे मौलाना नूर रहमान बरकती का भी था. हर साल शहीद दिवस की सभा में बरकती को ममता बनर्जी की तरफ से खास आमंत्रण मिलता था और वो बकायदा मंच पर पहुंचते थे और ममता की शान में जम कर कशीदे गढ़ने के बाद अपनी तकरीर में लेफ्ट और भाजपा की लानत मलानत करते थे, लेकिन हाल ही में हुए विवाद के कारण लोगों के विरोध से मौलाना बरकती को इमाम के पद से हटना पड़ा. लिहाजा उनको भी इस बार मंच पर जगह नहीं मिली. बरकती भी सभा स्थल पर दूर दूर तक नजर नहीं आये. इन दो नेताओं को देख कर लोग आपस में चर्चा करते नजर आये की वक्त वक्त की बात है समय बड़ा बलवान है.
धर्मतल्ला व एसप्लानेड को लेकर भ्रम में रहे
कोलकाता. शहीद दिवस में भाग लेने कोलकाता पहुंचे दूरदराज के यात्रियों में काफी यात्री ऐसे भी थे जो मेट्रो से धर्मतल्ला पहुंचे थे. वैसे मेट्रो से पहुंचनेवाले यात्रियों में कई ऐसे यात्री भी थे जो धर्मतल्ला और एसप्लानेड नाम से भ्रमित हो गये और अन्य स्टेशन पर उतर गये. ऐसे में उन्हें खासी परेशानी से दो-चार होना पड़ा. ऐसे यात्री धर्मतल्ला जाने के लिए एसप्लानेड स्टेशन पर न उतर अन्य स्टेशनों पर उतर गये. ऐसे ही एक यात्री थे शेख अजमल. अजमल ने बताया कि शुक्रवार को वह दमदम स्टेशन से मेट्रो में सवार हुए थे. उन्होंने दमदम स्टेशन के टिकट काउंटर से धर्मतल्ला जाने के लिए टिकट लिया. मेट्रो में स्टेशनों का नाम तो बताया जा रहा था लेकिन एसप्लानेड और धर्मतल्ला स्टेशन एक ही है, इसी के भ्रम में मैं धर्मतल्ला नहीं उतर पाया. बाद में सह यात्रियों ने बताया कि एसप्लानेड स्टेशन को ही धर्मतल्ला बोलते हैं. बाद में मैं मैदान स्टेशन पर उतरकर पैदल ही धर्मतल्ला सभा स्थल तक पहुंचा.
शेख अजमल जैसे कई यात्री थे जो एसप्लानेड और धर्मतल्ला नाम को लेकर भ्रम में रहे.

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