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तेजी से लोकप्रिय हो रही है कपिंग थेरेपी

मुश्ताक खान कोलकाता : तैराक माइकल फेलप्स एक ऐसा नाम है, जिसने आेलंपिक में सबसे अधिक 21 स्वर्ण पदक जीते हैं. इस अमेरिकी तैराक के नाम किसी भी आेलंपिक में सबसे अधिक आठ स्वर्ण पदक जीतने का भी रिकार्ड है. पर 2016 रियो आेलंपिक में माइकल फेलप्स के सुडौल शरीर पर गोल-गोल लाल निशान देख […]

मुश्ताक खान
कोलकाता : तैराक माइकल फेलप्स एक ऐसा नाम है, जिसने आेलंपिक में सबसे अधिक 21 स्वर्ण पदक जीते हैं. इस अमेरिकी तैराक के नाम किसी भी आेलंपिक में सबसे अधिक आठ स्वर्ण पदक जीतने का भी रिकार्ड है. पर 2016 रियो आेलंपिक में माइकल फेलप्स के सुडौल शरीर पर गोल-गोल लाल निशान देख कर दुनिया चौंक उठी थी. लोगों के दिलों में कई प्रकार की आशंकाएं भी जन्म लेने लगी थीं, पर बाद में यह राज खुला कि वह निशान कपिंग थरेपी के थे. कपिंग थरेपी एक प्राचीन एशियाई चिकित्सा पद्धति है, जिससे स्वास्थ्य लाभ उठाने वालों की आज भी कोई कमी नहीं है. केवल माइकल फलेप्स ही नहीं, जेनिफर एनिस्टन, विक्टोरिया बेकहम, जस्टिन बेबर, ग्वेनेथ पाल्ट्रो जैसे आैर कई सेलिब्रिटी कपिंग थरेपी से इलाज करवा चुके हैं.
कपिंग थरेपी से इलाज करने वाले चिकित्सकों का कहना है कि यह मौत के अलावा सभी रोगों का इलाज कर सकती है. विशेष रूप से किसी भी तरह के दर्द से छुटकारा दिलाने में तो यह रामबाण का काम करता है. महानगर में भी इस प्राचीन चिकित्सा पद्धति से इलाज करवाने वालों की संख्या हाल के दिनों में तेजी से बढ़ी है. हालांकि पहले लोग कपिंग थरेपी के बारे में अधिक नहीं जानते थे, पर रियो आेलंपिक में माइकल फलेप्स का मामला सामने आने के बाद से इसकी लोकप्रियता में तेजी से इजाफा हुआ है.
जापान के याशीखावा में कपिंग थरेपी का कोर्स करने एवं कई वर्ष प्रैक्टिस करने के बाद भारत लौटे पार्क सर्कस इलाके में क्लिनिक चलाने वाले कपिंग विशेषज्ञ डॉ एसएम खान कहते हैं कि पहले वह लोगों को इसके बारे में समझाने में सफल नहीं हो पा रहे थे, पर अब उन्हें इस बात की बेहद खुशी है कि अब लोग कपिंग थरेपी के बारे में न केवल जानने लगे हैं बल्कि बड़ी संख्या में इलाज के लिए भी आ रहे हैं. काफी लोग इस पद्धति के बारे में अब पूछताछ भी करने लगे हैं. इस चिकित्सा पद्धति का संबंध मूल पारंपरिक चीनी चिकित्सा से है. पैगंबर हजरत मोहम्मद भी इस थरेपी से इलाज करवा चुके हैं. अरबी में इसे हिजामा कहते हैं. इसमें छोटे-छोटे विभिन्न प्रकार के कप द्वारा इलाज किया जाता है. इसे गरम कर शरीर के उस हिस्से में लगाया जाता है, जिसके उपचार की जरूरत है. कप के अंदर एक वैक्यूम बनाया जाता है. यह रोग से उत्पन्न होने वाले टॉक्सिन मिश्रित रक्त को बेकार कर देता है. डा. खान दावा करते हैं कि उन्होंने कैंसर रोगी को भी कपिंग थरेपी से ठीक होते देखा है.
कपिंग थरेपी पांच तरह की होती है- ड्राइ कपिंग, वाटर कपिंग, आेयल कपिंग, हर्बल कपिंग एवं फायर कपिंग. माइकल फलेप्स ने फायर कपिंग द्वारा ही अपनी चोट का इलाज करवाया था. पार्क एवेन्यू इलाके में कपिंग थरेपी द्वारा लोगों का इलाज कर रहे डॉ. इरफान के यहां पहले गिने-चुने ही मरीज आते थे, पर अब उनकी संख्या बढ़ी है.
डाॅ कामरान सिद्दिकी का कहना है कि कपिंग थरेपी या हिजामा कोई नयी चिकित्सा पद्धति नहीं है. प्राचीन काल में विशेष रूप से एशिया में कपिंग थरेपी इलाज का सबसे लोकप्रिय माध्यम था.
रिसड़ा एवं कमरहट्टी में कपिंग थरेपी की प्रैक्टिस करने वाले डॉ मुश्ताक अहमद के यहां भी पहले के मुकाबले मरीजों की संख्या बढ़ी है. उनके यहां धनबाद, झरिया, आसनसोल, कोलकाता आदि जगहों से मरीज आ रहे हैं. डॉ. मुश्ताक के अनुसार यूं तो कपिंग थरेपी में सभी रोग का इलाज सफलतापूर्वक होता है, पर दर्द के इलाज के लिए यह बेहद कारगर है.

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