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दहकता पहाड़. सरकार से तत्काल त्रिपक्षीय बैठक करने की मांग, सरकार के रवैये से बिगड़ रहे हालात

सिलीगुड़ी: अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर पहाड़ पर लगातार स्थिति बिगड़ती जा रही है. हर दिन ही कहीं न कहीं हिंसा तथा आगजनी की घटनाएं हो रही हैं. ऊपर से करीब एक महीने से जारी बेमियादी बंद के कारण लोगों का जीना दूभर हो गया है. पहाड़ पर इस प्रकार की परिस्थिति पर […]

सिलीगुड़ी: अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर पहाड़ पर लगातार स्थिति बिगड़ती जा रही है. हर दिन ही कहीं न कहीं हिंसा तथा आगजनी की घटनाएं हो रही हैं. ऊपर से करीब एक महीने से जारी बेमियादी बंद के कारण लोगों का जीना दूभर हो गया है. पहाड़ पर इस प्रकार की परिस्थिति पर वाम मोरचा ने चिंता जतायी है और इसके लिए राज्य की तृणमूल सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. पहाड़ पर शांति व्यवस्था की बहाली के लिए वाम मोरचा ने तत्काल केन्द्र सरकार, राज्य सरकार तथा आंदोलनकारियों के बीच त्रिपक्षीय बैठक बुलाने की भी मांग की.
इस मांग को लेकर शुक्रवार को वाम मोरचा की ओर से दार्जिलिंग के जिला अधिकारी को एक ज्ञापन दिया गया. ज्ञापन में कहा गया है कि पहाड़ पर खासकर दार्जिलिंग तथा कालिम्पोंग में लगातार स्थिति बिगड़ रही है. एक बार फिर से गोरखालैंड की मांग को लेकर वहां आंदोलन शुरू हो गया है. इस आंदोलन को दबाने के लिए राज्य सरकार पहाड़ के लोगों की मूलभूत अधिकारों का हनन कर रही है.

वाम मोरचा के कन्वेनर जीवेश सरकार ने अपने ज्ञापन में कहा है कि आंदोलनकारियों पर पुलिस फायरिंग की वजह से ही हालात इतने बिगड़ गये हैं. गत 17 जून को पुलिस फायरिंग में चार लोगों की मौत हो गयी थी. आंदोलनकारी जहां पुलिस फायरिंग में इन लोगों की मौत का दावा कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार पुलिस फायरिंग से इनकार कर रही है.


इतना ही नहीं, पुलिस ने गोजमुमो प्रमुख बिमल गुरूंग के खिलाफ हत्या तक का मुकदमा दर्ज कर लिया है. इस टकराव की वजह से ही आंदोलन ने गंभीर रूप धारण कर लिया है. श्री सरकार ने इस पूरे मामले की जांच की मांग की है. ज्ञापन में उन्होंने आगे कहा है कि पहाड़ पर सरकार की ओर से तानाशाही की नीति अपनायी जा रही है. दार्जिलिंग तथा कालिम्पोंग इलाके में इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया है. इतना ही नहीं, लोकल टीवी चैनलों को भी नहीं चलने दिया जा रहा है. उन्होंने इंटरनेट पर बैन को हटाने की मांग की. श्री सरकार ने आगे कहा है कि सभी परीक्षा परिणाम घोषित हो गये हैं और पहाड़ के बच्चे अब देश के विभिन्न कॉलेजों में अपना नामांकन कराना चाहते हैं. इंटरनेट सेवा बंद होने से ऑनलाइन फार्म भरने का काम भी बंद है.

यह सूचना के अधिकार तथा शिक्षा के अधिकार कानून का भी उल्लंघन है. श्री सरकार ने राज्य के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक के बयान की भी निंदा की. श्री सरकार ने कहा है कि तीन जुलाई को राज्य के खाद्य मंत्री ने स्वयं पहाड़ पर खाद्य सामग्रियों की आपूर्ति नहीं होने देने की बात कही थी. उसके बाद से पुलिस द्वारा पहाड़ पर खाद्य सामग्रियों की आपूर्ति रोकी जा रही है. इतना ही नहीं, सिलीगुड़ी के आम लोग भी पहाड़ पर खाद्य सामग्रियों को ले जाने से रोक रहे हैं. वहां आने वाले दिनों में भूखमरी जैसी स्थिति पैदा हो सकती है.

इसकी वजह से पहाड़ पर कानून व्यवस्था की स्थिति और बिगड़ने की संभावना है. श्री सरकार ने कहा है कि सात जुलाई को सोनादा में ताशी भुटिया नामक एक युवक की गोली लगने से मौत हो गयी. परिवारवालों का आरोप है कि जब वह दवाई खरीदने के लिए दुकान जा रहा था, तब सीआरपीएफ ने उसे गोली मार दी है. इस घटना से आंदोलन की आग और बढ़ गयी. इसके अगले दिन ताशी भुटिया के शव को लेकर जब आंदोलनकारी प्रदर्शन कर रहे थे, तब फिर गोलीबारी की घटना घटी और सुरेश भुजेल तथा समीर गुरूंग नामक युवक मारे गये. इन तमाम घटनाओं से जाहिर है कि पहाड़ पर हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं.

अनशन टला, 18 को तय होगी नयी तारीख
दार्जिलिंग. शुक्रवार को गोरखालैंड समर्थकों ने अपने हाथों में खुकरी लेकर ‘वी वांट गोरखालैंड’ का नारा लगाते हुए शहर में एक रैली निकाली. रैली में बड़ी संख्या में महिलाएं अपने-अपने हाथों में खुकरी, हंसुआ लेकर निकलीं. रैली शहर के गोयनका रोड, चौक बाजार होते हुए मोटर स्टैंड पहुंची और पथसभा में बदल गयी. पथ सभा को संबोधित करते हुए मोरचा के केंद्रीय कानूनी सलाहकार तिलकचन रोका ने कहा कि गत 11 जुलाई को मिरिक के यूथ हॉस्टल में गोरखालैंड मूवमेंट को-ऑर्डिनेशन कमेटी की एक बैठक हुई थी. इस बैठक में सर्वसम्मति से 15 जुलाई से अलग राज्य गोरखालैंड गठन की मांग में दार्जिलिंग के चौरस्ता में आमरण अनशन पर बैठने का निर्णय लिया गया था. लेकिन 13 जुलाई को कमेटी की बैठक में 15 जुलाई से होनेवाले आमरण अनशन को स्थगित कर दिया गया है. अब 18 जुलाई को होनेवाली बैठक में आमरण अनशन की तारीख व स्थान तय किया जायेगा. श्री रोका ने कहा कि सोमवार से जिला शासक और महकमा शासक कार्यालय के आगे विरोध प्रदर्शन किया जायेगा. श्री रोका ने कहा कि गोरखालैंड आंदोलन के नाम पर 700 रुपये के चावल की बोरी की 1200 रुपये में बिक्री की जा रही है. 30 रुपये का सामान 100 रुपये में बेचा जा रहा है. इसके लिए उन्होंने ऐसे लोगों को चेतावनी देते हुए कहा कि यह सब नहीं चलेगा. पथसभा को सुषमा राई, शांति छेत्री आदि ने भी संबोधित किया.

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