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डेडिकेटेड फ्रेड कॉरिडोर से बढ़ेगी ट्रेनों की रफ्तार

कोलकाता: भारतीय रेलवे में ट्रेनों के परिचालन में आनेवाले एक क्रांतिकारी परिवर्तन का नाम है डेडिकेटेड फ्रेड कॉरिडोर. डीएफसी (डेडिकेटेड फ्रेड कॉरिडोर) एक ऐसी व्यवस्था है जो ट्रेनों की रफ्तार, अवागमन, प्रस्थान और गंतव्य को बदल कर रख देगी. डेडिकेटेड फ्रेड कॉरिडोर देश के उन सात हजार मालगाड़ियों के लिए के लिए होगा जिनका परिचालन […]

कोलकाता: भारतीय रेलवे में ट्रेनों के परिचालन में आनेवाले एक क्रांतिकारी परिवर्तन का नाम है डेडिकेटेड फ्रेड कॉरिडोर. डीएफसी (डेडिकेटेड फ्रेड कॉरिडोर) एक ऐसी व्यवस्था है जो ट्रेनों की रफ्तार, अवागमन, प्रस्थान और गंतव्य को बदल कर रख देगी. डेडिकेटेड फ्रेड कॉरिडोर देश के उन सात हजार मालगाड़ियों के लिए के लिए होगा जिनका परिचालन हर दिन होता है. दिल्ली से कोलकाता और दिल्ली से मुंबई तक फ्रेड कॉरिडोर बनने के बाद मालगाड़ियां अलग लाइन पर रवाना होंगी लिहाजा इसका लाभ यात्री ट्रेनों को मिलेगा. जानकारों की मानें तो इसके बाद ट्रेनों की वर्तमान अधिकतम रफ्तार 130 से बढ़कर 160 से 200 किमी. प्रतिघंटा हो जायेगी. ऐसा होने पर राजधानी एक्सप्रेस हावड़ा से रवाना होकर 17 घंटे के बजाय मात्र 12 घंटे में जबकि पूर्वा एक्सप्रेस हावड़ा से रवाना होकर 24 घंटे के बजाय मात्र 16-17 घंटे में दिल्ली पहुंच जायेगी. पिछले दिनों डीएफसी (डेडिकेटेड फ्रेड कॉरिडोर) परियोजना की विभिन्न बारिकियों पर हमारे संवाददाता ने भारत सरकार के नीति आयोग के सलाहकार (परिवहन) आइआरटीएस डॉ मनोज सिंह से विस्तार से बात की. प्रस्तुत है एक रिपोर्ट..
प्रश्न : डेडिकेटेड फ्रेड कॉरिडोर क्या है. कोलकाता से भी फ्रेड कॉरिडोर बन रहा है क्या?
उत्तर : इन दिनों भारत में डेडिकेटेड फ्रेड कॉरिडोर पर तेजी के काम चल रहा है जिनमें से कोलकाता से अमृतसर और मुंबई से दिल्ली फ्रेड कॉरिडोर सबसे महत्वपूर्ण कॉरिडोर होगा. इसमें डाउन और अप दो लाइनें होंगी जिसमें कोई क्रॉसिंग नहीं होगा. 2020 तक इसके बनकर तैयार होने की संभावना है. डेडिकेटेड फ्रेड कॉरिडोर की अवधारणा का अर्थ एक ऐसी रेल लाइन से है जो पूरी तरह से मालगाड़ियों के लिए समर्पित होगी.
प्रश्न : देखा जाता है कि यात्री ट्रेनें अपने समय से घंटों विलंब से गंतव्य स्टेशन पहुंचती हैं. ऐसे में फ्रेड ट्रेनों की पंच्युलिटी का क्या हाल होगा?
उत्तर : डीएफसी (डेडिकेटेड फ्रेड कॉरिडोर) तैयार होने के बाद देश की सभी फ्रेड ट्रेनें उसी पर चलेगीं. चूंकी फ्रेड कॉरिडोर पर यात्री ट्रेनें रवाना नहीं होगीं लिहाजा यातायात का दबाव कम होगा और मालगाड़ियों की रफ्तार को बढ़ाया जा सकेगा. इसका फायदा यह होगा कि वर्तमान में 24-25 किलोमीटर की रफ्तार में चलनेवाली मालगाड़ियां अब 100 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ेंगी. आज जब एक मालगाड़ी कोलकाता से खुलती है तो उसे दिल्ली जाते-जाते चार से पांच दिन लग जाते हैं, लेकिन डीएफसी बनने के बाद एक दिन में मालगाड़ी दिल्ली पहुंच सकेगी.
प्रश्न : डेडिकेटेड फ्रेड कॉरिडोर बनने से आम रेल यात्रियों को क्या लाभ होगा ?
उत्तर : हावड़ा-दिल्ली रेलमार्ग में दिल्ली से गया तक का रेलमार्ग देश का सबसे कंजस्टेड रेलमार्ग माना जाता है. देश के तमाम रेल मार्गों की तरह यहां भी एक ही पटरी पर जहां मालगाड़ी चलती हैं वहीं राजधानी,शताब्दी के साथ लोकल ट्रेनें को भी रवाना किया जाता है. वर्तमान में दिल्ली-कोलकाता फ्रेड कॉरिडोर को गया तक ही जोड़ा जा रहा है. समय की मांग के अनुसार उसे कोलकाता से भी जोड़ दिया जायेगा. डेडिकेटेड फ्रेड कॉरिडोर बनने के बाद मालगाड़ियों के लिए पूरी तरह से अलग लाइन बन कर तैयार हो जायेगी. इसके बाद दो लाइन होगीं.
प्रश्न : इन दिनों बुलेट ट्रेन के अलावे सेमी हाइ स्पीड ट्रेनों को भी चलाने की परिकल्पना है? इस बारे में बतायें?
उत्तर : फ्रेड कॉरिडोर बनाकर मालगाड़ियों को अलग करेंगे और उसके बाद खाली हुई यात्री लाइनों को दुरुस्त करने के बाद रेल लाइनों को अत्याधुनिक परिचालन मशीनों से लैस करने के बाद उसी लाइन पर चलनेवाली ट्रेनों को सेमी हाइ स्पीड योजना के तहत उनकी रफ्तार बढ़ायी जायेगी. ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के लिए बुलेट ट्रेन के साथ सेमी हाइ स्पीड प्रोजेक्ट पर भी विचार हो रहा है. सेमी हाइस्पीड योजना के आने से ट्रेनों की वर्तमान रफ्तार 130 किलो मीटर की अधिकतम स्पीड को बढ़ाकर 160-200 किमी. प्रति घंटे तक किया जा सकता है. ऐसा होने पर राजधानी एक्सप्रेस, जो हावड़ा से रवाना होकर 17 घंटे में दिल्ली पहुंचती थी वह अब मात्र 12 घंटे में दिल्ली पहुंचेगी. वहीं पूर्वा एक्सप्रेस हावड़ा से रवाना होकर 24 घंटे के बजाय मात्र 16-17 घंटे में दिल्ली पहुंच सकेगी. हालांकि इस परियोजना में तीन वर्ष लगने के आसार हैं. सेमी हाइस्पीड योजना के तहत पहले की रेल लाइनों को दुरूस्त किया जायेगा.
प्रश्न : सेमी हाइ स्पीड योजना के तहत हावड़ा-दिल्ली रेल मार्ग पर कितना खर्च होने की उम्मीद है? इस योजना का वर्तमान स्टेशन क्या है ?
उत्तर : रेल मंत्रालय इस परियोजना की प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर रहा है. उसके बाद अप्रेजल होगा और फिर कैबिनेट से पास होने के बाद यह पाइप लाइन में आयेगा. कुल प्रक्रिया में तीन से चार महीने लगेंगे. जहां तक हावड़ा-दिल्ली रेल मार्ग पर खर्च की बात है तो इसमें 10 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है.

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