स्थिति जल्द नियंत्रित करने के लिए जो भी समाधान निकाला जा सकता है, वह देखें. मंगलवार को पहाड़ से संबंधित जनहित मामले की सुनवाई में केद्र व राज्य के मतविरोध पर अदालत ने नाराजगी प्रकट की. पहाड़ में शांति लौटाने के लिए कलकत्ता हाइकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश निशिथा म्हात्रे और न्यायाधीश तपोव्रत चक्रवर्ती की खंडपीठ में केंद से अधिक केंद्रीय बल की मांग राज्य की ओर से की गयी है.
अतिरिक्त एडवोकेट जनरल कौशिक चंद को पिछली सुनवाई में मामले को केंद्र को बताने के अलावा इस पर विचार करने के लिए कहा था. मंगलवार को मामले की सुनवाई में कौशिक चंद ने राज्य के पास कितना बल है और पहाड़ में कितना बल नियुक्त किया गया है, यह जानना चाहा. उन्होेंने बताया कि इसके बाद जरूरत महसूस होने पर केंद्र अतिरिक्त बल भेजेगा. इस संबंध में केंद्र ने राज्य को एक पत्र भी दिया है, लेकिन केंद्र के इस दावे को राज्य के एजी किशोर दत्त ने खारिज किया. उन्होंने बताया कि केंद्र की ऐसी कोई चिट्ठी राज्य को नहीं मिली है.
केंद्र सरकार ने पहाड़ में शांति की स्थापना के लिए महिला केंद्रीय बल की तीन कंपनियों को भेजा है. इसके बदले राज्य सरकार केंद्रीय बल के पुरुषों की तीन कंपनियों की मांग की है. पहाड़ में तीन कंपनी सशस्त्र सीमा बल के जवान हैं. इसके बदले वह तीन कंपनी सीआरपीएफ के चाहते हैं. दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद मंगलवार को ही केंद्र व राज्य के बीच मामले की प्रति के आदान-प्रदान का निर्देश अदालत ने दिया. बुधवार को केंद्र व राज्य अदालत में अपना रुख स्पष्ट करेंगे.