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गुड न्यूज: हिंदी माध्यम की 12वीं की परीक्षा में हिंदी में प्रश्नपत्र का सपना हुआ साकार, प्रस्ताव पर शिक्षा मंत्री का हस्ताक्षर
हिंदी माध्यम के स्कूलों की 12वीं की परीक्षा में शामिल होनेवाले परीक्षार्थियों को हिंदी में प्रश्नपत्र नहीं मिलने की विसंगति अगले वर्ष दूर हो जायेगी. शिक्षा मंत्री पार्थो चटर्जी ने हिंदी में प्रश्नपत्र निर्गत करने से संबंधित संचिका पर हस्ताक्षर कर दिये. हजारों परीक्षार्थियों के लिए यह बड़ा तोहफा है. आसनसोल: राज्य सरकार ने हिंदी […]
हिंदी माध्यम के स्कूलों की 12वीं की परीक्षा में शामिल होनेवाले परीक्षार्थियों को हिंदी में प्रश्नपत्र नहीं मिलने की विसंगति अगले वर्ष दूर हो जायेगी. शिक्षा मंत्री पार्थो चटर्जी ने हिंदी में प्रश्नपत्र निर्गत करने से संबंधित संचिका पर हस्ताक्षर कर दिये. हजारों परीक्षार्थियों के लिए यह बड़ा तोहफा है.
आसनसोल: राज्य सरकार ने हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए सोमवार को बड़ा तोहफा दिया. शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने उच्च माध्यमिक (12वीं) की परीक्षा में हिंदी माध्यम के स्टूडेंट्सों को हिंदी में प्रश्नपत्र निर्गत करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. अब तक प्रश्नपत्र अंगरेजी या बांग्ला में मिलते थे. हिंदी में प्रश्नपत्र निर्गत करने की मांग को लेकर पिछले कई वर्षों से अभियान चल रहा था. इसके केंद्र में पूर्व सांसद आरसी सिंह तथा तत्कालीन नगर निगम चेयरमैन (इस समय मेयर) जितेंद्र तिवारी के नेतृत्व में हिंदी माध्यम शिक्षा विकास मंच सक्रिय था. श्रम सह विधि व न्याय मंत्री मलय घटक ने इसके लिए शिक्षा मंत्री श्री चटर्जी को कई पत्र लिखे थे. उन्होंने इसके लिए कई बार उनसे बात भी की थी. एकीकृत बर्दवान जिले के तत्कालीन जिलाशासक (इस समय केएमडीए के सीइओ) डॉ सौमित्र मोहन ने भी सरकार से इसकी जोरदार सकारात्मक अनुशंसा की थी. इस निर्णय से हिंदी माध्यम के हजारों परीक्षार्थियों के रिजल्ट में काफी सुधार आयेगा.
लंबे समय से चल रहा था अभियान : पूर्व सांसद श्री सिंह तथा मेयर श्री तिवारी के नेतृत्व में हिंदी माध्यम शिक्षा विकास मंच ने इसकी मांग काफी मजबूती से की. मंच का तर्क था कि राज्य सरकार ने हिंदी माध्यम कॉलेज की स्थापना कर स्नातक स्तर तक की शिक्षा हिंदी माध्यम में देने की व्यवस्था की है. स्नातक में हिंदी में प्रश्नपत्र मिल रहे हैं. माध्यमिक में हिंदी में प्रश्नपत्र मिल रहे हैं, तो फिर 12वीं की परीक्षा में हिंदी में प्रश्नपत्र मिलना हिंदी माध्यम के परीक्षार्थियों का नैतिक अधिकार है. इस मुद्दे पर मंच ने राज्यव्यापी अभियान चलाया तथा विभिन्न माध्यमों से राज्य सरकार के पास इसकी अनिवार्यता को रखा. कई सेमिनार विभिन्न शहरों यथा आसनसोल, सिलीगुड़ी, नैहटी तथा कोलकाता आदि में आयोजित किये गये. राज्य के श्रम सह विधि व न्यायमंत्री श्री घटक ने भी इस मांग का जोरदार समर्थन किया. सनद रहे कि हिंदी माध्यम शिक्षा के विकास में उनकी निर्णायक भूमिका रही है. हिंदी माध्यम कॉलेज की स्थापना तथा हिंदी में स्नातकोत्तर की पढ़ाई आसनसोल में शुरू कराने का श्रेय भी उनको ही जाता है. श्री घटक ने शिक्षा मंत्री श्री चटर्जी को इस संबंध में कई पत्र लिखे. कई बार इस मुद्दे पर चर्चा भी की. श्री चटर्जी ने उचित समय पर निर्णय लेने का आश्वासन भी दिया था. एकीकृत बर्दवान जिले के तत्कालीन जिलाशासक डॉ सौमित्र मोहन ने भी इस मांग के समर्थन में मिले ज्ञापन को प्रेषित करते हुए सकारात्मक अनुशंसा की तथा इसकी अनिवार्यता पर भी जोर दिया. विधानसभा के पिछले सत्र के दौरान भी मंच के सदस्यों ने इस मांग को मंत्री श्री घटक के माध्यम से शिक्षा मंत्री के पास रखा था.
क्या है पूरा मामला
राज्य सरकार के स्तर से हिंदी माध्यम के स्कूलों का संचालन किया जाता है. ये स्कूल उच्च माध्यमिक स्तर तक के होते हैं. माध्यमिक परीक्षा में इन हिंदी माध्यम के स्कूलों के परीक्षार्थियों को हिंदी में प्रश्नपत्र मिलते हैं तथा हिंदी में ही उन्हें उत्तर पुस्तिका लिखनी पड़ती है. इसके कारण परीक्षार्थियों को प्रश्न समझने में कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन उच्च माध्यमिक (12वीं कक्षा) की वार्षिक परीक्षा में इन परीक्षार्थियों को प्रश्नपत्र हिंदी में नहीं मिलते हैं. उन्हें प्रश्नपत्र या तो अंगरेजी में मिलते हैं या फिर बांग्ला में. हालांकि उन्हें हिंदी में उत्तर पुस्तिका लिखने का अधिकार है. अंगरेजी या बांग्ला में प्रश्न होने के कारण अधिसंख्य परीक्षार्थी प्रश्न को सही तरीके से समझ नहीं पाते हैं. उत्तर का ज्ञान होने के बाद भी वे उसका उत्तर नहीं लिख पाते हैं. परीक्षा के दौरान अधिसंख्य वीक्षकबांग्लाभाषी होते हैं, इस कारण वे भी उनकी कोई मदद नहीं कर पाते हैं. इसका प्रभाव उनके रिजल्ट पर पड़ता है तथा वे बेहतर परिणाम हासिल नहीं कर पाते हैं.
आखिरकार मिल ही गयी मंजिल
राज्य मुख्यालय ‘नवान्न’ के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि शिक्षा मंत्री श्री चटर्जी ने सोमवार को 12वीं की वार्षिक परीक्षा में हिंदी में प्रश्नपत्र निर्गत करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. अब इस दिशा में विभागीय स्तर पर आवश्यक प्रक्रिया पूरी की जानी है. आगामी परीक्षा वर्ष 2018 में आयोजित होगी. उसमें शामिल परीक्षार्थियों को हिंदी में प्रश्नपत्र निर्गत किये जायेंगे. एक आकलन के अनुसार राज्य के 85 हजार से अधिक हिंदी माध्यम के परीक्षार्थियों को इस निर्णय से लाभ होगा. प्रश्नों को सही तरीके से समझ पाने के कारण उनके रिजल्ट में भी काफी सुधार आयेगा.
मंच के पदाधिकारियों ने जताया आभार
मंच के संरक्षक पूर्व सांसद श्री सिंह, संयोजक डॉ अरुण पांडेय, मनोज यादव तथा मीना सिंह आदि ने इस निर्णय पर काफी खुशी जतायी है. उन्होंने कहा कि हिंदी माध्यम शिक्षा के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. हर साल 85 हजार परीक्षार्थियों को सीधा लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा कि शीघ्र ही समारोह आयोजित कर इस अभियान में निर्णायक भूमिका निभानेवाले शख्सियतों को सम्मानित कर उनके प्रति आभार व्यक्त किया जायेगा. उन्होंने कहा कि मंत्री श्री घटक तथा मेयर श्री तिवारी से हिंदी माध्यम शिक्षा के क्षेत्र में काफी विकास की अपेक्षा है तथा हिंदी माध्यम शिक्षा की चुनौतियों को समाप्त करने में सकारात्मक सहयोग मिलता रहेगा.
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