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गोरखालैंड के लिए एकजुट होने का समय : क्रामाकपा

गुरूंग के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई गलत चामलिंग ने नागरिक होने का फर्ज निभाया कहा : तृणमूल कांग्रेस खुद को मां, माटी, मानुष की भक्त मानती है तो गोरखाओं की मांग पर भी विचार करे दार्जिलिंग. क्रामाकपा केंद्रीय कार्यालय में रविवार को पार्टी की केंद्रीय कमिटी की बैठक पार्टी प्रमुख आरवी राई की अध्यक्षता में […]

गुरूंग के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई गलत
चामलिंग ने नागरिक होने का फर्ज निभाया
कहा : तृणमूल कांग्रेस खुद को मां, माटी, मानुष की भक्त मानती है तो गोरखाओं की मांग पर भी विचार करे
दार्जिलिंग. क्रामाकपा केंद्रीय कार्यालय में रविवार को पार्टी की केंद्रीय कमिटी की बैठक पार्टी प्रमुख आरवी राई की अध्यक्षता में हुई. तीन घंटे से अधिक समय तक चली बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए श्री राई ने कहा कि अलग राज्य गोरखालैंड के लिए हम सब को एक होकर काम करना होगा.
यह अच्छाई और बुराई देखने का समय नहीं है. उन्होंने कहा कि क्रामाकपा का गठन ही अलग राज्य गोरखालैंड को लेकर हुआ है. सभी पार्टियों, संगठनों, संस्थाओं को इस आंदोलन में एकजुट होकर उतरना होगा. श्री राई ने कहा कि पिछले दिनों पुलिस ने मोरचा प्रमुख विमल गुरूंग के घर और पातलेबास स्थित उनके कार्यालय में जो छापामारी की वह गलत थी, क्योंकि विमल तब जीटीए चीफ के पद पर थे.
17 जून को सिंहमारी में पुलिस फायरिंग में तीन मोरचा समर्थकों की मौत के मामले में भी श्री गुरूंग और अन्य शीर्ष मोरचा नेताओं पर दर्ज किया गया हत्या का मामला भी गलत है. श्री राई ने उक्त घटना की कोलकता हाइकोर्ट के जज से जांच कराने की मांग की है. उन्होंने कहा कि गोरखालैंड आंदोलन लोकतांत्रिक और गांधीवादी तरीके से चलना चाहिए.
श्री राई ने कहा कि यदि तृणमूल कांग्रेस खुद को मां, माटी, मानुष की भक्त मानती है तो गोरखाओं की मांग पर भी विचार करे. सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग ने गोरखालैंड गठन की मांग को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री को जो पत्र लिखा है, उसका समर्थन करते हुए श्री राई ने कहा कि महाराष्ट्र में बंगाली और बिहारी पर हुए अत्यचार का बंगाल सरकार और बिहार सरकार ने भी विरोध किया था.
फिर सिक्किम के मुख्यमंत्री के दार्जीलिंग के गोरखाओं पर हो रहे अन्याय और अत्याचार के विरोध में बोलने पर बंगाल सरकार उसका विरोध क्यों कर रही है. यह कहां तक न्यायसंगत है? उन्होंने कहा कि श्री चामलिंग सिक्किम के मुख्यमंत्री मात्र नहीं हैं, वो देश के नागरिक भी हैं और देश के नागरिक को बोलने का हक देश के संविधान ने दिया है.

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