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भाजपा के राष्ट्रपति प्रत्याशी पर मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया, पूछा देश में क्या आैर कोई नहीं था

कोलकाता : मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति पद के लिए भाजपा के उम्मीदवार बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद के नाम पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. अपनी नापसंद व्यक्त करते हुए ममता बनर्जी ने कहा : मैं उन्हें न तो जानती हूं आैर न ही पहचानती हूं. क्या इस पद के लिए […]

कोलकाता : मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति पद के लिए भाजपा के उम्मीदवार बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद के नाम पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. अपनी नापसंद व्यक्त करते हुए ममता बनर्जी ने कहा : मैं उन्हें न तो जानती हूं आैर न ही पहचानती हूं. क्या इस पद के लिए भाजपा को देश में आैर कोई नहीं मिला.
निदरलैंड के दौरे पर रवाना हुईं ममता बनर्जी ने भाजपा के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा : भाजपा ने हम लोगों से कोई चर्चा तक नहीं की, हम लोगों ने देश के सर्वोच्च पद के उम्मीदवार के लिए आम सहमति का प्रस्ताव दिया था. चूंकि यह देश का सर्वोच्च पद है आैर बेहद महत्वपूर्ण है. हम लोग चाहते थे कि भाजपा प्रणव दा जैसा कोई व्यक्तित्व इस पद के लिए बेहतर होता, पर अभी जो मैंने नाम सुना है, इसके बारे में मुझे कुछ भी पता नहीं था. यह नाम सुन कर तो जैसे मैं आसमान से गिर पड़ी.
सुश्री बनर्जी ने भाजपा के इस फैसले पर निशाना साधते हुए कहा : देश में आैर भी कई बड़े-बड़े दलित नेता मौजूद हैं, पर उन्होंने सब को छोड़ कर इन्हें चुना है. इन लोगों ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए यह फैसला लिया है. मुख्यमंत्री ने बताया : नाम घोषणा करने के बाद इस मुद्दे पर बातचीत का क्या फायदा है. हम लोग उन्हें न तो जानते हैं आैर न पहचानते हैं. एक व्यक्ति का समर्थन करने के लिए कम से कम उसके बारे में थोड़ा जानना जरूरी होता है. उसका बैकग्राउंड जानना पड़ता है. हम लोग तो यह नाम सुन कर अभी तक हैरत में हैं.
तृणमूल सुप्रीमो ने कहा कि राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होगा या नहीं, इस बारे में अभी कुछ भी नहीं कह सकते हैं. 22 को हम लोगों की एक बैठक होगी. सभी विपक्षी दल इस बारे में विचार विमर्श कर फैसला करेंगे.
ममता बनर्जी ने एक बार फिर प्रणव मुखर्जी व लालकृष्ण आडवाणी के प्रति अपनी पसंद का इजहार करते हुए कहा कि अगर प्रणव, आडवाणी व सुषमा स्वराज को उम्मीदवार बनाया जाता तो अच्छा होता. इस पद के लिए संविधान का जानकार होना जरूरी है, जो देश को अच्छी तरह से जानता हो. सुश्री बनर्जी ने कहा कि मैं ऐसा नहीं कह रही हूं कि बिहार के राज्यपाल को संविधान की जानकारी नहीं है अथवा वह देश को ठीक से नहीं जानते हैं. फैसले पर सवाल खड़ा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केवल भाजपा का दलित नेता होने का मतलब यह नहीं है कि आप उसे राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना दें. यह ठीक नहीं है. जो देश के बारे में अच्छे से जानता हो, संविधान की जानकारी रखता हो, ऐसे व्यक्ति को उम्मीदवार बनाना ठीक होता, क्योंकि राज्यसभा व लोकसभा में काफी ऐसे बिल आते हैं, जिस पर राष्ट्रपति को अपने विवेक से फैसला लेना पड़ता है.
सुश्री बनर्जी ने कहा कि वह अभी तक इस नाम को सुन कर हैरत में हैं. उन्होंने बताया कि इस बारे में विपक्ष के कई लोगों से उनकी बात हुई हैं, सभी आश्चर्यचकित हैं. चंद्रबाबू नायडू ने उन्हें फोन किया था, मैंने उन्हें स्पष्ट बता दिया है कि मैं उन्हें न तो जानती हूं आैर न ही पहचानती हूं. उन्होंने बताया कि 22 जून को विपक्षी दलों की बैठक में यह फैसला लिया जायेगा कि विपक्ष की आेर से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार दिया जायेगा या नहीं.

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