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गंगा की स्वच्छता के लिए हर व्यक्ति बने जिम्मेदार
गंगा की स्वच्छता के लिए सरकार व प्रशासन भी अपनी जिम्मेदारी निभायें कोलकाता. गंगा का केवल धार्मिक महत्व ही नहीं, बल्कि यह भारत के आर्थिक तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा भी है. गंगा द्वारा सींचा गया खेत, वनों में आश्रित पशु-पक्षी, उसके ऊपर बने बांध से प्राप्त बिजली, पानी, जलमार्ग से होता आवागमन व व्यापार देश […]
गंगा की स्वच्छता के लिए सरकार व प्रशासन भी अपनी जिम्मेदारी निभायें
कोलकाता. गंगा का केवल धार्मिक महत्व ही नहीं, बल्कि यह भारत के आर्थिक तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा भी है. गंगा द्वारा सींचा गया खेत, वनों में आश्रित पशु-पक्षी, उसके ऊपर बने बांध से प्राप्त बिजली, पानी, जलमार्ग से होता आवागमन व व्यापार देश की अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण साधन भी इसे साबित करते हैं. गंगा नदी देश की आबादी के 40 प्रतिशत भाग को पानी उपलब्ध कराती है.
कहा जा सकता है कि यह देश की लाइफ लाइन भी है. मौजूदा समय में गंगा में बढ़ रहा प्रदूषण काफी गंभीर है. ऐसे में केंद्र व राज्य सरकार तथा प्रशासन अपने स्तर पर सटीक कार्य करे. साथ ही गंगा की स्वच्छता के लिए हर व्यक्ति को जिम्मेदार बनने की जरूरत है. ये बातें ‘प्रभात खबर’ और ‘गंगा विचार मंच’ की ओर से आयोजित परिचर्चा में बड़ाबाजार इलाके के लोगों ने कहीं. इस बार प्रभात खबर जन संवाद परिचर्चा का विषय ‘गंगा की स्वच्छता, कितने जागरूक हम’ रखा गया था. परिचर्चा का आयोजन पोस्ता स्थित जगन्नाथ घाट के निकट किया गया. परिचर्चा का संचालन गंगा विचार मंच, कोलकाता जिला के सह संयोजक चंद्रशेखर बासोतिया ने किया. पेश है परिचर्चा के दौरान पेश लोगों के विचार.
विनोद कुमार सिंह, समाजसेवी : सवाल यह है कि हम कितने दिन हम गंगा के घाटों की सफाई करते हैं? यह हाल जगन्नाथ घाट का भी है, जहां सफाई नाम मात्र भी नहीं है. लोग नदी में पॉलिथीन फेंकने से नहीं कतराते. नदी की सफाई के लिए सरकार व प्रशासन के साथ हर व्यक्ति को सजग होने की जरूरत है.
मीना देवी पुरोहित, पार्षद : अपने स्तर पर जगन्नाथ घाट के निकट सफाई की कोशिश जारी है, लेकिन राज्य सरकार व स्थानीय प्रशासन का सहयोग करना भी जरूरी है. लोग फूलों को नदी में प्रवाहित करने से बचें. साथ ही पॉलिथीन व कचरा नदी में न फेंके. गंगा की स्वच्छता के लिए जन भागीदारी भी अहम है.
सागर प्रसाद माली, सामाजिक कार्यकर्ता : गंगा की स्वच्छता के लिए जागरूकता अभियान चलाना होगा. गंगा के साथ आसपास के नालों की साफ-सफाई भी जरूरी है, ताकि उसका कचरा गंगा में नहीं गिरे. गंगा की स्वच्छता के लिए हर व्यक्ति जिम्मेदार बने.
ललित गनेरीवाल : गंगा में नालों का कचरा गिरता रहता है. इस बारे में राज्य सरकार को ध्यान देने की जरूरत है. राज्य सरकार वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण करे. साथ ही लोग गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए जागरूक हों.
डॉ एपी राय, स्कूल के प्रधानाचार्य : जब तक हर व्यक्ति गंगा की स्वच्छता के बारे में सजग नहीं होगा, तब तक सरकारी तंत्र का कार्य कारगर नहीं हो सकता है. केवल गंगा ही नहीं, बल्कि हर नदियों की सफाई अहम है. इसके लिए जागरूकता अभियान के साथ लोगों का जिम्मेदार बनना भी जरूरी है.
अनूप त्रिपाठी : गंगा का धार्मिक महत्व है. आस्था की वजह से लोग गंगा में फूल विसर्जित करते हैं. सवाल यह है कि वे फूल कहां डालें, इसकी व्यवस्था सरकार व प्रशासन को करनी होगी. हां, गंगा में पाॅलिथीन फेंकना सही नहीं है. गंगा में नाले का पानी बहता है. इसे रोकना होगा.
प्रेम मिश्रा, समाजसेवी : गंगा की सफार्ई के लिए सरकारी सहयोग जरूरी है. केवल बातचीत से गंगा में फैल रहा प्रदूषण खत्म नहीं हो सकता. इसके लिए पहल करने की जरूरत है. कई वर्षों से गंगा घाट की सफाई कार्य निजी स्तर पर कर रहे हैं. सवाल यह है कि गंगा की स्वच्छता के लिए सरकार कितनी सजग है? गंगा की स्वच्छता के लिए हर व्यक्ति को पहल करने की जरूरत है.
सुनील राय, राजनीति से जुड़े : मुख्य बात यह है कि गंगा को प्रदूषित कौन कर रहा है? इसका जवाब है कि हम ही तो प्रदूषित कर रहे हैं. गंगा की स्वच्छता के लिए जागरूक होना काफी अहम है. किसी को दोषी ठहराने से पहले हमें अपने में सुधार लाना होगा.
राकेश सोनकर, व्यवसायी : गंगा सबसे ज्यादा दूषित कल-कारखानों से निकलनेवाले कचरों से होती है. इसके लिए सरकार व प्रशासन को कदम उठाने की जरूरत है. रही आम लोगों की बात, तो वे अपने स्तर पर प्रयास करें. गंगा में पॉलिथीन न फेंके. पॉलिथीन को रिसाइकिल कर सकते हैं, लेकिन उसे गंगा में फेंकना सही नहीं है.
परिचर्चा के दौरान मोहम्मद अफसर, महेश कुमार आचार्य, राजेश सोनकर, जीडी मूंधड़ा, नंद किशोर, सुनील सिंह, किशन कुमार वर्मा, मुकेश कुमार सिंह, गोपाल दास लखोटिया, संजय कुमार, राकेश कुमार पांडेय, राजेश तिवारी, मनीष कुमार पांडेय समेत अन्य गणमान्य व गंगा विचार मंच से जुड़े प्रतिनिधि शामिल रहे.
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