आगम में आचार्य की आठ संपदाएं बतायी गयी हैं, वे आठों संपदाएं आपके जीवन सहज ही परिलक्षित होती हैं. ऐसे महान व्यक्तित्व का नेतृत्व पाकर संपूर्ण धर्मसंघ व श्रावक-श्राविका समाज गौरव का अनुभव कर रहा है. आचार्य श्री महाश्रमणजी विवेक विहार कांपलेक्स साउथ हावड़ा क्षेत्र में विराज रहे हैं. पूज्य गुरुदेव दर्शन करने व अमृतवाणी सुनने हजारों की संख्या में लोग प्रवचन में पहुंच रहे हैं.
पूज्यप्रवर ने अपने मंगल उद्बोधन में खाद्य संयम का महत्व बताते हुए कहा कि भोजन में दो बातों का ध्यान रखना चाहिए, जो स्वास्थ्य के अनुकूल न हो वह नहीं खाना चाहिए. भोजन में आसक्ति न हो खाद्य संयम में अनासक्त साधना बहुत महत्वपूर्ण है. साध्वी प्रमुखाश्री कनकप्रभाजी ने इंदिय संयम का महत्व बताते हुए कहा कि जो कठिन परिस्थितयों को सहन नहीं करते वे व्यक्ति संकल्पो से च्युत हो जाते हैं.
मुख्य नियोजिकाजी ने साधना के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी. साध्वीवर्याजी ने प्रेरक व्यक्तव्य में कहा कि आचरण की सुंदरता, शारीरिक सुंदरता से अधिक महत्व रखती है. अंकिता चोरड़िया व विवेक नोलखा ने गीतिका का संगान किया तथा संजना पारख ने भावों की अभिव्यक्ति दी. पूरे भारतवर्ष में आचार्यश्री महाश्रमणजी के कोलकाता चातुर्मास की चर्चा है.
आचार्य प्रवर चातुर्मास के पूर्व कोलकाता शहर के सभी क्षेत्रों में श्रद्धालुओं का कल्याण करने पधार रहे हैं. दक्षिण हावड़ा में पावस प्रवास का तीसरा दिन भी चिरस्मरणीय परीलक्षित हो रहा है. लोगों की भक्ति प्रभावित करने वाली है. जन समुदाय को अनुशासित करने तथा व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने में पुलिस प्रशासन का बेहद सहयोग मिल रहा है. आचार्य प्रवर को राजकीय अतिथि के रूप में जो सम्मान दिया गया है उसके तहत सरकारी सुरक्षा का पूरा प्रबंध किया गया है. वास्तव में विलक्षण है आचार्यश्री महाश्रमण का व्यक्तित्व एवं अनुकरणीय है उनकी जीवन शैली. पूज्यप्रवर की कृपा से प्रेक्षाध्यान का विशेष प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया जा रहा है. उपरोक्त जानकारी प्रवास व्यवस्था समिति की महामंत्री सूरज बरड़िया ने दी.