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केंद्र से तकरार दूर होने के संकेत

जीएसटी : 66 सामान में कर संशोधन के बाद राज्य का रवैया पड़ा नरम 15 सितंबर तक विधानसभा में पारित करना होगा जीएसटी विधेयक अजय विद्यार्थी कोलकाता : गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (जीएसटी) पर केंद्र और राज्य सरकार के बीच तकरार का हल निकलता नजर आ रहा है. रविवार को जीएसटी काउंसिल में 66 समानों […]

जीएसटी : 66 सामान में कर संशोधन के बाद राज्य का रवैया पड़ा नरम
15 सितंबर तक विधानसभा में पारित करना होगा जीएसटी विधेयक
अजय विद्यार्थी
कोलकाता : गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (जीएसटी) पर केंद्र और राज्य सरकार के बीच तकरार का हल निकलता नजर आ रहा है. रविवार को जीएसटी काउंसिल में 66 समानों में केंद्र सरकार द्वारा कर संशोधन किये जाने से समाधान का रास्ता निकलता नजर आ रहा है. ऐसी उम्मीद बन ही है कि जीएसटी पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच तकरार खत्म हो जायेगी और विधानसभा में शीघ्र ही जीएसटी विधेयक पारित होगा, लेकिन अभी तक इस बाबत कोई घोषणा नहीं हुई है. उल्लेखनीय है कि विधानसभा में जीएसटी विधेयक सितंबर के मध्य तक पारित करना होगा. यदि सितंबर तक विधेयक पारित नहीं किया गया, तो राज्य सरकार को कर संग्रह के अधिकार से वंचित रहना पड़ सकता है.
मतभेद के कारण पिछले सत्र में नहीं पेश हो सका विधेयक
मई में राज्य सरकार ने विधानसभा के सत्र का आह्वान किया था, लेकिन इस सत्र के दौरान जीएसटी विधेयक पेश नहीं किया गया. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि जीएसटी के वर्तमान स्वरूप को राज्य सरकार स्वीकार नहीं करेगी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात के बाद यह संभावना जतायी जा रही थी कि जून में विधानसभा का सत्र बुलाया जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और पिछले सत्र में जीएसटी पारित नहीं हुआ था. लेकिन रविवार को दिल्ली में जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच मतभेद घटता दिखायी दे रहा है.
उल्लेखनीय है कि राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने वर्तमान स्वरूप में जीएसटी लागू करने की संभावना को खारिज कर दिया था, श्री मित्रा ने रविवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक में लघु व मध्यम उद्योग के क्षेत्र में कर संशोधन के कई प्रस्ताव पेश किये, जिनमें से कइयों को स्वीकार कर लिया गया. इसके बाद राज्य सरकार व केंद्र सरकार के बीच जीएसटी को लेकर मतभेद थोड़े कम हुए हैं, लेकिन अभी भी कुछ मुद्दों पर मतभेद कायम है. उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने पहले घोषणा कर दी है कि एक जुलाई से जीएसटी को लागू किया जायेगा. वित्त विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार यदि एक जुलाई से जीएसटी लागू हो जाता है और विधानसभा में जीएसटी विधेयक पारित नहीं होता है, तो केंद्र के साथ कर संग्रह को लेकर कोई योजना लागू करनी होगी, ताकि कर का संग्रह किया जा सके.
66 सामानों में कर संशोधन से राज्य सरकार खुश
राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने जीएसटी काउंसिल द्वारा लघु व मध्यम उद्योगों के 66 समानों में कर संशोधन पर खुशी जतायी. श्री मित्रा ने कहा कि यह क्रांतिकारी कदम है. वह इन्हें प्रस्तावित कर बहुत ही खुश हैं. कई मंत्रियों व उनके सहकर्मियों ने इनका समर्थन किया. यह लघु व मध्यम उद्योगों के लिए बड़ी जीत है. नौकरी के क्षेत्र में परिवर्तन काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भारत का प्रतिस्पर्द्धात्मक बनायेगा.
15 सितंबर के बाद केवल जीएसटी ही रहेगा
वरिष्ठ कर विशेषज्ञ का कहना है कि 122वीं संवैधानिक संशोधन के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा लगाये जानेवाले कर आबकारी कर, सेवा कर व सीमा शुल्क व राज्य सरकार द्वारा संग्रह किये जानेवाले कर वैट, इंट्री कर, खरीदारी कर व लक्जरी कर इस वर्ष 15 सितंबर तक समाप्त हो जायेंगे. यह विधेयक संसद में पिछले वर्ष 16 सितंबर को पारित हुआ था. इसमें सितंबर से पहले जीएसटी लागू करने का भी प्रावधान है, लेकिन अभी तक राज्य में जीएसटी विधेयक पेश किये जाने पर मुख्यमंत्री की सहमति नहीं मिली है.
विधेयक नहीं पारित करने पर बंगाल की राह मुश्किल
विशेषज्ञ का कहना है कि यदि पश्चिम बंगाल 15 सितंबर तक जीएसटी विधेयक पारित नहीं कर पाता है, तो कर संग्रह के लिए संविधान में संशोधन की जरूरत पड़ेगी. इससे ऋण के भार में दबे राज्य सरकार के सामने और भी वित्तीय संकट की स्थिति उत्पन्न होगी. हालांकि यदि एक जुलाई को जीएसटी लागू भी हो जाती है, तो राज्य सरकार 15 सितंबर तक कर संग्रह कर सकती है. यदि ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, तो राज्य में सामानों की सप्लाई पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा.
वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि समस्या इंटेग्रेटेड जीएसटी (आइजीएसटी) को लेकर होगी, क्योंकि सप्लायर राज्य के डीलर को जीएसटी का कर भुगतान कर माल की सप्लाई करेंगे. उसके बाद वे आइजीएसटी से इनपुट क्रेडिट का दावा करेंगे. ऐसी स्थिति में पड़ोसी राज्यों से तस्करी में इजाफा होगा. हालांकि कानूनी रूप से डीलरों को 18 फीसदी की दर से आइजीएसटी का भुगतान करना होगा, लेकिन वे ग्राहकों से अधिकतम खुदरा दर ही संग्रह कर पायेंगे.
ऐसी स्थिति में सामान की कीमत बढ़ जायेगी, क्योंकि कर भुगतान अधिक होगा. पश्चिम बंगाल की स्थिति और भी खराब होगी, क्योंकि पश्चिम बंगाल में उत्पादन की अपेक्षा खपत ज्यादा है. ऐसी स्थिति में पूरे देश में जीएसटी लागू होने पर बंगाल में वैट को लागू रखना आर्थिक दृष्टि से उचित नहीं होगा.

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