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हेरिटेज भवन को किराये पर दिया
लापरवाही. ब्रह्म समाज का पहले प्रार्थना गृह के अस्तित्व पर छाया संकट राजा राम मोहन राय ने 1830 किया था उदघाटन रख-रखाव के अभाव में ढह रही है इमारत शिव कुमार राउत कोलकाता : ब्रह्म समाज के पहले प्रार्थना गृह का आजादी से पूर्व 23 जनवरी 1830 को राजा राम मोहन राय ने उदघाटन किया […]
लापरवाही. ब्रह्म समाज का पहले प्रार्थना गृह के अस्तित्व पर छाया संकट
राजा राम मोहन राय ने 1830 किया था उदघाटन
रख-रखाव के अभाव में ढह रही है इमारत
शिव कुमार राउत
कोलकाता : ब्रह्म समाज के पहले प्रार्थना गृह का आजादी से पूर्व 23 जनवरी 1830 को राजा राम मोहन राय ने उदघाटन किया था. सरकार की उदासीनता व रख-रखाव के अभाव में इसकी हालत जर्जर हो गयी है. कोलकाता नगर निगम के रिकार्ड में इस इमारत को हेरिटेज बिल्डिंग की श्रेणी में रखा गया है. अब इस इमारत को किराये पर दे दिया गया है. एक हेरिटेज इमारत को किराये पर देना अपने आप में एक बड़ी घटना है. इसे एक संगमरमर व्यापारी को किराये पर दिया गया, जो यहां पत्थर काटने का कार्य कर रहा है.
कोलकाता नगर निगम की अनुमति से लगभग 50 से 60 साल पहले इस हेरिटेज इमारत को किराये पर दे दिया गया है. अब इस इमारत के प्रथम तल को एक संगमरमर के व्यापारी को किराये पर दे दिया गया है. अब इसका इस्तेमाल संगमरमर को काटने के बाद तथा उसे स्टोर करने के लिए किया जा रहा है. वहीं इमारत के दूसरी मंजिल पर प्रार्थना गृह स्थित है. संगमरमर को काटने से इमारत में कंपन पैदा हो रही है, जिसके कारण इमारत ढह भी सकती है. विशेषज्ञों का तर्क है कि विरासत भवन के लिए कंपन खतरनाक हो सकता है. सवाल उठता है कि विरासत संरचना में केएमसी द्वारा इस तरह के काम को कैसे अनुमति दी गयी है.
कहां स्थित है यह इमारत
उत्तर कोलकाता के रवींद्र सरणी में दो मंजिली इमारत स्थित है. गिरीश पार्क ओवर ब्रिज के क्षतिग्रस्त हिस्से से कुछ ही दूरी पर यह इमारत स्थित है. 23 जनवरी 1830 में ब्रह्म समाज के इस प्रार्थना गृह में शहर के 500 से अधिक अभिजात बंगालियों के साथ अंग्रेजी मित्र विलियम एडम के साथ पहली प्रार्थना हुई थी.
इस दिन ब्रह्म समाज द्वारा माघोत्सव (माघ उत्सव) के रूप में मनाया जाता है. इस प्रार्थना हॉल के उदघाटन के बाद राजा राम मोहन राय इंग्लैंड के लिए रवाना हो गये, जहां उनका मृत्यु हो गयी थी. इतिहास के अनुसार ब्रह्म सभा की स्थापना 1828 में राजा राम मोहन राय द्वारा फिरंगी कमल बसु के घर 50 अपर चित्तपुर रोड पर शुरू हुई थी और बाद में ब्रह्म सभा को उक्त इमारत में 1830 में स्थानांतरित कर दिया गया था. यह इमारत रवींद्रनाथ टैगोर के दादा द्वारकानाथ टैगोर ने दान किया था.
क्या कहते हैं अधिकारी
निगम के हेरिटेज विभाग के डीजी सुब्रत शील ने बताया कि इमारत की देख-रेख का जिम्मा ब्रह्म समाज कमेटी पर है. कमेटी व निगम की अनुमति से ही इमारत को किराये पर दिया गया है, लेकिन यहां संगमरमर काटने की अनुमति नहीं है. अवैध तरीके से यह कार्य किया जा रहा है. निगम को इसकी जानकारी है. जल्द ही इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई की जायेगी. उन्होंने कहा कि हमें स्थानीय सूत्रों से यह शिकायत मिली है, लेकिन आश्चर्य की बात है कि कमेटी की ओर से से विषय को लेकर एक बार भी हमसे शिकायत नहीं की गयी है.
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